Sunday, May 19, 2024
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संपादकीय – हिले दिमाग़ों के बहके फ़िक्रे

फ़िलहाल स्थिति यह है कि पाकिस्तान टीम सेमी-फ़ाइनल में जगह नहीं बना पाई और भारत आज रविवार को ऑस्ट्रेलिया के साथ फ़ाइनल में विश्व कप जीतने के लिये भिड़ेगा। मगर पाकिस्तान में पूर्व क्रिकेटरों एवं मीडिया कर्मियों के हिले दिमाग़ों से लगातार बहके हुए फ़िक्रे विश्व कप और भारतीयों पर फैंके जा रहे हैं।

पाकिस्तानी टीम जब विश्व कप 2023 में खेलने के लिये भारत पहुंची थी, उस समय आई.सी.सी. की सूची में उसे पहला स्थान प्राप्त था। पाकिस्तानी क्रिकेट पंडित, टीवी एंकर, क्रिकेट प्रेमी सभी अपनी टीम की तारीफ़ में कसीदे पढ़ रहे थे। बाबर आज़म और शाहीन शाह आफ़रीदी हीरो नंबर वन थे। 
भारत और पाकिस्तान के बीच जो मैच खेला गया उसमें पाकिस्तानी टीम अपने निर्धारित पचास ओवर भी पूरे नहीं खेल पाई और 42.5 ओवरों में 191 रन पर ढेर हो गई। जसप्रीत बूमरा, कुलदीप यादव और हार्दिक पांडया तीनों ने दो-दो विकेट लिये। उसके जवाब में भारत ने केवल 30.3 ओवरों में तीन विकेट के नुक़्सान पर 192 रन बना डाले। कप्तान रोहित शर्मा ने 86 और श्रेयस अय्यर ने नाबाद 53 रनों का योगदान दिया। 
फ़िलहाल स्थिति यह है कि पाकिस्तान टीम सेमी-फ़ाइनल में जगह नहीं बना पाई और भारत आज रविवार को ऑस्ट्रेलिया के साथ फ़ाइनल में विश्व कप जीतने के लिये भिड़ेगा। मगर पाकिस्तान में पूर्व क्रिकेटरों एवं मीडिया कर्मियों के हिले दिमाग़ों से लगातार बहके हुए फ़िक्रे विश्व कप और भारतीयों पर फैंके जा रहे हैं। 

हसन रज़ा ने एक टीवी कार्यक्रम में सीधे-सीधे आरोप लगा दिया कि भारतीय खिलाड़ियों को ऐसी बॉल दी जा रही है जिसमें चिप लगे हैं और बाल अतिरिक्त स्विंग लेती है। उन्हें समझ ही नहीं आ रहा था कि भला मुहम्मद शामी की गेंदें इतना स्विंग कैसे कर सकती हैं।
पूर्व खिलाड़ी सिकंदर बख़्त तो टॉस को लेकर ही सवाल उठाने लगे। उनका कहना था कि भारतीय कप्तान रोहित शर्मा सिक्का इतनी दूर फेंकते हैं कि प्रतिद्वन्दी टीम के कप्तान और अंपायर को सिक्का दिखाई ही नहीं देता। इस तरह भारत टॉस जीत जाता है और टॉस जीत कर मैच जीत जाता है। यह सोच कर हैरानी होती है कि उम्र के साथ-साथ क्या किसी क्रिकेट खिलाड़ी का दिमाग़ इतना कुंद हो सकता है कि इस तरह की बचकानी बातें किसी टीवी चैनल पर बैठ कर कह सके। 
सिकंदर ने कहा – “मैं चाहूं तो शरारत कर सकता हूं! मैं एक सवाल कर रहा हूं अगर हम दिखा सकें टॉस के वक्त का वीडियो। रोहित शर्मा जब टॉस करते हैं तो सिक्के को दूर फेंकते हैं और दूसरा कप्तान जाकर कभी नहीं देखता कि उसने सही कॉल किया या नहीं। सिक्का किस तरफ गिरा है या किसके पक्ष में है?” लगता है कि सिकंदर बख़्त ने शोले फ़िल्म बहुत बार देखी है और उनको लगता है कि रोहित शर्मा टॉस के लिये अमिताभ बच्चन वाला सिक्का इस्तेमाल करते हैं जिसके दोनों तरफ़ हैड या टेल ही बना है। और सच्ची बात तो यह है कि भारत पाँच बार टॉस जीता है और पाँच बार हारा है, मगर मैच दसों जीता है। 
पाकिस्तानी खिलाड़ियों का दावा है कि भारतीय बल्लेबाज़ों के बल्लों में स्प्रिंग लगे हुए हैं। अगर ऐसा न हो तो वे इतनी गति से इतना बड़ा स्कोर नहीं खड़ा कर सकते। वे यह मानने को तैयार नहीं कि भारतीय क्रिकेट मैनेजमेंट ने पिछले कुछ वर्षों से गंभीर तैयारी की है, तब कहीं जाकर हमारी वर्तमान टीम तैयार हुई है। 
ये सब बातें तो कम-से-कम क्रिकेट से जुड़ी हुई हैं। हैरानी तो तब हुई जब पाकिस्तानी क्रिकेट खिलाड़ियों एवं मीडिया-कर्मियों ने बेहूदगी की तमाम हदें पार करते हुए भारतीयों पर निजी आपत्तिजनक टिप्पणियां करनी शुरू कर दीं। भूतपूर्व ऑलराउण्डर अब्दुल रज्ज़ाक ने एक टीवी कार्यक्रम के दौरान भारतीय सिने-तारिका ऐश्वर्य राय पर एक भद्दी टिप्पणी करते हुए कहा, “अगर आपकी सोच है कि ऐश्वर्या राय से शादी करूंगा इसके बाद नेक-गुणवान बच्चा पैदा हो, तो ऐसा कभी नहीं हो सकता। मसलन, आपको अपनी नीयत दुरूस्त करनी होगी।” अब्दुल रज्ज़ाक ने यह बात पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड की नीयत पर बात करते हुए कही थी। इस बातचीत में ऐश्वर्या राय कहां से आ गईं, कुछ समझ नहीं आया।  

