होम कविता नलिनी सिंह की कविता – तुम्हें सारी रात पढ़ती रहूँ कविता नलिनी सिंह की कविता – तुम्हें सारी रात पढ़ती रहूँ द्वारा नलिनी सिंह - January 9, 2022 80 0 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet तनहाई के शदीद जाड़े में हाशिम के कलाम की धूनी पर हाथ तापने को जी चाहता है: हाथ के जल जाने की हद तक…!! ताकि; जलते हुए हाथ की रोशनी में – तुम्हारी… तस्वीर में, मैं तुम्हें सारी रात पढ़ती रहूं…! तुम्हारे जागने तक…!!! संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं रश्मि विभा त्रिपाठी की कविता – फुदकती चिड़िया कुसुम पालीवाल की कविता – चाँद को देखूँ या देखूँ रोटियाँ ज़मीन पर सरोजिनी पाण्डेय की कविता – फागुनी धूप कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.