लंदन में राष्ट्रीय हथकरघा दिवस पर भारतीय साड़ी परिधान कर 700 महिलाओं ने साड़ी वॉकथॉन में सहभागलिया। यह गतिविधि डॉ. दीप्ति जैन के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में ‘ब्रिटिश वुमन इन सारी ‘ संस्था द्वारा क्रियान्वित की गई। मनोरम जुलूस ऐतिहासिक और प्रतिष्ठित ट्राफलगर स्क्वेअर, 10 डाउनिंग स्ट्रीट से पार्लियामेंट स्क्वायर तक था।
“हैंडलूम डे“ के अवसर पर “सारी वॉकथॉन लंदन“ कार्यक्रम में कश्मीर से कन्याकुमारी तक अलग-अलग साड़ियाँ पहने सातसौ लड़कियाँ और महिलाएँ शामिल हुईं थी ।
महाराष्ट्रीयन, राजस्थानी, गुजराती, बंगाली, पंजाब, दिल्ली, हिमाचल, तेलुगु, करेलियन. ऐसी 15 राज्यों की विभिन्न महिलाओं ने अपनी क्षेत्रीय पारंपरिकवेशभूषा पहनकर और आभूषणों से सुसज्जित होकर अपने क्षेत्रीय नृत्य प्रस्तुत किए। ऐसा लग रहा था मानोभारत लंदन की धरती पर उतर आया हो। रंग-बिरंगी और खूबसूरत साड़ियाँ आकर्षक थीं। महाराष्ट्रीयन महिलाएँ पैठणी नौवार साड़ी पहनकर नाक मे नथनी, गले में ठुशी अलंकार से सजी और सिरपर फेटा बांधकार पारंपरिक महाराष्ट्रीयन पोशाक में मौजूद थीं।
तेलंगाना के प्रसिद्ध पोचमपल्ली, इकत सिल्क,नारायणपेठ, गढ़वाल पट्टू साड़ियों में महिलाओं ने भाग लिया और अपने पारंपरिक आभूषणों से सजकर नृत्य किया।केरलियन महिलाओं ने अपनी पारंपरिक क्रीम रंग की ज़री कासवू साड़ियाँ पहनी थी । राजस्थानी महिलाओं नेगहनों से सजी लाल रंग की गोटावर्क की ज़री की बांधणी साड़ियाँ पहनी थीं।
हिमाचल प्रदेश की महिलाए कुलु प्रिंट पश्मीना साड़ियाँ पहनी थीं। सिरपर सुंदर टोपी थी। बिहार की महिलाओं ने टसर सिल्क की मधुबनी साड़ियाँ पहनी थीं। गुजराती महिलाओं ने सुंदर साड़ियों में डांडिया नृत्य किया। दिल्ली-पंजाबी महिलाओं ने सुंदर साड़ियों में सिने गीतों पर नृत्य किया। सब महिलाएंसाडी मे ग्रेसफुल लग रही थी ।
महिलाओं का कहना है कि – हमें ब्रिटिश भारतीय होने पर गर्व है। हम भारतीय संस्कृति को महत्व देते हैं। हम कला और परंपराओं को संरक्षित करना चाहते हैं और उन्हें अगली पीढ़ी तक पहुंचाना चाहते हैं।
भारत के विभिन्न क्षेत्रों से अलग-अलग पारंपरिक परिधानों में महिलाएं भारत का प्रतिनिधित्व कर रही थीं।आज भारत पारंपरिक रंगों के साथ अवतरित हुआ था। अलग-अलग भाषाएं, अलग-अलग वेशभूषा। डांडिया, भांगड़ा, कुचिपुड़ी समूह नृत्यों ने उत्साहपूर्वक प्रदर्शन किया।