जब अब्दुल रज्ज़ाक ये बातें कर रहा था उस वक्त उसके साथ शाहिद अफ़रीदी और उमर गुल समेत कई क्रिकेटर मौजूद थे और तालियां बजा कर बेशरमों की तरह हंस रहे थे।  बहरहाल, अब्दुल रज्ज़ाक के बयान की खूब निंदा हो रही है। सोशल मीडिया यूज़र्स लगातार अब्दुल रज्ज़ाक को खरी-खोटी सुना रहे हैं। पाकिस्तान के वसीम अकरम और शोएब अख़्तर ने अब्दुल रज्ज़ाक की टिप्पणी की भर्त्सना की। भारत में भी हर स्तर पर अब्दुल रज्ज़ाक की आलोचना हुई। 
अब्दुल रज्ज़ाक की सोशल मीडिया पर आलोचना के बाद शाहिद अफ़रीदी का एक अजीब सा बयान  सामने आया जिस पर विश्वास करना आसान नहीं।  शाहिद अफ़रीदी ने कहा कि कल प्रोग्राम चल रहा था, हम बैठे हुए थे स्टेज पर। अब्दुल रज्ज़ाक ने कोई बात कर दी वहां पर। उन्होंने जो बात की मुझे समझ नहीं आई, मसलन मैं वैसे ही हंस रहा था। उन्होंने कहा कि मैं अभी अब्दुल रज्जाक को मैसेज करूंगा कि सब लोगों से सॉरी बोल दें। वो ग़लत मज़ाक था, जो नहीं होना चाहिए था। शोएब अख़्तर ने कहा कि मैं अब्दुल रज्ज़ाक के अनुचित मज़ाक या तुलनात्मक बयान की निंदा करता हूं। किसी भी महिला का अपमान नहीं होना चाहिए। वहां पास बैठे लोगों को हंसने और तालियां बजाने के बजाय आवाज़ उठानी चाहिए थी।
कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने अपने ट्वीट में लगभग हर भारतवासी के दिल की बात कह दी जब उन्होंने अपने ट्वीट में कहा, “एक भारतीय अभिनेत्री पर अभद्र टिप्पणी और उसके बाद साथी क्रिकेटरों का खिलखिलाना यह दर्शाता है कि पाकिस्तान खुद एक सड़ी हुई ‘विचारधारा’ है, जो मानसिक रूप से विकलांग संतान पैदा कर रही है!

पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष रमीज़ राजा ने भी अब्दुल रज्ज़ाक को लगभग डांटते हुए उसे माफ़ी मांगने की सलाह दी। मगर स्वयं वे इसी आरोप के तहत दोषी भी हैं। उनका भी एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें एक हास्य कवि अपनी कविता सुना रहा है जो कि भारतीय अभिनेत्री नीना गुप्ता और क्रिकेट खिलाड़ी विवियन रिचर्ड्स की शादी को लेकर थी। उसने कहा, “वो जो अपने को मानती हैं मलिका-ए-आलिया / उनकी किस्मत में आता है कालिया।” इस घटिया कविता पर आपत्ति दर्ज करवाने के स्थान पर रमीज़ राजा ठहाके लगा रहे थे। 
इस पर नीना गुप्ता और विवियन रिचर्ड्स की बेटी मसाबा ने भी एक ट्वीट करते हुए रमीज़ राजा को जवाब दिया, “प्रिय रमीज़ राजा (सर) शालीनता एक ऐसा गुण है जो बहुत कम लोगों में होता है। मेरे पिता, मां और मेरे पास यह बहुतायत में है। आपके पास बिल्कुल नहीं है। पाकिस्तान में राष्ट्रीय टीवी पर आपको उस बात पर हंसते हुए देखकर दुख हो रहा है जिस पर लगभग 30 साल पहले दुनिया ने हंसना बंद कर दिया था। भविष्य में कदम रखें। हम तीनों यहाँ अपना सिर ऊंचा किये एक साथ हैं।
लगता है जैसे पाकिस्तानी क्रिकेट खिलाड़ियों में एक तरह की प्रतियोगिता चल रही है कि कौन कितनी घटिया बात कह सकता है। ऐसे में पूर्व कप्तान और वर्तमान चयनकर्ता इंज़माम-उल-हक़ ने यू-ट्यूब पर एक अजीब सा बयान दे दिया जिसने भारतीय पूर्व स्पिनर हरभजन सिंह को प्रतिक्रिया देने पर मजबूर कर दिया। 

इंज़माम ने कहा, ‘मौलाना तारिक़ जमील हर रोज़ हमसे मिलने आते थे। हमारे पास नमाज़ के लिए एक कमरा था। प्रार्थना के बाद वे हमसे बात करते थे। एक या दो दिन बाद, हमने इरफ़ान पठान, ज़हीर खान और मोहम्मद कैफ़ को नमाज़ के लिए आमंत्रित किया। मैंने देखा कि दो-तीन और भारतीय खिलाड़ी भी उस नमाज सत्र में शामिल होते थे; वे नमाज नहीं पढ़ते थे, लेकिन मौलाना की बात सुनते थे।
इंज़माम ने कहा, ‘हरभजन ने एक बार मुझसे कहा था, ‘मेरा दिल कहता है कि वह (मौलाना) जो भी कहते हैं, मुझे उससे सहमत होना चाहिए। मैंने (इंज़माम) कहा, तो उनके उपदेश का पालन करो, उनकी राह पर चलो। आपको क्या और कौन रोक रहा है? फिर उसने (भज्जी) जवाब दिया, ‘मैं आपको देखता हूं और फिर मैं रुक जाता हूं। आपका जीवन ऐसा नहीं है। इसलिए, यह हम हैं जो अपने धर्म का पालन नहीं कर रहे हैं। हमें दोषी ठहराया जाना चाहिए।
इंज़माम-उल-हक़ के बारे में कहा जाता है कि वे तब्लीगी  जमात से जुड़े हैं और इस्लाम कुबूल करने के लिये दावत देना उनकी भूमिका का एक अहम हिस्सा है। कुछ पुराने पाकिस्तानी क्रिकेट खिलाड़ी अब खिलाड़ी कम और मौलवी अधिक दिखाई देते हैं।
हरभजन सिंह ने दावों का जवाब देते हुए तत्काल अपनी नाराज़गी जताते हुए ट्वीट किया, “‘ये कौन सा नशा पी कर बात कर रहे हैं? मुझे भारतीय होने पर गर्व है और मुझे सिख होने पर गर्व है। ये बकवास लोग कुछ भी बोलते हैं।
इस घटना ने 2014 की दम्बुला, श्रीलंका की याद ताज़ा कर दी। एक वन-डे मैच ख़त्म होने के बाद मैदान से ड्रेसिंग रूम की ओर लौटते समय पाकिस्तानी खिलाड़ी अहमद शहज़ाद ने मैदान में ही तिलकरत्ने दिलशान से कहा था, “तुम इस्लाम कुबूल कर लो। अगर कोई ग़ैर मुस्लिम इस्लाम क़बूल करता है, तो वो सीधा जन्नत में जाता है, चाहे उसने ज़िंदगी भर कोई भी काम किया हो।”
इसके जवाब में दिलशान ने कहा कि वे ऐसा नहीं चाहते। इस पर अहमद शहज़ाद ने कहा कि फिर आग में जाने को तैयार रहो। दोनों के बीच हुई बातचीत की वीडियो रिकॉर्डिंग मौजूद है। याद रहे  कि दिलशान मुसलमान पिता और बौद्ध माँ के बेटे हैं। शुरू में उनका नाम तुआन मोहम्मद दिलशान था। लेकिन बाद में दिलशान ने बौद्ध धर्म अपना लिया था।
पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को चाहिये कि अपने पूर्व एवं वर्तमान क्रिकेट खिलाड़ियों को ‘पब्लिक स्पीकिंग कोर्स’ अवश्य करवाए। इन खिलाड़ियों की पृष्ठभूमि चाहे कैसी भी हो, टीवी कैमरे के सामने इनका अपने पर नियंत्रण खो जाता है। वरना क्या कारण है कि खिलाड़ी चाहे किसी भी वर्ग से आए उसका अपनी ज़बान पर कतई नियंत्रण नहीं रहता। वसीम अकरम ने टिप्पणी करते हुए सटीक बात कही, “इस तरह की बातें करके अपने साथ-साथ हमारी और पाकिस्तान की बेइज्ज़ती क्यों करवाते हो?” अकरम ने आगे कहा कि भारतीय टीम अच्छा खेल रही है और इस बात के लिए उसकी तारीफ़ होनी चाहिए।
तेजेन्द्र शर्मा
तेजेन्द्र शर्मा
लेखक वरिष्ठ साहित्यकार, कथा यूके के महासचिव और पुरवाई के संपादक हैं. लंदन में रहते हैं.
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47 टिप्पणी

