आज देश भर में कोरोना का कहर जारी है। हर दिन लाखों में कोरोना संक्रमित मरीज सामने आ रहे हैं। वहीं मौतों का आंकड़ा हज़ारों की तादाद में सामने आ रहा हैं। ऐसे में चारों तरफ अफरा-तफरी के माहौल होने के साथ-साथ भयभीत कर देने वाली स्थिति बनी हुई है। इन दिनों कोरोना वायरस फैलने को लेकर अफवाहों का बाज़ार गर्म है। कहीं सुनने में आ रहा है की कोरोना वायरस चीन की जैविक उपज है, जो हथियार के रूप में आज देश और दुनिया की मानव सभ्यता पर करारा प्रहार कर रहा है।
आजकल सोशल मीडिया पर एक ऑडियो भी बड़ी तेजी के साथ वायरल हो रहा है। जिसमें दो व्यक्ति आपस में कोविड-19 को लेकर बात कर रहे हैं। जिसमें एक व्यक्ति कोरोना वायरस फैलने के पीछे 5जी नेटवर्क टेस्टिंग को इसका जिम्मेवार बता रहा है। ऑडियो में एक शख्स कहता है कि 5जी टेस्टिंग की वजह से लोगों का गला सूख रहा है और उसने दावा किया है कि मई तक इसकी टेस्टिंग हो जाएगी तो मोतें भी रुक जाएगी। इस वायरल ऑडियो को कई हजारों की संख्या में लोग अपने व्यू के साथ साझा भी कर रहे हैं।
आपको जानकारी के लिए बता दें कि 5जी नए जमाने की मोबाइल फोन प्रौद्योगिकी है, जिसके जरिए संचार और डेटा तीव्र गति से संभव हो सकेगा। अनुमान है कि यह मौजूदा 4जी से करीब 20 गुना अधिक तेज होगा। आखिर 4जी के रहते 5जी की आवश्यकता क्यों आन पड़ी? तकनीकी दुनिया में सूचनाओं का तीव्र आदान-प्रदान समय की जरूरत बन चुका है। 5जी के साथ डाटा नेटवर्क स्पीड 2 से 20 जीबी प्रति सेकेंड तक होने की उम्मीद है। 5जी का प्रभाव चिकित्सा और अन्य क्षेत्रों में भी देखने को मिलेगा, जो उच्च इंटरनेट स्पीड पर निर्भर करते हैं।
ऐसे में अफवाहों के बीच सवाल का उठना लाजिमी है कि क्या वाकई में कोरोना वायरस 5जी टेस्टिंग की वजह से फैल रहा है? इसे लेकर पीआईबी फैक्ट चैक टीम ने पड़ताल की और अपने ट्वीटर अकाउंट हैंडल पर लिखा ‘एक ऑडियो मैसेज में दावा किया जा रहा है कि राज्यों में 5जी नेटवर्क की टेस्टिंग की जा रही है और इसे कोविड-19 का नाम दिया जा रहा है। पीआईबी फैक्ट चैक में यह दावा फर्जी है।’
वहीं डब्ल्यूएचओ ने अपनी वेबसाइट पर लिखा है कि जिन देशों में अभी 5जी की टेस्टिंग नहीं हो रही है, उन देशों में भी कोरोना फैल रहा है। एशिया के विभिन्न देशों के इंजीनियरों को 5जी नेटवर्क का प्रशिक्षण देने वाले एएलटीटीसी के मोबाइल फैकल्टी विभाग के सहायक निदेशक संदीप सिंह ने बताया कि अमेरिका, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, स्विट्जरलैंड जैसे देशों में 5जी चल रहा है, लेकिन यहां पर कोरोना के मामले भारत से कम हैं।
केके यादव (सहायक निदेशक एएलटीटीसी) का कहना है कि 5जी की तरंगों से कोरोना का कोई ताल्लुक नहीं है। यह बस एक अफवाह है, हमने इस संबंध में आईटीयू से जानकारी मांगी थी और आईटीयू की तरफ से बताया गया है कि 5जी की तरंग से कोरोना वायरस नहीं फैलता है। यह तरंग भी कण हैं, लेकिन इससे द्रव्यमान नहीं होता। इसलिए इससे वायरस नहीं चिपक सकता। इनके अलावा वैज्ञानिकों ने भी इस बात का खंडन किया है कि 5जी परीक्षण और इसकी तकनीक से किसी भी प्रकार का संक्रमण फैल सकता है। 5जी मोबाइल टावर नॉन आयोनाइजिंग रेडियो फ्रीक्वेंसी छोड़ते हैं, जो मानव की सेहत के लिए हानिकारक नहीं है।
ऐसे में सोशल मीडिया पर भ्रामक सामग्री और अफवाहों पर लगाम बेहद जरूरी है। यदि अफवाहों पर विराम नहीं लगा, तो इन अफवाहों का परिणाम बेहद भयानक हो सकते हैं। इस प्रकार की अफवाहें लोगों को लापरवाह बनाती हैं और कोरोना महामारी के नियंत्रण के प्रयास को विफल भी कर सकती है। मेरी सभी भारतीयों से अपील है कि ऐसे किसी भी मैसेज को साझा न करें, जिसका कोई प्रामाणिक तथ्य हमारे पास न हो। किसी भी प्रकार की अफवाहों से बचें, कोरोना गाइडलाइन की पालना करें और खुद को सुरक्षित करें।