जै महेश, पार्य, शर्व, वैद्यनाथ, वीरभद्र,
धरा धरेन्द्र नंदिनीपती शशांक शेखरा
जयतु, जयतु महादेव, सोमनाथ शंकरा…
मस्तक पर अग्नि धार, काया पर भस्म ढार
तांडव में लीन शिव, अग्नि-स्फुलिंग सम
डम, डम, डम, डम निनाद, डमरू का तुमुल नाद,
मदान्ध सिंधुराज मार, मेद-लिप्त त्वचा बाँध
तालों पर नृत्य रत, भीषण भयंकरा
जयतु, जयतु महादेव, सोमनाथ शंकरा…
मत्त-उन्मत्त नृत्य, भाल अग्नि ज्योति दीप्त
साधना में लीन शंभु, पंचशर विनाश कर
धम-धम,धम धिमिन-धिमिन मृदुल-ध्वनि मृदंग ध्वनित
तमारि, स्मरारि नाथ, शिर-कराल गंग धार
सहस्त्रनेत्र-सेव्य शिव, किशोर शशि शेखरा
जयतु, जयतु, महादेव, सोमनाथ शंकरा…
नीलकंठ गरल साध, कण्ठ में भुजंग डार,
गौरा संग उमानाथ, विचरत कैलास पर
छुन-छुन, छुन, छनक-छनक नूपुर पद-ताल बजत
गजारि, त्रिपुरारि, रामनाथ, ग्रीव मुण्ड-माल
भक्तन की लाज रख, चकोर-बंधु शेखरा
जयतु, जयतु, महादेव, सोमनाथ शंकरा…
कालकाल सुन पुकार, अरि-दल हत महाकाल
शैलजा के नाथ शिव, गणपति, कुमार सुत
सुरसरि अवतरित केश, कल-कल, कल स्वर विशेष
समदर्शी, सिद्धनाथ, असुरों का कर विनाश
व्योमकेश, रामेश्वर, हर-हर विश्वेश्वरा
जयतु, जयतु, जयतु महादेव, सोमनाथ शंकरा…
जयतु, जयतु, महादेव, सोमनाथ शंकरा…
वाह वाह भक्ति भाव से ओतप्रोत । रोंगटे खड़े हो गए ।अद्भुत । शिवमय । ईश्वर की विशेष अनुकंपा है आप पर । आज मुझे लगा आपकी लेखनी को सिद्धि मिल गई । जिसको उस शिव शंकर का आशीर्वाद मिल गया हो उसके लिए बधाई छोटा शब्द है । आप पर शिव कृपा यूँही बनी रहे ।
हार्दिक धन्यावाद पद्मा जी, शिव की प्रसन्नता आपको मिले।
हृदयस्पर्शी प्रार्थना . शैली जी की रचनाओं की उत्कृटता मोहित करती है .
हार्दिक धन्यावाद प्रदीप जी आप जैसे सुहृद पाठकों से बल मिलता है।