इंग्लैंड के लेस्टर शहर में हिन्दुओं के ख़िलाफ मुस्लिम भीड़ की हिंसा की भारतीय उच्चायोग ने कड़े शब्दों में निंदा की है। लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग ने अपने बयान में कहा, “हम लेस्टर में भारतीय समुदाय के ख़िलाफ हिंसा, हिन्दू परिसरों और प्रतीकों को नुकसान पहुँचाए जाने की कड़ी निंदा करते हैं। हमने इस मुद्दे को ब्रिटेन के प्रशासन के समक्ष मजबूती से रखा है। साथ ही इस हमले में संलिप्त लोगों पर तुरंत कड़ी कार्रवाई की माँग की है।”
लेस्टर इंग्लैण्ड का एक ज़माने का औद्यौगिक नगर था। जब इदी अमीन ने भारतीय मूल के लोगों को युगांडा से निकाल बाहर किया था तो बहुत से भारतीय वहां से आकर लेस्टर शहर में बस गये थे। आजकल लेस्टर कुछ नकारात्मक घटनाओं के लिये सुर्ख़ियों में है।
कुछ पाकिस्तानी मूल के युवकों ने लेस्टर में हिन्दू मंदिरों पर हल्ला बोल दिया और मंदिर पर लगे भगवे झंडों को बेहूदगी से उतार फेंका और उन्हें जलाया भी। लेस्टर में एक ही नारा हवा में गूंज रहा था – “नारा ए तकबीर – अल्लाहु अकबर!”
यह बवाल लेस्टर में ही नहीं रुका। दो दिन बाद बर्मिंघम पहुंच गया और वहां स्मैदिक में दुर्गा भवन मंदिर की दीवार पर चढ़ कर हंगामा करने वालों ने वही नारे लगाये जो कि लेस्टर में लगाए गये थे।
बर्मिंघम में हुए हंगामे की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हैं। इनमें प्रदर्शनकारी मंदिर की दीवार के पास नारेबाजी करते दिख रहे हैं। कुछ प्रदर्शनकारी मंदिर की दीवार पर चढ़ते भी दिख रहे हैं जहां वे भद्दे-भद्दे इशारे कर रहे हैं।
वहीं एक दूसरे वीडियो में एक नकाबपोश प्रदर्शनकारी भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को धमकी देता दिख रहा है. उसका कहना है कि यूके में रह रहे हिंदुओं से उन्हें कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन बी.जे.पी.-आर.एस.एस. की विचारधारा वाले नेताओं को वे बर्दाश्त नहीं करेंगे। वीडियो में प्रदर्शनकारी कह रहा है…
“बर्मिंघम से BJP और RSS के समर्थकों को संदेश दे रहा हूं। तुम्हारा बर्मिंघम में स्वागत नहीं है. तुम्हारा लेस्टर में स्वागत नहीं है। यूके में कहीं भी तुम्हारा स्वागत नहीं है। ये जो तुम नफरती भाषण देने वालों को यहां बुला रहे हो, उन्हें हम यहां आने नहीं देंगे. इसलिए ये बकवास चीजें आयोजित करना बंद कर दो. हम यहां मंदिर के बाहर खड़े हैं। ये एक शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन है। हम किसी को परेशान नहीं कर रहे. हम यहां बस ये बताने आए हैं कि अगर तुम यहां आए तो हम तुम्हें यहीं मिलेंगे। हमें ब्रिटिश हिंदुओं से कोई दिक्कत नहीं है। हम उन्हीं के साथ पले-बढ़े हैं। लेकिन BJP और RSS के लोग बर्मिंघम, लंदन या यूके में आए तो हमें बता दें हम वहां पहुंच जाएंगे।”
