होम लघुकथा सपना चंद्रा की लघुकथा – कन्या पूजन लघुकथा सपना चंद्रा की लघुकथा – कन्या पूजन द्वारा सपना चंद्रा - October 17, 2021 68 0 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet अपने पति के स्थानांतरण के फलस्वरूप वह पहली बार साथ आई थी। स्टेशन के निकट ही हाउसिंग कॉलोनी में एक फ्लैट लिया था। महानगर आकर बड़ा अच्छा लगा था प्रीतो को, वाह कितनी चमक-दमक और रौनक बसी है इस शहर में। एक हमारा छोटा सा शहर, अस्त-व्यस्त जैसा। हमेशा कोई न कोई टोक ही देता है। इस बार नवरात्र की पूजा यहीं कर रही थी। नया घर, नया माहौल, पूरे मन से पूजा कर रही थी। नवमी की पूजा के लिए कन्याऐं चाहिए थीं, पर बड़ी मुश्किल हो रही थी। उसकी तो एक ही बेटी थी, और कन्याएं कहाँ से लाए.? पास -पड़ोस में भी एक-दो बालिकाएं, वो भी कहीं गई हुई थीं। प्रीतो आज बहुत दुखी हो अपने शहर को याद करती है, इतनी किल्लत बेटियों की…यहाँ, हमारे यहाँ भीड़ लग जाती थी। प्रीतो को परेशान देखकर पति सोमेश ने एक निर्णय किया, पास के ही स्लम बस्तियों से कन्याओं को ले प्रीतो के सामने खड़ा था। लो कर लो कन्या पूजन..अब खुश ! प्रीतो ने पूरे श्रद्धा से सभी कन्याओं का आदर सत्कार कर बिदाई दी। प्रीतो माँ दुर्गा के सामने खड़ी मौन अधर से सवाल कर रही थी..? आज अगर ये गरीब की बस्ती न होती तो पूजा कैसे होती..? बेटियों से गरीब क्यूँ नही डरते, ये डर और कमी सभ्य समाज में ही क्यूँ है? संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं आशमा कौल की दो लघुकथाएँ डॉ पद्मावती की लघुकथा – अंतिम मिलन कमला नरवरिया की लघुकथा – छोड़ आए वे गलियां कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.