Saturday, July 27, 2024
होमलघुकथाअंजू खरबंदा की लघुकथा - होम ! हैप्पी होम

अंजू खरबंदा की लघुकथा – होम ! हैप्पी होम

एक दिन नेहा बच्चों को पढ़ा रही थी । एक कविता में दादा दादी नाना नानी की बात आई । रैनेसां ने नेहा की ओर प्रश्न सूचक निगाहों से देखते हुए कहा – “मम्मा घर में दादा दादी की फोटो तो है पर नाना नानी की क्यों नहीं !”
उसकी बात सुनकर रोहन जोर-जोर से हँसने लगा और बोला – “बुद्धु तुझे इतना भी नही पता ! ये घर तो पापा का है न … तो पापा के मम्मी पापा की फोटो ही तो लगेगी न ! क्यूं पापा !”
पास ही बैठे पति देव ने नेहा की ओर देखते हुए कहा – “जितना ये घर मेरा है उतना ही तुम्हारी मम्मी का ।”
इतना कहकर वे उठकर जाने लगे । नेहा ने पूछा- “कहाँ चल दिए एकदम से ।”
“बच्चों का सवाल वाजिब है तो जवाब भी तो वाजिब ही होना चाहिए न ! तुम मम्मी पापा की अच्छी सी फोटो निकाल दो, मैं आज ही फ्रेम करवा कर लाता हूँ ।”
RELATED ARTICLES

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Most Popular

Latest