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ब्रिटेन के विदेश सचिव से मुलाकात को लेकर ट्वीट करते हुए बताया, ब्रिटेन के विदेश सचिव से काफी अच्छी बातचीत हुई. इस दौरान यूके में रहने वाले भारतीय समुदाय की सुरक्षा के लिए अपनी चिंता जाहिर की। इस पर उनकी तरफ से आश्वासन दिया गया है।
इंग्लैंड के लेस्टर शहर में हिन्दुओं के खिलाफ मुस्लिम भीड़ की हिंसा की भारतीय उच्चायोग ने कड़ी निंदा की है। लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग ने अपने बयान में कहा, “हम लेस्टर में भारतीय समुदाय के ख़िलाफ हिंसा, हिन्दू परिसरों और प्रतीकों को नुकसान पहुँचाए जाने की कड़ी निंदा करते हैं। हमने इस मुद्दे को ब्रिटेन के प्रशासन के समक्ष मजबूती से रखा है। साथ ही इस हमले में संलिप्त लोगों पर तुरंत कड़ी कार्रवाई की माँग की है।”
मगर कल ही इस्लामिक राइट्स कमीशन और साऊथ एशिया ग्रुप ने भारतीय उच्चायोग, लंदन (भारत भवन) के बाहर प्रदर्शन किया और नारेबाज़ी की। उनके नारे नरेन्द्र मोदी और आर.एस.एस. के विरुद्ध थे। वे लाउडस्पीकर पर चिल्ला रहे थे… “मोदी भी सुन ले आज़ादी… जो तुम न दोगे आज़ादी… हम छीन के लेंगे आज़ादी… तेरा बाप भी देगा आज़ादी… नहीं भीख में लेंगे आज़ादी… है हक़ हमारा आज़ादी… ललकार के बोलो आज़ादी… ज़रा ज़ोर से बोलो आज़ादी… उनको भी सुना दो आज़ादी… मोदी से लेंगे आज़ादी… बीजेपी से लेंगे आज़ादी…”
ब्रिटेन की गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन ने लेस्टर में स्थानीय पुलिस अधिकारियों और हिंदू तथा मुस्लिम समुदाय के नेताओं से मुलाकात की और कहा कि हाल की हिंसक झड़पों में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। सुएला ने अपने दौरे के बाद ट्वीट किया, “मैंने लेस्टर-शर के पुलिस अधिकारियों, मुख्य कांस्टेबल और स्थानीय समुदाय के नेताओं से मुलाकात की, ताकि स्थानीय निवासियों की सुरक्षा और लेस्टर में सुरक्षा और सद्भाव बहाल करने के लिए की जा रही कार्रवाई पर चर्चा की जा सके।”
ब्रिटेन के हिन्दुओं के सर्वदलीय सांसद समूह (ए.पी.पी.जी.) के अध्यक्ष एवं कंजर्वेटिव पार्टी के सांसद बॉब ब्लैकमैन ने सुएला ब्रेवरमैन को लिखे अपने पत्र में कहा, “ये लक्षित हमले इस्लामी चरमपंथियों द्वारा किए गए जिससे पूरे ब्रिटेन में हिंदू समुदाय के लिए भय, नुकसान और व्यवधान की स्थिति उत्पन्न हुई है।” उन्होंने ब्रिटेन की संसद में भी इस मुद्दे को पुरज़ोर तरीके से उठाया भी है।
हैरानी की बात यह है कि इस बवाल के पीछे के कारण भी आपस में गडमड से हुए लगते हैं। कहीं लेस्टर में एक लड़की के रेप की अफ़वाह थी तो कहीं साध्वी ऋतंभरा के दुर्गा भवन, बर्मिंघम में आकर अपना वक्तव्य देने की। और नारे मोदी, भाजपा और आर.एस.एस. के विरुद्ध रग रहे थे। याद रहे कि साध्वी ऋतंभरा बीस बाईस बार लंदन आ चुकी हैं और अभी भी अमरीका से भारत जाते हुए लंदन में रुकने वाली थीं।
