होम कविता प्रदीप गुप्ता की दो ग़ज़लनुमा रचनाएं कविता प्रदीप गुप्ता की दो ग़ज़लनुमा रचनाएं द्वारा प्रदीप गुप्ता - December 26, 2021 141 3 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet परिंदा परिंदा तो उड़ चुका है खुले आसमान में दूरी नहीं सवाल रही अब उसकी उड़ान में लोग हैं कि खोजते हैं दुनिया जहान को मैं ढूँढता फिरूँ हूँ खुद को जहान में लगता है वो उर्दू में कुछ बोल रहा है मिसरी सी घुल गई है उसकी ज़ुबान में ये कौन जगा रहता हर पल हरेक क्षण इस हाड़ मांस के मेरे आरजी मकान में अशआर ही अशआर हैं बिखरे इधर हुए स्वागत है आप का मेरे अदबी मकान में जिसकी फसल भरें है पूरे वतन का पेट मुझ को खुदा दिखे है ऐसे किसान में देखो उसे दबा के या फिर कुचल के देखो रहेगा हर्फ़-ए-जुनूं उसकी ज़ुबान में भूखा है जिसका पेट और नंगा सा है बदन एक उम्र कट चुकी है उसकी थकान में तुम्हारे शहर में तुम्हारे शहर में ऐ दोस्त जीने में मजा नहीं मिलता कभी मंजिल नहीं मिलती कभी रास्ता नहीं मिलता ऐस क्या घटा है इस अज़ीम-ओ-शान बस्ती में अजब सन्नाटा इधर पसरा कोई हँसता नहीं मिलता अगर तुम प्यार से कुछ क्षण हमीं से बात कर लेते तो इतना तय था कि ये रिश्ता उलझा नहीं मिलता क़वायद चल रहीं ऐसी कि बच्चे बन जाएँगे मशीन अग़र इंसा बनाना था तो उन्हें बस्ता नहीं मिलता समर्पित हो चुका यह दौर बस जुगाड़बाज़ी को कोई बन्दा सलीके से काम को करता नहीं मिलता खुदा का नाम ले ले के मुझे क्यों तुम डराते हो मेरा भी राबिता उससे ही है तुम्हें इतना नहीं दिखता संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं हिंदी भाषा पर मधु शृंगी की कविता प्रीति रतूड़ी की कविताएँ सरिता मलिक की कविताएँ 3 टिप्पणी एक उम्र कट चुकी है उसकी थकान में …मर्मस्पर्शी रचनाएंँ प्रदीप जी की। जवाब दें धन्यवाद अनिता जी। जवाब दें शानदार गजलें भाई साहब । बहुत बहुत बधाई । डॉ मनोज रस्तोगी Sahityikmoradabad.blogspot.com जवाब दें कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.
एक उम्र कट चुकी है उसकी थकान में
…मर्मस्पर्शी रचनाएंँ प्रदीप जी की।
धन्यवाद अनिता जी।
शानदार गजलें भाई साहब । बहुत बहुत बधाई ।
डॉ मनोज रस्तोगी
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