  1. बहुत उत्तम संपादकीय आपके द्वारा। आपको बधाई दिमागी रूप से दिवालियों की बात एकत्र कर पढ़वाने के लिए। वाकई पाकिस्तानी टीम को सभ्यता और विनम्रता के लिए कोई कोर्स अवश्य करना चाहिए।

  2. अपनी कमज़ोरियों और हार को स्वीकार नहीं करने की स्थिति में पाकिस्तान का दिमाग़ी दिवालियापन ऐसे ही उभर उभर कर सामने आ रहा है। ये वही टीम है जिसने शुरुआती जीत “हमास” को समर्पित की थी। मैदान में नमाज अदा करने वाली टीम बाद में अपना भी सफाया करवा बैठी।अपनी झुंझलाहट/ खिसियाहट को छिपाने के लिए ऊल जलूल बयानबाज़ी करके वे अपनी ही बेइज़्ज़ती करवा रहे हैं।
    भारत अपनी योग्यता से आगे बढ़ा है और बढ़ता ही रहेगा।

    सामयिक संपादकीय के लिए साधुवाद!

  3. क्या कहूँ सर हँसी तो आ रही है… रोक नहीं पाई…. इस तरह की बातें करते हुए पागलों ने कोई सीमा नहीं रखी। इतनी कुंठा केवल मूर्खों में होती है। मूर्ख और महा मूर्ख का भेद करना भी मैं भुल गई……यह संपादकीय अत्यंत प्रभावी है सर

  4. आपके संपादकीय में एक हारी हुई टीम की हताशा और कुत्सित मानसिकता को क्रमबद्ध प्रस्तुत किया गया है, जो किसी की भी आँखें खोल सकने का सामर्थ्य रखता है।
    ये कैसे लोग हैं? सच में, कई बार इनकी सोच से घृणा होती है! कोई भी राष्ट्र जब विवेक-भ्रष्ट हो जाता है तो उसके नागरिक इसी तरह का प्रलाप करते हैं।
    इस्लाम कबूल करवाने का उनका एजेंडा कभी खत्म नहीं होता। वे अब हमारे उस सिख भाई के लिए ऐसा कहने लगे हैं, जो सदैव राम-सदृश शास्त्र और शस्त्र दोनों साथ रखते हैं और अपने गुरु और ईश्वर के प्रति ‘अनन्य योगत्व’ रखते हैं।

    आज तो हम उस परमपुरुष से यही प्रार्थना करते हैं कि हमारे भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी को शक्ति दें और भारत को क्रिकेट खेल का विश्व-विजेता बना दें।