यहां यह बता देना भी महत्वपूर्ण होगा कि साध्वी ऋतंभरा का कार्यक्रम कैंसिल होने के बारे में पाँच दिन पहले ही घोषणा कर दी गई थी।
कुछ लगने लगा है कि हिन्दुओं के विरुद्ध अब वैश्विक स्तर पर हमले होने लगे हैं। कनाडा में भी भारतीयों के विरुद्ध अपराधों में निरंतर वृद्धि हो रही है। विदेश मंत्रालय ने कनाडा में भारतवासियों को परामर्श जारी करते हुए कहा है – कनाडा में भारत के नागरिकों एवं छात्रों के प्रति घृणा अपराध, नस्ली हिंसा और भारत विरोधी गतिविधियों से जुड़ी घटनाओं में तीव्र वृद्धि हुई है। विदेश मंत्रालय और कनाडा में हमारे उच्चायोग एवं महावाणिज्य दूतावास ने वहां के प्रशासन के समक्ष इन घटनाओं को उठाया है और ऐसे अपराध की जांच करने एवं उपयुक्त कार्रवाई करने का आग्रह किया है। इसमें कहा गया है कि ऐसे अपराधों को अंजाम देने वालों को कनाडा में अब तक न्याय के कठघरे में नहीं खड़ा किया गया है।”
मंत्रालय ने यह भी कहा है कि, ‘‘ऐसे अपराधों के बढ़ते मामलों को देखते हुए कनाडा में भारतीय नागरिकों एवं छात्रों तथा वहां यात्रा/शिक्षा के लिये जाने वालों को सचेत एवं सतर्क रहने की सलाह दी जाती है।’’ बयान में कहा गया है कि कनाडा में भारतीय नागरिक एवं छात्र ओटावा में भारतीय उच्चायोग या टोरंटो और वेंकूवर में महावाणिज्य दूतावास के साथ संबंधित वेबसाइट या ‘मदद पोर्टल’ पर पंजीकरण करा सकते हैं।”
यह हिन्दू-मुसलमान का सांप्रदायिक दंगा नहीं लगता है क्योंकि यहां दोनों पक्ष भारतीय मूल के नहीं हैं। शायद पहली बार भारत के विरुद्ध सामाजिक स्तर पर एक सोची-समझी मुहिम शुरू की गयी है जिसमें पाकिस्तानी मूल के लोग और संस्थाएं पूरी तरह से जुड़े हुए हैं। इस तरह के हमले यहूदियों पर भी होते हैं। मगर भारत इज़राइल नहीं है। इज़राइल अपने हर नागरिक का ख़्याल पूरे विश्व में रखने को कटिबद्ध है।
ब्रिटेन और कनाडा सहित सभी देशों की सरकारों को इस बात का विशेष ख़्याल रखना होगा कि अपने यहां कानून और न्याय व्यवस्था बनाए रखने के लिये इन सांप्रदायिक ताकतों पर नकेल कसी जाए। वरना एक बार ऐसे तत्व जब खुली छूट पा जाते हैं तो सभी प्रकार के नागरिक इनकी हिंसा का शिकार हो जाते हैं। वहीं भारत सरकार को भी अपने आपको तैयार करना होगा कि उसे भारतीय डायस्पोरा के लोगों को अपने हाल पर नहीं छोड़ देना है।
You have drawn attention to a very vital issue in your Editorial this week,Tejendra ji.
These attacks on the members of our Hindu community are most unfortunate and worrisome.
Very rightly you have suggested that these governments, specially of UK n Canada, must take due cognizance of the same n punish the guilty.
