होम ग़ज़ल एवं गीत निज़ाम फतेहपुरी की ग़ज़ल ग़ज़ल एवं गीत निज़ाम फतेहपुरी की ग़ज़ल द्वारा निज़ाम फ़तेहपुरी - May 23, 2021 118 0 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet शायर बहुत हुए हैं जो अख़बार में नहीं। ऐसी ग़ज़ल कहो जो हो बाज़ार में नहीं।। दिल से मिटा के नफ़रतें मिलकर रहो सदा। जो लुत्फ़ प्यार में है वो तकरार में नहीं।। अपनी कमी कहें की ये क़िस्मत का खेल है। साहिल पे कश्ती डूबी है मझधार में नहीं।। पहचान होती वीरों की मैदान-ए-जंग में। जो मर्द है वो भागता शलवार में नहीं।। आकर चले गए हैं सिकंदर बहुत यहाँ। तुम चीज़ क्या अमर कोई संसार में नहीं।। माया का मोह छोड़ के तू देख तो ज़रा। जो है मज़ा फ़क़ीरी में परिवार में नहीं।। जिस ताज पर निज़ाम तुझे इतना नाज़ है। वो इक जगह रहा किसी दरबार में नहीं।। संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं डॉ. दिलावर हुसैन टोंकवाला की ग़ज़लें अनिला सिंह चरक की ग़ज़लें विज्ञान व्रत की पाँच ग़ज़लें कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.