ख्वाब था
ख्वाब ‌ही रहेगा,
आसमान पर –
नाम मगर तेरा ही होगा,,
ख्वाहिशें पतंग होती हैं
कटकर आसमां से गिर ही
जाती हैं,,
भ्रम था
भ्रम ही होगा
तारे जमीन पर
कहां होते हैं,वो तो
आसमान में टांका गया है
कुदरत का रचाया
रोशनी का संसार,,
मेरे आंचल में ‌जुगनू होगा,,
ये भी कुछ कम क्या ही होगा–
खुली आंखों ‌के सपने
देखें नैन बावरे,
चांद‌ आसमान पे है
वो आंचल में क्यूं होगा,,।
भ्रम था भ्रम ही होगा,
जिंदगी कहती हैं
‘पगली ‘तेरी आंखों में
कच्ची नींद है
ख्वाब इस कदर आया होगा।
स्वतंत्र रचनाकार कविता,लघुकथा, संस्मरण आदि देश-विदेश के पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित छह साझा काव्य संग्रह एक एकल काव्यसंग्रह "तेरा होना" प्रकाशित। मो-6299574373 पटना (बिहार) दीघा आशियाना पथ नेपाली नगर 90 फीट पिन कोड-800025

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