Regards
Deepak Sharma
बहुत ही गम्भीर चिंतनीय समस्या है, इस प्रकार इस्लाम के नाम पर विश्व भर में भारत के खिलाफ आतंक मचाना सोचनीय है। ब्रिटिश सरकार को इस समस्या का तुरंत समाधान करना चाहिए नहीं तो यह नासूर बन जायेगी। हमने भारत मे देखा है कैसे छोटे छोटे आंदोलन प्रदर्शन भयंकर होए हैं।भारत की मजबूत होती स्थिति से पाकिस्तान पूरी तरह बौखला गया है और धर्म के नाम पर शकि इकट्ठी कर यह कुछ कर रहा है।
क्रम से हमारे निकटतम पड़ोसी की गतिविधियों की जानकारी देते हुए इस दूसरे संपादकीय के लिए धन्यवाद। भारत और हिन्दुओं के लिए मात्र घृणा की नीति लेकर चलने वाला देश और उसके नागरिक(?) अपनी घृणा में अन्धे हो कर कुछ भी अतार्किक, बेसिर-पैर की हरक़तें कर सकते हैं। लंदन में उन्हें मोदी से आज़ादी चाहिये, यानी मोदी का प्रभाव वो ब्रिटेन तक मानते हैं, अच्छा है। JNU के नारों और इन नारों के स्वर का साम्य बताता है कि 2016 से 2022 तक ये एक ही जगह खड़े और अड़े हैं। देश बाढ़ और भुखमरी से जूझ रहा है, ये प्रदर्शन कर रहे हैं। गाँव में सुना था कि, “पड़ोसी की दोनों आँख फूट जायें भले हमारी एक आँख चली जाये” कुछ लोग ऐसी दुश्मनी पालते हैं, पर यहाँ दुश्मनी का स्तर, ” हमारी दोनों आँख फूट जायें पर पड़ोसी की एक आँख फूट जाये” पर पहुँच गया है। सम्भवतः इस देश इस धर्म(?) के लोग भस्मासुर बनना चाहते हैं। पहले से विश्व स्तर पर इतनी ख्याति है ऐसी हरकतों के बाद विश्व पटल पर क्या होगा?
यह बात समझने का प्रयास तो किया ही जाना चाहिए कि भारत के कुछ मुसलमान, पाकिस्तानी मुसलमान और दुनिया भर में पाकिस्तानी/हिंदुस्तानी मूल के कुछ मुसलमान अब भी हिंदुओं पर अपना शासन चाहते हैं। वे पूर्व के अपने आकाओं के सिंहासनारूढ़ होने की मानसिकता से स्वयं को बाहर नहीं निकाल पाए हैं। वे अब भी लोकतंत्र पर नहीं, राजतंत्र में विश्वास रखते हैं। मार-काट कर करोड़ों लोगों का धर्म परिवर्तन कराने की कुत्सित मानसिकता से सैकड़ों पीढ़ी आगे के लोग भी बदल नहीं पाए हैं। उन्हें समझना चाहिए कि दुनिया भर में उनकी कितनी निंदा हो रही है। उन्हें भूलना चाहिए कि वे भारत जैसे सशक्त राष्ट्र में अब धर्म परिवर्तन नहीं करा सकते। हमारे मंदिरों को, धार्मिक प्रतीकों को नुकसान पहुँचाने वालों पर शासन की कार्रवाई निश्चय ही होगी, इसलिए अब वे विदेशों में धंधा चलाना चाहते हैं। दुनिया भर के शासकों को ऐसी मानसिकता को सबक सिखाने की आवश्यकता है।
उनकी तरफ से यह कहा गया कि हिंदुओं ने सड़क पर घूमते हुए ‘जय श्री राम’ के नारे लगाये जो उनके लिए भयावह स्थिति थी।
और वे इतने डर गए कि अपने भय को दूर करने के लिए उन्होंने मंदिर पर धावा बोल दिया। सड़क चलते गाड़ियों को नुकसान पहुँचाया गया जिनमें हिन्दू प्रतीक चिन्ह थे। पुलिस मूक दर्शक बने देखती रही।
The way they are breeding just think how powerful and dangerous they can become in 10-20 years.