    इस संपादकीय के लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद और बधाई।

  5. पाकिस्तान एक ऐसा देश जिसकी बुनियाद ही अलोकतांत्रिक सोच और कुपमंडूक अंदाज़ से बनी है। कोई भी क्षेत्र हो इनका वही अपनी अपनी डफली अपना अपना राग।खेल में हॉकी क्रिकेट में तो यह प्रतिस्पर्धी भाव कम और घटियापन अधिक नजर आता है।गैर जिम्मेदार बयानबाजी,फिक्र कसना, ऊल जलूल बयान,,शेखचिल्ली पन की हद तक या उस से भी
    आगे,,,,एक नही दो नहीं पूरी की पूरी टीम और फैंस का भद्दे मजाक पर खिलखिलाना ताली पीटना एक पूरे असभ्य देश की सोच को बार बार बताता है।
    संपादक महोदय ने बहुत ही मर्यादित ढंग से इन सभी अमर्यादित बयान बाजी को अपने संपादकीय में साक्ष्य सहित बताया है और उसमें हर भारतवासी और खेल प्रेमी की भावनाएं परिलक्षित होती हैं।एक कहावत है कि कचरे से भी बिजली बनाना और उसका उपयोग बताना,,,संपादकीय इसी तर्ज को और तर्क को बताता है।
    एक और देसी यानी सटीक कहावत याद आई ,,,इस आलेख को पढ़ते हुए
    बिटोड़े (गोबर के उपले रखने का स्थान) के मुंह से गोसे (गोबर के उपले )ही निकलेंगे,,,यही बात अब फिलहाल की हिले दिमाग और बहके फिक्र को सही रूप से दर्शाती है।
    पुरवाई के पाठकों को इतना समीचीन सार्थक संपादकीय पढ़ने को दिया ,,उसके लिए संपादक ,संरक्षक और पूरी टीम को बधाई।

    • भाई सूर्यकांत जी आपकी टिप्पणी संपादकीय की भावना को सही मायने में पाठकों के सामने लाती है। हार्दिक आभार।

  6. बहुत अच्छा लिखा आपने, वहीं पाकिस्तानी क्रिकेटर्स की बकवास का उन्हीं के एक खिलाड़ी वसीम अकरम ने जबाव दे दिया है कि , “इस तरह की बातें करके अपने साथ-साथ हमारी और पाकिस्तान की बेइज्ज़ती क्यों करवाते हो?” अकरम ने आगे कहा कि भारतीय टीम अच्छा खेल रही है और इस बात के लिए उसकी तारीफ़ होनी चाहिए।

  7. Tejendra ji, very relevant and contemporary topic. You have well brought out the distorted thinking ,indecent and shameful conduct of Pakistani players.

    The sports champions are supposed to be kind of role models for society , especially youngsters. It is such a big let down . Voices of sanity should be many more than a single player or two.!

  8. सम्पादकीय में सूत्र वाक्य पढ़ने मिले
    ” जीत में विवेक और परिश्रम का महत्व है तो
    हार में भी संयम का आचरण होना चाहिए ।
    साधुवाद
    Dr Prabha mishra

  9. पूरी बातों के निचोड़ से मूर्खता और केवल मूर्खता टपक रही है। इन सब बातों को इतने रुचिपूर्ण रूप से आपका संपादकीय ही हम तक पहुंचाता है।
    एक जागरूक संपादक को अशेष बधाई व धन्यवाद

  10. सम्पादकीय का सीधा इशारा है कि खेल को खेल की भावना के साथ ही देखा जाना चाहिए।अनर्गल प्रलाप बंद हो।
    विभाजन की त्रासदी ने खेल की स्वस्थ भावना पर पहले काई जमा दी और अब, ये दिमाग़ सीमेंटेड हो चुक हैं।
    भारत और पाकिस्तान की संस्कृति साझी विरासत के रूप में देखने की ज़रूरत है। दोनों देशों के नागरिकों के पारिवारिक और सामाजिक रिश्ते भी साझे हैं मगर,राजनीतिक विभाजन की खाई को राजनीति ही पाटने नहीं देती।लोग धूल नहीं डालते बल्कि, घावों पर नमक छिड़ककर उन्हें और हरा कर देते हैं।
    सम्पादकीय खेल को खेल की भावना से देखे जाने की ताक़ीद कर रहा है और यही होना भी चाहिए।

    इस सौहार्द्र भावना के लिए बधाई सम्पादक जी।

    • आपने संपादकीय की भावना को पकड़ा है मीरा जी। इस सार्थक एवं सारगर्भित टिप्पणी के लिये हार्दिक आभार।

