डॉ. मुक्ति शर्मा के साथ मीरा परीदा
मुझे मीरा जी का रात को फ़ोन आया, “मुक्ति मैं जम्मू आ रही हूं वैष्णो माता के दर्शन के लिए… आप मेरे रहने की व्यवस्था कर दीजिए।” 
मेरा सहज सा उत्तर था, “आप किसी होटल में क्यों रहेंगी आप मेरे पास ही रहें।” मीरा जी ने कहा नहीं तुम को दिक्कत होगी मैं होटल में ही रहना पसंद करूंगी। परंतु मैं नहीं मानी अगले दिन हम पति-पत्नी उन्हें लेने एयरपोर्ट पहुंच गए।
मीरा जी घर पहुंचीं तो मानो घर में जैसे उत्सव का माहौल बन गया था। बच्चे बहुत जल्दी उनसे घुल-मिल गये थे। उन्होंने बच्चों को ढेर सारे आशीर्वाद दिए और मुझे कहा कि मुक्ति हम तो वैष्णो माता जाने के लिये ही आए हैं, क्यों न तुम भी साथ चलो… 
हमने सुबह प्रभात में स्नान किया। गाड़ी सुबह 5:00 बजे आ गई और हम 7:00 बजे के करीब कटरा पहुंच गए। कटरा में माता के जयकारे चारों ओर सुनाई दे रहे थे। हम हेलीपैड से सांझी छत पहुंच गए।
माता के दरबार की बात ही निराली थी वहां से 3 किलोमीटर चले और माता के चरणों में पहुंच गए। वहां बहुत से भक्तों ने मीरा जी के साथ ढेरों तस्वीरें खिंचवाईं।
माता के दर्शन करने के बाद हम फिर से एक बार कटरा पहुंच गए। कटरा से गाड़ी ली और अपने घर। मुझे तो सब एक सपना सा प्रतीत हो रहा था। जब हम घर पहुंचे तो मीरा जी ने थोड़ा सा आराम किया।
परंतु लेखक के मन में तो बहुत कुछ कुलबुलाता रहता है। मैंने मीरा जी को कहा कि वे मुझे अपने बारे में कुछ बताएं। उन्होंने सहज भाव से कहा, पूछो!”… और मेरे प्रश्नों का सिलसिला शुरू हो गया। हालांकि मैं मीरा जी के जीवन पर एक किताब लिख रही हूं “मीरा की उड़ान” मगर यह बातचीत बहुत अपनी सी बन गयी। पुरवाई के पाठकों के साथ यही बातचीत साझा कर रही हूं…
प्रश्न: थर्ड जेंडर के अधिकांश लोगों की समस्याएं और कष्ट एक से लगते हैं। क्या उनका कोई हल नहीं ढूंढा जा सकता?
उत्तर : मुक्ति जी हर समस्या का हल ढूंढा जा सकता है मैं यह सोचती हूं। पहचान-पत्र, पेंशन, आवास, अस्पृश्यता सब अगर भारत सरकार की नीतियों में शामिल हो जाएं तो हमारी समस्याएं कम हो सकती हैं। समाज अगर इनके साथ प्यार से चलेगा तो सब ठीक हो जाएगा।
प्रश्न: जब अपने ही लोग आपके विरुद्ध धरना प्रदर्शन करने लगें, ऐसी स्थिति से कैसे निपटा जाए?
उत्तर: जब अपने लोग धरना प्रदर्शन करते हैं तो उससे मन को बहुत ही पहुंचती है मैं भी उनके साथ भीख मांगती थी मदद के लिए गई परंतु मुझे यह लगता है कि शिक्षा उनको सही दिशा प्रदान कर सकती है। यौन कार्य करना आने वाली पीढ़ी के लिए ठीक नहीं गलत है। जहां दो बर्तन होते हैं वे टकराते ही हैं। उनको समझाते हैं अर्थात उनको शिक्षा की ओर प्रेरित करते हैं। उनकी समस्याओं को सुनते हैं आपस में बैठकर बातचीत करते हैं ताकि इससे निपटा जाए। 
प्रश्न: राजनीतिज्ञ इस समस्या के प्रति संवेदनशील हैं या केवल lip service हो रही है?