धर्म आधारित राजनीति वर्षों से कई देशों का अस्त्र-शस्त्र रही है।भारत या दुनिया में जहाँ भी हिन्दू हैं उन्होनें चुपचाप अपने धर्म को माना है किसी पर थोपा नहीं।सनातन परंपरा सशक्त रही उसमें कारण और निदान की व्याख्या है, यही बात विश्व पटल पर मोदी जी द्वारा रखी जा रही है लेकिन सभी धर्मों का आदर करते हुए इसलिए मोदी जी या बीजेपी या आर एस एस के विचारों को तहस नहस करने के लिए नए नए प्लेटफॉर्म ढूंढे जा रहे हैं।इस निंदनीय साज़िश को प्रत्येक राष्ट्र को समझकर कड़ी कार्यवाही करनी होगी तभी मानवता का हित संभव है । नींद उड़ाने वाली सम्पादकीय हेतु साधुवाद
Dr Prabha mishra
विस्तार पूरक संदेश इन सियासी मतभेद का नारेबाज़ी के रूप में कहीं चिंगारी बनकर आग को जन्म न दे
हिंदू मुस्लिम के बीच भाईचारा बना रहे यह प्रयास संधि की ओर का रास्ता है
सर मैं हमेशा कहती हूँ और आज भी कहूँगी आप दूरदृष्टि और दृष्टिकोण के साथ लिखते है और इस बार बेहद संवेदनशील विषय है जिस पर यदि आज ध्यान न दिया गया तो बहुत जल्द पूरे विश्व को इसके दुष्परिणाम झेलने होंगे।
नकेल यही शब्द सीखना और अमल करना होगा ब्रिटेन, भारत या कनाडा हर उस देश को जो ऐसे लोगों को हल्के में लेगी। कनाडा ने नकेल कसी होती तो सबक ब्रिटेन के अराजक तत्वों ने भी सीखा होता।
मुद्दे हमेशा बनाये जाते है ओर बनाये जाते रहेंगे, इस बार मोदी जी ही सही। इसलिए जरूरी है कड़े ढंग से इन्हें रोकना। वरना आज मोदी जी, हिन्दू धर्म , हिन्दू मंदिर है, कल चर्च और चार्ल्स भी हो सकते है निशाना। क्योकि हमारा धर्म है पर अराजकता फैलाने वालों का कोई धर्म नही होता , होता है तो बस मुद्दा।
आपसी द्वेष और वैमनस्य की समस्या वैश्विक स्तर पर बढ़ती जा रही है और साथ ही आर्थिक तंगी। हर बार दंगों के बाद मन में यह सवाल उठता है कि रोज़ी-रोटी के मुद्दे से दबे लोगों को इन चीज़ों के लिए कैसे उकता लिया जाता है और तस्वीर बिलकुल अलग पेश की जाती है। बहुत दुखद स्थिति है, जिसके गहन विश्लेषण के बाद हर स्तर पर कार्रवाई की ज़रूरत है।
You have drawn attention to a very vital issue in your Editorial this week,Tejendra ji.
These attacks on the members of our Hindu community are most unfortunate and worrisome.
Very rightly you have suggested that these governments, specially of UK n Canada, must take due cognizance of the same n punish the guilty.
Regards
Deepak Sharma
बहुत ही गम्भीर चिंतनीय समस्या है, इस प्रकार इस्लाम के नाम पर विश्व भर में भारत के खिलाफ आतंक मचाना सोचनीय है। ब्रिटिश सरकार को इस समस्या का तुरंत समाधान करना चाहिए नहीं तो यह नासूर बन जायेगी। हमने भारत मे देखा है कैसे छोटे छोटे आंदोलन प्रदर्शन भयंकर होए हैं।भारत की मजबूत होती स्थिति से पाकिस्तान पूरी तरह बौखला गया है और धर्म के नाम पर शकि इकट्ठी कर यह कुछ कर रहा है।
Thanks so much Deepak ji. Before the problem becomes a menace, it should be nipped in the bud.