  11. क्रिकेट बोलता है पैसा बोलता है!
    महंगा है खेल…फिर भी गुल्ली डंडा छोड़ गांव गांव में गरीब बच्चा भी खेलता है…
    क्रिकेट की बेतुकी जुबानी पर आपने अच्छा लेख लिखा है बहुत-बहुत हार्दिक बधाई

  12. इज्जत बहुत महंगी होती है, सस्ते लोगों से इसकी उम्मीद न करें। बात केवल speaking की होती तो कोर्स कई थे, पर बात नियत की है, उसके लिए शायद ही कोई कोर्स है।
    वैसे ” बदनाम हुए तो क्या हुआ, नाम न हुआ” की तर्ज पर की गई इन टिप्पणियों को एक लेख में बांध आपकी कलम ने हर भारतीय की तरफ से करारा जवाब दे दिया। आपको बधाई

  13. Your Editorial of the day condemns the absurd n nasty comments made by the social media n cricket players of Pakistan.
    And well in time.
    Today most probably,India is going to win the World Cup n predictably Pakistanis may start all over again.
    Warm regards
    Deepak Sharma

    • क्षमा सहित कह रही हूँ परन्तु पीड़ित हूँ। क़रीब दो सालों से देख रही हूँ , अकेले आप अंग्रेज़ी में टिप्पणी करती हैं। वैसे आप कहानियाँ हिन्दी में लिखती हैं।
      जिस भाषा ने आपको मान सम्मान दिलाया, एक सार्वजनिक मंच पर आप उस भाषा के मान का ध्यान रखें। पहले भी कई बार लिखा है। आपने अनदेखा किया। आपसे प्रार्थना है। मेरी बात पर कृपया विचार करें।

  14. आदरणीय संपादक महोदय
    इस संपादकीय में क्रिकेट खिलाड़ियों के दिमागी दिवालियापन का दस्तावेज़ प्रस्तुत करके आपने पाकिस्तान की आर्थिक और राजनीतिक स्थिति के व्यापक प्रभाव को स्पष्ट कर दिया है।
    भारत की प्रचलित कहावत कि
    जैसा ‘खाए अन्न वैसा होए मन’
    की सार्थकता भी इन अनर्गल बयानों से पुष्ट होती है।
    रोचक , जनप्रिय संपादकीय के लिए बधाइयां।

    • सरोजिनी जी प्रयास रहता है कि संपादकीय दबाव-रहित और सत्य पर आधारित हों। हार्दिक आभार।

  15. एक failed state के बदज़ुबान खिलाड़ी अपने और अपने देश की असभ्यता का परिचय देते रहे और आप सभी का लेखा जोखा रखते रहे, धन्यवाद।
    जब आप किसी को अपशब्द कहते हैं तो आप अपनी निकृष्टता का परिचय देते हैं। नीना गुप्ता या ऐश्वर्या राय की नहीं अपनी इज़्ज़त उतारी है इन so called खिलाड़ियों/मौलवीयों ने।
    पाकिस्तान की सरकार से लेकर आम जनता तक फ्रस्टेटेड है। चंद्रयान हो या खेल सभी माैकों पर अशोभनीय प्रतिक्रिया करने की आदत है या यूँ कहें यही राष्ट्रीय चरित्र है।
    अभिषेक मनु सिंघवी, यूँ तो विवादास्पद बयान देने के आदी हैं। लेकिन यहाँ कुछ अच्छा कह कर उन्होंने अपने पाप धो लिये।
    पाकिस्तानी खिलाड़ियों की बदतमीज़ियाँ लगातार पढ़ रहे थे। लेकिन आपने सभी का सार-सार प्रस्तुत कर दिया। ताकि सभी लोग पाकिस्तान के psychopath players के बारे में आसानी से समझ सकें। अच्छे सम्पादकीयों की माला में एक और मनका जुड़ा। हार्दिक आभार।

  16. बहुत ही बढ़िया और सामयिक लिखा है आपने। अभी क्रिकेट का बुख़ार देश को अपनी गिरफ़्त में ले चुका है। इस वक़्त पर आपने ढेरों जानकारियों सहित पड़ोसी मुल्क के खिलाड़ियों की मानसिकता व्यक्त किया है।

