निज़ाम फतेहपुरी की ग़ज़ल
शायर बहुत हुए हैं जो अख़बार में नहीं।
दिल से मिटा के नफ़रतें मिलकर रहो सदा।
अपनी कमी कहें की ये क़िस्मत का खेल है।
पहचान होती वीरों की मैदान-ए-जंग में।
आकर चले गए हैं सिकंदर बहुत यहाँ।
माया का मोह छोड़ के तू देख तो ज़रा।
जिस ताज पर निज़ाम तुझे इतना नाज़ है।
RELATED ARTICLES