क्रम से हमारे निकटतम पड़ोसी की गतिविधियों की जानकारी देते हुए इस दूसरे संपादकीय के लिए धन्यवाद। भारत और हिन्दुओं के लिए मात्र घृणा की नीति लेकर चलने वाला देश और उसके नागरिक(?) अपनी घृणा में अन्धे हो कर कुछ भी अतार्किक, बेसिर-पैर की हरक़तें कर सकते हैं। लंदन में उन्हें मोदी से आज़ादी चाहिये, यानी मोदी का प्रभाव वो ब्रिटेन तक मानते हैं, अच्छा है। JNU के नारों और इन नारों के स्वर का साम्य बताता है कि 2016 से 2022 तक ये एक ही जगह खड़े और अड़े हैं। देश बाढ़ और भुखमरी से जूझ रहा है, ये प्रदर्शन कर रहे हैं। गाँव में सुना था कि, “पड़ोसी की दोनों आँख फूट जायें भले हमारी एक आँख चली जाये” कुछ लोग ऐसी दुश्मनी पालते हैं, पर यहाँ दुश्मनी का स्तर, ” हमारी दोनों आँख फूट जायें पर पड़ोसी की एक आँख फूट जाये” पर पहुँच गया है। सम्भवतः इस देश इस धर्म(?) के लोग भस्मासुर बनना चाहते हैं। पहले से विश्व स्तर पर इतनी ख्याति है ऐसी हरकतों के बाद विश्व पटल पर क्या होगा?
शैली जी, आपने अपना दृष्टिकोण बेहतरीन तरीके से रखा है।
यह बात समझने का प्रयास तो किया ही जाना चाहिए कि भारत के कुछ मुसलमान, पाकिस्तानी मुसलमान और दुनिया भर में पाकिस्तानी/हिंदुस्तानी मूल के कुछ मुसलमान अब भी हिंदुओं पर अपना शासन चाहते हैं। वे पूर्व के अपने आकाओं के सिंहासनारूढ़ होने की मानसिकता से स्वयं को बाहर नहीं निकाल पाए हैं। वे अब भी लोकतंत्र पर नहीं, राजतंत्र में विश्वास रखते हैं। मार-काट कर करोड़ों लोगों का धर्म परिवर्तन कराने की कुत्सित मानसिकता से सैकड़ों पीढ़ी आगे के लोग भी बदल नहीं पाए हैं। उन्हें समझना चाहिए कि दुनिया भर में उनकी कितनी निंदा हो रही है। उन्हें भूलना चाहिए कि वे भारत जैसे सशक्त राष्ट्र में अब धर्म परिवर्तन नहीं करा सकते। हमारे मंदिरों को, धार्मिक प्रतीकों को नुकसान पहुँचाने वालों पर शासन की कार्रवाई निश्चय ही होगी, इसलिए अब वे विदेशों में धंधा चलाना चाहते हैं। दुनिया भर के शासकों को ऐसी मानसिकता को सबक सिखाने की आवश्यकता है।
आपकी नाराज़गी समझ में आती है अशोक जी।
उनकी तरफ से यह कहा गया कि हिंदुओं ने सड़क पर घूमते हुए ‘जय श्री राम’ के नारे लगाये जो उनके लिए भयावह स्थिति थी।
और वे इतने डर गए कि अपने भय को दूर करने के लिए उन्होंने मंदिर पर धावा बोल दिया। सड़क चलते गाड़ियों को नुकसान पहुँचाया गया जिनमें हिन्दू प्रतीक चिन्ह थे। पुलिस मूक दर्शक बने देखती रही।
The way they are breeding just think how powerful and dangerous they can become in 10-20 years.