  17. इस प्रकार की सांप्रदायिक, नस्लवादी,स्त्री विरोधी दूषित मानसिकता उस देश के समाज की संकुचित और घृणित विचारधारा को उजागर करती है, जिसे समय-समय पर विश्व ने देखा है। अंगूर खट्टे हैं की कहावत इन पर सटीक बैठती है,भारत से प्रेरित होने के स्थान पर ये केवल हमारे महान राष्ट्रनायकों उनकी प्रत्येक कार्य प्रणालियों और पद्धतियों पर आक्षेप ही तो करते आए हैं। वसीम अकरम जैसे चुनिंदा बुद्धिमानों के कारण ही आज शायद उनका अस्तित्व बचा हुआ है। यदि निंदा करना छोड़ कर यह भारतीयों से कुछ सीख ले लेते, तो शायद इनकी स्थिति आज कुछ और होती, किंतु हमारा भारत सक्षम है, प्रत्येक क्षेत्र में अपना प्रत्युत्तर देने को, सफलता का परचम लहराने को।जय हो!
    पुनः एक अच्छे संपादकीय के लिए आपको साधुवाद

  18. आदरणीय संपादक महोदय जी मुझे इसी सम्पादकीय का इंतज़ार था। वैसे यकीन करें कि आजकल लोग हंसने के लिए कपिल शर्मा का शो नही, पाकिस्तानी क्रिकेट खिलाड़ियों की टिप्पणियों का इंतजार करते हैं। मुझे लगता है कि आने वाले समय में CWC की तरह FWC (FOOLS WORLD CUP) भी होना चाहिए और जिसका कप पाकिस्तान के इन तबेले की जमात के क्रिकेटर ज़रूर जीतेंगे

  19. आदरणीय तेजेन्द्र जी!

    संपादकीय में हमारा पहला आकर्षण संपादकीय का शीर्षक ही रहता है। शीर्षक का बड़ा महत्व व आकर्षण रहता है। प्रसिद्ध निबंधकार बक्शी जी को तो अपनी रचनाओं का शीर्षक रखने में ही बहुत परेशानी आती थी। उन्हें शीर्षक रखना ही सबसे कठिन काम लगता था, इसीलिए एक बार उन्होंने अपने एक निबंध का शीर्षक ,”क्या लिखूँ” रख दिया और इस निबंध में ही इस बात को स्वीकार भी किया कि उन्हें शीर्षक चुनने में परेशानी लगती है।पर आप इस शीर्षक चयन में माहिर हैं। शीर्षक बहुत ही कम शब्दों में होता है पर अंदर की‌ विषय-वस्तु,उसके केन्द्रीय भाव का परिचायक होता है।
    हर बार की तरह इस बार का संपादकीय भी अकल्पनीय ही है। पर बात अगर पाकिस्तान की हो तो सब कुछ संभव है। इन्हें अपनी
    हार आसानी से पचती नहीं है । हार से जब दिमाग हिल ही गया है तो अच्छी बात तो सोच ही नहीं सकते ना! फिकरे ही कसेंगे और क्या करेंगे? उर्दू भाषा में जितना शऊर और अदब है ,पाकिस्तानी खिलाड़ियों की जबान में नहीं।
    अपनी कमजोरी को छुपाने के लिए कुछ तो कहना ही है, फिर वह बेतुका भी है तो क्या हुआ!
    वैसे भारत और पाकिस्तान का मैच भी किसी युद्ध से कम नहीं होता! क्योंकि इस युद्ध को जनता लाइव देख पाती है इसलिए जोश और उत्साह कुछ अधिक ही होता है।हार से खिसियाए हुए, बौखलाए हुए, खीजे हुए खिलाड़ियों का अविवेक कुछ अधिक जागृत हो जाता है।अब हिले हुए अविवेकी दिमाग से विवेकपूर्ण भाषा की उम्मीद तो रखी भी नहीं जा सकती ना! आश्चर्य तो इस बात का है कि बॉल, पिच या टॉस में बाकी किसी को कोई खोट नजर नहीं आया! और तत्काल में तो इन्हें खुद को भी नजर नहीं आया? बाद में यह सब दिमाग में कैसे उपजा?

