के-24 न्यूज़ चैनल पर डॉ सुधांशु कुमार शुक्ला जी  ने गीतकार बी.एल. गौड़ जी के साथ पोलैंड से गीतों पर चर्चा की। साहित्यकार एक सच्चे मार्गदर्शक की तरह समाज को नई दिशा देता है। बी.एल. गौड़ साहब ने साहित्य की अलग-अलग विधाओं में अपनी कलम से साहित्य को सुंदर तरीके से सुशोभित किया है और अपने अनुभव भी समाज के सामने अपने गीतों, कहानियों, कविताओं के माध्यम से रखे हैं।
बी.एल. गौड़ जी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपने व्याख्यान से मंचों की शोभा बढ़ा रहे हैं। बीएल गौड़ जी किसी परिचय के मोहताज नहीं है बल्कि वह एक सच्चे साहित्य सेवी के रूप में जाने जाते हैं। इनके गीत और कहानियाँ पोलैंड में भी पढ़ाई जाती हैं। गौड़ साहब के गीतों पर जो आज चर्चा हुई, वह बहुत ही सार्थक रही। गौड़ साहब के गीत अलग-अलग परिवेश और अलग-अलग स्थितियों को दिखाते नज़र आते हैं और उनका लेखन अनुभव भी इन गीतों में दिखाई पड़ता है। 

लोक संस्कृति और लोक तत्वों की छाया से भरे गौड़ साहब के गीतों में प्रकृति, विरह, सच्ची संवेदना का सच्चा रूप दिखाई देता है।
भक्ति का स्वरूप भक्ति की विराटता है इसके बारे में भी गौड़ साहब ने बताया और अपने गीतों के माध्यम से समझाया भी। सन्यासी हो गया सवेरा, पैमागे मौत, जीवन के यदि किसी मोड़ पर, मैं तो बचा गरल पीता हूँ, ये जीवन के रास्ते हैं तेरे ही वास्ते आदि गीतों से मंच पर अपने काव्य की छटा बिखेरी।
गौड़ साहब ने मंच से सांस्कृतिक गीतों को गाया, लोक तत्व को बताया, विरह की कविता और उसका शोक उनके गाये गीत से अपने आप ही झलक कर आँखों तक पहुँच गया। संवेदना उनके साहित्य और गीतों में अंदर से निकल कर आती है। गौड़ साहब किसी भी व्यवस्था और तत्व को अपने गीतों में पिरोने के सच्चे साधक हैं और गौड़ साहब के गीतों में एक लय है, एक तान है, एक सच्ची साधना है। गौड़ साहब ने लोक तत्व के, विरह के और सांस्कृतिक बौद्ध के गीतों को मंच से गाया और अलग-अलग तत्व विधान से हमारे सामने उनको रखा भी।
कार्यक्रम को संचालित कर रहे प्रवासी साहित्य के मर्मज्ञ विश्व फलक पर हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार प्रोफेसर सुधांशु कुमार शुक्ला जी ने गौड़ साहब के विषय में बात करते हुए उनके गीतों पर चर्चा तो की ही साथ ही साथ उनके गीतों, उनकी कविताओं का पाठ भी किया। उनकी कविता माँ का खत और यह है प्यार की बयार गाकर भी सुनाया। डॉक्टर शुक्ला ने बताया कि प्यार की बयार में राधा, मीरा और देशभक्ति के प्रेम की अलग अलग व्यवस्थाओं को एक ही गीत में किस ढंग से गौड़ साहब ने रखा है यह अपने आप में अद्भुत है।

गौड़ साहब की लेखनी और उनका कार्य बहुत ही सुंदर है, जो पाठक का मन मोह लेती है। गौड़ साहब के साहित्य पर आगे बताते हुए डॉ शुक्ला ने बताया कि साहित्यकार किसी सीमा में बंधकर नहीं रहता, वह तो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी संवेदना के आधार पर जाना जाता है। उसकी संवेदना ही उसे बनाती है। गौड़ साहब के साहित्य में वह सब गुण हमें देखने को मिलता है।
इस कार्यक्रम को लगभग 4000 से ज्यादा लोगों ने देखा और इस पर कमेंट भी किया है। डॉ सुधांशु कुमार शुक्ला को इस कार्यक्रम के बाद बी.एल. गौड़ जी के नाम से मिलने वाले सम्मान से सम्मानित भी किया गया है। यह सम्मान इन्हें ग्लोबल हिंदी शोध संस्थान और जापान, बेलजियम आदि पाँच संस्थानों ने मिलकर दिया है। यह एक सराहनीय कार्य है।
इस कार्यक्रम को आम जन तक पहुँचाने का काम के24 चैनल के संचालक और संस्थापक डॉ. कामराज गुरुजी ने किया। डॉक्टर कामराज गुरुजी सच्चे हिंदी सेवी हैं। वह अपने इस चैनल के माध्यम से साहित्य सेवा करने वाले साहित्यकारों को मंच तो देते ही हैं साथ ही साथ वह मंच से उनका सम्मान भी करते हैं।
यह अपने आप में एक बड़ी बात है। सच्चे मन से हिंदी सेवा करने वाले डॉक्टर कामराज गुरु जी का यह मंच अपने आप में विश्व स्तरीय है और विश्व फलक पर इसने अपनी अलग ही पहचान बनाई हुई है। इस मंच पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय हिंदी और अन्य साहित्य सेवी हमेशा अपना समय देते रहते हैं और मंच की शोभा बढ़ाते रहते हैं। यह डॉ. कामराज गुरु जी के प्रयासों का ही फल है

1 टिप्पणी

  1. गौड़ साहब का साहित्य की प्रत्येक विधा में अप्रतिम योगदान है, गाजियाबाद से बाहर निकल आज वे विश्व पटल पर हिन्दी का परचम लहरा रहे हैं ।
    साहित्य किसी व्यक्ति विशेष की बपौती नहीं है, जहाँ संवेदना है वहाँ साहित्य है ।
    डाक्टर शुक्ल के द्वारा लिया गया साक्षात्कार विशिष्ट रहा, उनका अध्ययन भी खासा है।
    गौड़ साहब बधाई के पात्र हैं, उन्हें हार्दिक बधाई

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