Sunday, October 6, 2024
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शन्नो अग्रवाल की कविता – लालू भाई, चाय और समोसा

एक थे सज्जन नाम था लालू
उनकी पत्नी थीं कुछ चालू
बना के लाईं एक दिन चाय
बाद में आकर बोलीं,’’हाय,
ऎसी क्या हो गई है बात
नहीं लगाया चाय को हाथ’’
लालू ने अखबार हटाया
चशमा कुछ नीचे खिसकाया
बोले चाय परे सरका कर
‘’चाय में थी कुछ चीनी कम
फिर मक्खी तोड़ गई इसमें दम
साथ में मिला समोसा ठंडा
खाता कैसे फिर यह बंदा
जाकर गरम समोसा लाओ
कुछ चटनी भी संग में लाओ’’
पत्नी ने तब माथा ठोंका
सोच-समझ कर उनको टोका
‘’बात-बात पर झल्लाते हो
चीनी क्यों इतनी खाते हो?
बच्चों सा हठ करते हो इतना
आप न जानो किचन में खटना
मुझे किटी पार्टी में जाना
शापिंग भी करके है आना
इतना अब न बनो स्वार्थी
समय नहीं जो करूँ आरती
एक दिन चटनी ना खाओगे
उस दिन मुरझा ना जाओगे’’
पत्नी के कहने का आशय
समझ गये तब पति महाशय
बैठे रह गये अपना मुँह बाये
फिर और शिकायत कर न पाये l
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