    अब्दुल रज्जाक का ऐश्वर्या राय के लिए गलत बोलना और शाहिद अफरीदी सहित सबका ताली बजा कर हंँसना ,वह भी टीवी प्रोग्राम में !!हद दर्जे की……… कोई शब्द ही नहीं हमारे शब्दकोश में! क्या कहें? जो भी शब्द निकृष्टतम होता है वही समझा जाए!
    कुछ-कुछ इंसानियत के पैरोकार वहांँ भी हैं, यह समझ आया। वसीम अकरम औरअब्दुल रज़्ज़ाक़ का दखल देना और उनकी टिप्पणी की भर्त्सना करना जायज लगा। काबिले तारीफ!!
    आपने सही कहा तेजेन्द्र जी! कांग्रेस नेता अभिषेक सिंघवी ने सच में हर भारतवासी के दिल की बात, शराफत के साथ तल्ख़ शब्दों में दर्ज़ की!
    नीना गुप्ता की बेटी मसाबा को भी सलाम !उसने बड़ी ही शालीनता से अपनी कीमती बात फ़क्र के साथ कही।
    इंजमाम के लिए तो क्या ही कहा जाए!वह बौराया हुआ, दिग्भ्रमित,ऐसा इंसान है जो मौलवी बनने की चाह में न इधर का है ना उधर का।
    आप सही कह रहे हैं-पाकिस्तानी खिलाड़ियों को पब्लिक स्पीकिंग कोर्स की सख्त जरूरत है; किंतु उनकी धार्मिक कट्टरता व अनर्गल मिजाजी दिमाग़ हर जगह आड़े आएगा ,जिसे वे अपना स्वाभिमान समझते हैं!वर्तमान को तो सलीके से जी लें पहले !जन्नत किसने देखी है, कैसी है! और वहां आपमें जाने लायक योग्यता है भी या नहीं!

    हर खिलाड़ी के लिए अपेक्षित है, फिर चाहे वह किसी भी धर्म,जाति अथवा देश का हो ;कि वह खेल को खेल भावना से ही खेले ।अपना बेहतर देने का प्रयास करे। खेल में जीत हार स्वाभाविक है। हार सिखाती है कि प्रयासों में कमी रही ,चाहे कारण जो भी रहा हो, पर निराश न होकर बेहतर संकल्प के साथ पुनः प्रयास हो। क्योंकि-
    “गिरना नहीं है ,गिर के संभालना है जिंदगी।”
    और जीत का जश्न भी अहंकार का रूप न ले। हम संयमित रहें बस।
    हर बार की तरह बेमिसाल संपादकीय है आपकी। अब तो तारीफ के लिए नए शब्द भी नहीं शब्दकोश में!
    नीलिमा शर्मा जी का शुक्रिया जिन्होंने पुरवाई से जोड़कर पढ़ने के लिये खूबसूरत जमीन दी, इस योग्य समझा और मौका दिया।
    आभार आपका भी तेजेन्द्र जी!

  20. भाई तेजेंद्र जी ने सधे हुए शब्दों में लिखे अपने इस संपादकीय में ‘कूप मण्डूक पाकिस्तानी क्रिकेटरों’ के बयानों के बारे में अभिषेक मनु सिंघवी की टिप्पणी को उद्धृत करते हुए अपना जो खास अन्दाज़ अपनाया है वह आपकी कहानियों की ही तरह नयी व रोचक भाषा के जरिये पूरी ताकत के साथ पाठकों के ज़ेहन में टन्न से बड़ी टनकार पैदा करते हैँ। पत्रिका का हर सम्पादकीय इसी गरिमा से भरा है।

  21. बहुत सटीक और समीचीन संपादकीय लिखी है आपने l पाकिस्तानी क्रिकेटरों की बयान-बाज़ी उनके दिमागी दिवालियेपन के साथ उनकी सामाजिक और वैचारिक परिस्थितिकी भी दर्शाती है l धार्मिक कट्टरता इन्सानियत निगलने वाली पीढ़ियों में परिवर्तित होती दिखाई दे रही है l यह स्थित किसी भी परिवेश के लिए सुखकर नहीं हो सकती l अमर्यादित व्यवहार को मर्यादा में बाँधकर आपने हमारे सामने रखा l
    जन्नत धार्मिक अंधानुकरण से नहीं अपितु मानवीय मनोवृत्ति और अच्छा कर्म से प्राप्त होता है सम्भवतया य़ह बात उन्हें नहीं बताई गई l
    उनके लिए स्त्री ताहारुश के लिए खिलौना मात्र है l जिनके लिए स्त्री जोत का खेत और अधिकार की बात में आधी वोट हो , उनसे उम्मीद रखना अपने विवेक को सोने देना लगता है l कोई भी देश एवं धर्म ध्वजा वहाँ नागरिकों व मानने वाले के सोच-विचार व कर्मों के अनुसार सम्मान प्राप्त करती है l विश्व में पाकिस्तान की स्थिति किसी से छुपी हुई नहीं है l शेष ‘समझदार ‘की सुनता ही कौन है वहाँ l सादर

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