ब्रिटेन की सरकार को इस ओर ध्यान देना होगा आशुतोष।
धर्म आधारित राजनीति वर्षों से कई देशों का अस्त्र-शस्त्र रही है।भारत या दुनिया में जहाँ भी हिन्दू हैं उन्होनें चुपचाप अपने धर्म को माना है किसी पर थोपा नहीं।सनातन परंपरा सशक्त रही उसमें कारण और निदान की व्याख्या है, यही बात विश्व पटल पर मोदी जी द्वारा रखी जा रही है लेकिन सभी धर्मों का आदर करते हुए इसलिए मोदी जी या बीजेपी या आर एस एस के विचारों को तहस नहस करने के लिए नए नए प्लेटफॉर्म ढूंढे जा रहे हैं।इस निंदनीय साज़िश को प्रत्येक राष्ट्र को समझकर कड़ी कार्यवाही करनी होगी तभी मानवता का हित संभव है । नींद उड़ाने वाली सम्पादकीय हेतु साधुवाद
Dr Prabha mishra
इस सार्थक टिप्पणी के लिये धन्यवाद प्रभा जी।
आपकी लेखनी को प्रणाम करते हुए यह कहना प्रासंगिक ही होगा कि ताली कभी एक हाथ से नहीं बजती है।
धन्यवाद आपकी टिप्पणी के लिये भाई श्रीराम दवे जी।
विस्तार पूरक संदेश इन सियासी मतभेद का नारेबाज़ी के रूप में कहीं चिंगारी बनकर आग को जन्म न दे
हिंदू मुस्लिम के बीच भाईचारा बना रहे यह प्रयास संधि की ओर का रास्ता है
धन्यवाद देवी नंगरानी जी। आपकी टिप्पणी एक संदेश देती है।
सर मैं हमेशा कहती हूँ और आज भी कहूँगी आप दूरदृष्टि और दृष्टिकोण के साथ लिखते है और इस बार बेहद संवेदनशील विषय है जिस पर यदि आज ध्यान न दिया गया तो बहुत जल्द पूरे विश्व को इसके दुष्परिणाम झेलने होंगे।
नकेल यही शब्द सीखना और अमल करना होगा ब्रिटेन, भारत या कनाडा हर उस देश को जो ऐसे लोगों को हल्के में लेगी। कनाडा ने नकेल कसी होती तो सबक ब्रिटेन के अराजक तत्वों ने भी सीखा होता।
मुद्दे हमेशा बनाये जाते है ओर बनाये जाते रहेंगे, इस बार मोदी जी ही सही। इसलिए जरूरी है कड़े ढंग से इन्हें रोकना। वरना आज मोदी जी, हिन्दू धर्म , हिन्दू मंदिर है, कल चर्च और चार्ल्स भी हो सकते है निशाना। क्योकि हमारा धर्म है पर अराजकता फैलाने वालों का कोई धर्म नही होता , होता है तो बस मुद्दा।
शिप्रा इतनी ख़ूबसूरत टिप्पणी के लिये हार्दिक धन्यवाद। जब तुम जैसे गंभीर पाठकों तक पुरवाई की बात पहुंच जाती है, तो संपादक की क़लम सफल हो जाती है।
हमेशा की तरह दिलचस्प संपादकीय! आवश्यक मुद्दे पर आप लिखते हैं. साधुवाद!!
धन्यवाद मनोज भाई।
आपसी द्वेष और वैमनस्य की समस्या वैश्विक स्तर पर बढ़ती जा रही है और साथ ही आर्थिक तंगी। हर बार दंगों के बाद मन में यह सवाल उठता है कि रोज़ी-रोटी के मुद्दे से दबे लोगों को इन चीज़ों के लिए कैसे उकता लिया जाता है और तस्वीर बिलकुल अलग पेश की जाती है। बहुत दुखद स्थिति है, जिसके गहन विश्लेषण के बाद हर स्तर पर कार्रवाई की ज़रूरत है।