होम कविता मातृ दिवस पर विशेष : शैलजा सिंह की कविता कविता मातृ दिवस पर विशेष : शैलजा सिंह की कविता द्वारा शैलजा सिंह - May 10, 2020 385 0 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet माँ… याद तुम्हारी आई जब जब आंख मेरी भर आई तब तब जो दीप जलाए संस्कार के उसको मैंने जगमग रखा। अंधकार को किया तिरस्कृत उजियारे में हर पग रखा। अल्हड़ जीवन के वसंत सब पार किए और बड़ी हो गई। डगमग कदमों से चल चल अब अपने पैरों पर खड़ी हो गई। मां तुमने ही तो सिखलाया रिश्तों को कैसे सीना है। राई राई पर्वत पर्वत दुनिया में कैसे जीना है। मां बस तू ही मेरी कमाई। बेटी हूं तो क्या हुआ मुझको अब न समझ पराई।। बेटी ही तो होती है माँ की निकट सहेली जहां कहीं हो बेटे केवल उस घर में मां रहे अकेली।। संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं चंद्र मोहन की तीन कविताएँ सूर्यकांत शर्मा की कविता – कोई समझा नहीं कुसुम पालीवाल की कविता – आओ ! सूरज से आँख मिलाएँ कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.