उत्तर: क्षेत्रीय दल, राष्ट्रीय पार्टी, ध्यान दे रहे हैं परिवर्तन हो रहा है सभी पार्टियां संवेदनशील हैं। नवीन पटनायक जी ने बहुत सा काम किया है… किन्नरों के लिए घरों की व्यवस्था की पेंशन की व्यवस्था की, हमारे प्रति राजनीतिज्ञों के बहुत से उपकार है जिनके माध्यम से आज हम सिर उठा कर जी रहे हैं।
प्रश्र: तीसरे लिंग की समस्याओं पर लेखक भी लिख रहे हैं और किन्नर समाज भी। क्या आपको लगता है इससे लोगों में जागरूकता बढ़ेगी?
उत्तर: जी क्यों नहीं जागरूकता बढ़ेगी प्रत्येक लड़ाई कलम की सहायता से जीती जा सकती है। किन्नर समाज भी अपने बारे में लिख रहा है मुझे लगता है कि जो सच्चाई किन्नर समाज के लोगों को पता है उनकी लेखनी के माध्यम से वह समाज तक पहुंचेगी लोगों के अंदर जो भ्रम फैला हुआ है वह दूर हो जाएगा। जैसा कि कहा जाता है कि किन्नर जब मर जाता है तो उसे चप्पलों से मारा जाता है। यह असत्य है ऐसा कुछ भी नहीं है। साहित्यकारों से मेरा अनुरोध है कि वह पहले अच्छे ढंग से बात की जड़ तक जाएं फिर लिखे तभी जागरूकता बढ़ेगी।
प्रश्न: क्या भारत के हर राज्य में थर्ड जेंडर की समस्याएं अलग-अलग हैं या एक ही हैं?
उत्तर: भारत अलग-अलग भाषाओं का देश है। चार कोस पर पानी बदले 8 कोस पर वाणी। तो हर राज्य में स्थिति जो है अलग है किसी जगह स्थिति बहुत खराब है कुछ जगह सुधार है अधिकार की लड़ाई परंतु एक है। इसलिए अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग समस्याएं हैं परंतु नारा हमारा एक ही है कि हमारा समाज ऐसा बने हमसे कोई भेदभाव नहीं रखें। हम भी सिर उठाकर जी सकें।
प्रश्न: एक किन्नर का जीवन बिताने के बाद अचानक विवाहित जीवन कैसे अनुभव देता है?
उत्तर: विवाह का मतलब एक दूसरे की प्रत्येक समस्या में साथ खड़े होना है। मुझे भी शादी करके ऐसा लगा कि कोई मेरे पीछे खड़ा है मेरे दुख-सुख में मेरे साथ है। ऐसा कोई होना चाहिए जिससे हम अपने मन के भावों को बता सके हमारे बुढ़ापे का सहारा बन सके एक जीवन साथी चुनना हर इंसान का हक है तो मैं भी अपने आप को इंसान ही मानती हूं। आखिर मैं भी तो इंसान हूं। मेरी भी ख्वाहिश है मेरेवभी कुछ अरमान है।

प्रश्न: थर्ड जेंडर के बच्चों की शिक्षा को लेकर आपके मन में क्या योजनाएं हैं?
उत्तर; शिक्षा प्रत्येक बच्चे का हक है तो मैं चाहती हूं कि थर्ड जेंडर के बच्चों को भी शिक्षा मिले वह किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं रहने चाहिए। जिस प्रकार जिंदा रहने के लिए कपड़ा, रोटी, मकान जरूरी है उसी प्रकार शिक्षा भी जरूरी है उनके साथ कोई भेदभाव ना हो उन्हें अच्छी शिक्षा मिले। तभी हमारे समुदाय का नाम बढ़ेगा। और हमारा समुदाय तरक्की कर सकेगा।
प्रश्न: आप एक किन्नर हैं, आप राजनीति में कैसे आईं?
उत्तर: यह किस किताब में लिखा है कि किन्नरों को राजनीति में नहीं आना चाहिए अगर हम लोगों को आशीर्वाद दे सकते हैं लोगों की जिंदगी बदल सकते है। वैसे भी मैं बचपन से मेरी जिद थी। प्रत्येक चुनौती का डटकर मुकाबला करना। और मैंने सफलता हासिल की और लोगों को करके दिखाया। आज मैं एक राजनेता भी हूं और अपने समुदाय के लोगों के लिए लड़ रही हूं। मेरा मकसद उन्हें हक दिलाना है अगर मैं सत्ता में होंगी तो तभी मैं उनके सपनों को साकार कर पाऊंगी।

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