ख्वाब था
ख्वाब ही रहेगा,
आसमान पर –
नाम मगर तेरा ही होगा,,
ख्वाहिशें पतंग होती हैं
कटकर आसमां से गिर ही
जाती हैं,,
भ्रम था
भ्रम ही होगा
तारे जमीन पर
कहां होते हैं,वो तो
आसमान में टांका गया है
कुदरत का रचाया
रोशनी का संसार,,
मेरे आंचल में जुगनू होगा,,
ये भी कुछ कम क्या ही होगा–
खुली आंखों के सपने
देखें नैन बावरे,
चांद आसमान पे है
वो आंचल में क्यूं होगा,,।
भ्रम था भ्रम ही होगा,
जिंदगी कहती हैं
‘पगली ‘तेरी आंखों में
कच्ची नींद है
ख्वाब इस कदर आया होगा।