‘रचनाकार’ का भव्य रंगारंग स्थापना दिवस कार्यक्रम संपन्न…
संस्था के संस्थापक अध्यक्ष श्री सुरेश चौधरी ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय संस्था ‘रचनाकार’ की पहली जनवरी 2021 को विधिवत स्थापना हुई थी। इस अल्प समय में संस्था 18 देशों में अपने सदस्य बना चुकी है एवं भारत में उत्तर पूर्व, बिहार, उत्तर भारत, एन.सी.आर. एवं कर्नाटक में इकाई स्थापित कर चुकी है।
संस्था वर्ष के सभी प्रमुख त्यौहारों पर सांस्कृतिक एवं मासिक साहित्यिक कार्यक्रम करती है । प्रति माह स्व. दुर्गावती चौधरी स्मृति काव्य गोष्ठी का आयोजन भी करती है। संस्था वर्ष में तीन सम्मान देती है, ₹31000 की राशि के साथ सांस्कृतिक एवं साहित्यिक कार्य हेतु विश्व भर से चयनित व्यक्ति को, ₹21000 रु का सांस्कृतिक व्यक्ति को, ₹11000 का उभरते साहित्यकार के प्रोत्साहन हेतु। पुरस्कारों का चयन 5 सदस्यों की चयन समिति करती है।
स्थापना दिवस कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्व प्रसिद्ध साहित्यकार तेजेन्द्र शर्मा जी ने की । अपने वक्तव्य में उन्होंने वर्ष भर में हुए कार्यों की सराहना की। मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. विष्णु सक्सेना उपस्थित थे। उन्होंने अपने गीतों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
संस्था की महामंत्री विद्या भण्डारी जी ने वर्ष भर का लेखा जोखा प्रस्तुत किया। तंजानिया के अजय गोयल जी ने संस्था के बहु चर्चित कार्यक्रम ज्ञान गंगा के बारे में बताया कि कैसे प्रत्येक रविवार दिन साढ़े ग्यारह बजे अध्यात्म और धर्म पर आधारित तीखे विश्लेषण का यह कार्यक्रम लोगों को पसंद आ रहा है।
कार्यक्रम का प्रारम्भ कोलकाता की निशा कोठारी की सरस्वती वंदना से हुआ फिर स्वागत नृत्य राजस्थानी मांड पर बंगलुरु की महिमा सोनी ने प्रस्तुत किया। राजस्थान दौसा से निर्मला शर्मा जी ने एक राजस्थानी लोक गीत प्रस्तुत किया। पटना से विश्व प्रसिद्ध शास्त्रीय गायिका पल्लवी विश्वास जी ने मोहक प्रस्तुति दी। दिल्ली की कामना मिश्र की एकल नाटिका से लोगों का हंस हंसकर बुरा हाल था। आसाम की बालिका बिधि चमड़िया ने भूपेन हजारिका की प्रसिद्ध गीत पर शानदार लोक नृत्य की प्रस्तुति दी। अंत में विदेश विभाग के आशुतोष कुमार लंदन, प्रगति टिपनिस मॉस्को, श्वेता सिन्हा अमेरिका ने अपना वक्तव्य दिया।
प्रसिद्ध गीतकार और संस्था के कार्यकारी अध्यक्ष श्री ईश्वर करुण ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। कार्यक्रम का सुन्दर, सुगठित और सुनियोजित संचालन संस्था की सह अध्यक्ष श्रीमती रचना सरन ने किया।