घुटनों चलकर कब बड़ी हो जाती हैं बेटियां
कब अपने पैरों पर खड़ी हो जाती हैं बेटियां
पिता की प्यारी औऱ माँ की राज दुलारी होती हैं बेटियां
बहुत अच्छा लगता जब जन्म लेती हैं बेटियां
किन्तु——-
एक हूक सी उठती है जब विदा होती हैं बेटियां
इस सत्य में भी तो छिपा एक सत्य
दो घरों के रिश्ते भी निभाती हैं बेटियां
सूना सा लगता है वो घर
जहां नहीं होती चहचाहट
खाली सा भी लगता है वो घर
जहां वधू बनकर नहीं जातीं हैं बेटियां
न होती ये बेटियां
घर में कौन सजता
कौन सँवरता
कोन करता नखरेबाज़ी
सृष्टि का  प्रारंभ हो तुम
नए रिश्तों की नई रीत हो तुम
करती हो सबको समृद्ध
इस ज़मी पर कल का भविष्य
हो तुम
अगर यह सच है कि बेटा भाग्य है
तो मित्रो–यह भी सच है कि-
बेटी सौभाग्य है, बेटी सौभाग्य है
पूछो कीमत उनसे
जिनको नहीं मिली ये सौगात
जिनको नहीं मिला यह सौभाग्य
सच कहती है यह  मनु तुमसे
सुख का आधार है बेटी
जीने का सार है बेटी
सुकर्मों का फल है बेटी
न होती बेटी तो रह जाते
रिश्ते, घर, परिवार अधूरे
रह जाती यह कायनात अधूरी
बदरंग रह जाती यह सृष्टि
इस लिए बेटी दिवस पर ही नहीं
सदैव नमन करो बेटी को
बेटी ही
हम सब की
आन बान  और शान है
रिश्तों की जान है

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