“प्रेम करना कोई चाहता ही नहीं
घाव भरना कोई चाहता ही नहीं
एक ठहराव  सब चाहते हैं
पर ठहरना कोई चाहता ही नहीं ।”

“उसके घर का पता भी पता है हमें
फिर भी उसके शहर में भटकते हैं हम

बेरहम होकर कल जिसको ठुकरा दिया आज मिलने को उससे तरसते हैं हम ”

“जाने क्या हो गया है हमें आजकल
बेवजह आपसे यूं उलझते हैं हम
आपको ठेस भी हम लगाते हैं और
आप के दर्द को भी समझते हैं हम।”

“जब तलक मुझ में जलने की ताकत रही,
मेरा रिश्ता तभी तक रहा आग से
आंधियों ने बुझाए हैं जलते दिए
कोई जलता हुआ घर बुझाया नहीं”

“रात भर तारीफ जो मैंने की तुम्हारे रूप की
चांद इतना जल गया सुनकर कि सूरज हो गया”

“चाह गुमनाम भी तो होती है
और बदनाम भी तो होती है
रात सूरज से मिल नहीं पाती
बीच में शाम भी तो होती है।’

“कभी तुमसे नजरें चुराऊं तो कहना
कोई बात तुमसे छुपाऊं तो कहना
मुझे दूर रहने का इल्जाम मत दो
बुलाकर के देखो, ना आऊं तो कहना।”

देश विदेश में सुविख्यात मोहब्बत के कवि चंदनराय के इन  प्रेमरसपगे गीतों को सुनने का अवसर मिला चेन्नई के सैकड़ों साहित्य प्रेमियों को नववर्ष के उपलक्ष्य में, जब साहित्य कला और संस्कृति की एकात्मक संस्था ‘अनुभूति’ ने सजायी एक  गीतों भरी शानदार और यादगार शाम ‘गीत माधुरी ‘, डीजी वैष्णव कॉलेज, हिंदी विभाग और मीडिया पार्टनर राजस्थान पत्रिका के  संयुक्त तत्वावधान में।
प्रेम के अनेक रूपों और भावों के चितेरे कवि चंदन राय ने अपनी स्वर-लहरियों से श्रोताओं को ऐसा मंत्रमुग्ध किया कि वे सुधबुध भूल उन्हें सुनते रहे।और अंत में जब उन्होंने अपना लोकप्रिय गीत “तुम तो आनंद लो रोशनी का प्रिये, ये न पूछो कि क्या क्या जलाना पड़ा” सुनाया तो श्रोता आनंद से झूम उठे।
सुप्रसिद्ध गीतकार ईश्वर करुण ने  इसके बाद जब अपने शृंगारपरक गीतों से समा बांधा तो श्रोता उनमें खो गए। नवीन कल्पनाओं और बिंबों के जरिए आपने गीतों की छटा बिखेरने में वे कामयाब हुए और खूब वाहवाही लूटी।आपके गीतों की बानगी देखिए –

जब से छुआ चेहरा तेरा मैं ने मेम सा’ब,
मेरी हथेलियों में उगे सैकड़ों गुलाब
दीमक ने भले बार बार चाट लिया है
लिखते रहे हैं लोग फिर भी इश्क की किताब
इक अंक जोड़ना है या इक अंक घटाना
सदियाँ लगीं सुलझ न पाया इश्क का हिसाब!
‘अपना गुस्सा मुझे सारा दे दो प्रिये
मांगता हूं यही तुमसे मैं बावरा’
इस अवसर पर “अनुभूति” के  गीतकार  डॉ महेश नक्श और गोविंद मूंदडा ने भी अपने गीत सुनाकर श्रोताओं को भाव विभोर किया।
अध्यक्ष  श्री रमेश गुप्त नीरद ने  स्वागत भाषण देकर  विशिष्ट अतिथि कवि चंदनराय, मुंबई का अंगवस्त्रम से सम्मान किया। निवर्तमान अध्यक्ष डॉ ज्ञान जैन ने मुख्य अतिथि श्री ईश्वर करुण, चेन्नई का सम्मान किया। कार्यक्रम का  शुभारंभ शकुंतला करनानी द्वारा की गई सरस्वती वंदना से हुआ। आकांक्षा बरनवाल और डॉ अशोक द्विवेदी ने  अतिथियों का परिचय दिया। कार्यक्रम का सफल संचालन सचिव डॉ सुनीता जाजोदिया ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन भी दिया।राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.