पुस्तक समीक्षा – इमली का चटकारा लेखिका – डॉ. योजना साह जैन, बर्लिन, जर्मनी
समीक्षक – सुधा जुगरान, देहरादून, उत्तराखंड 
प्रभात प्रकाशन से प्रकाशित डॉ. योजना साह जैन का 12 कहानियों का संग्रहइमली का चटकारा‘ का शीर्षक पढ़ने में थोड़ा हैरत में डालता है। लेकिन जल्दी ही इस शीर्षक के पीछे छिपा गहरा भाव समझ में जाता है। अधिकतर कहानियाँ स्त्री प्रधान हैं। समाज की आधी आबादी का जीवन तो यों भी इमली सा खट्टामीठा होता है फिर स्त्री यदि कामकाजी है तो उसके जीवन में इमली का चटकारा भले ही हो पर इमली की खटास भी हर क्षण रहती है। 
पहली ही कहानी से योजना जैन जी के स्पष्ट होते तेवरों से समझ में जाता है कि हम एक बहुत बेहतरीन कहानियों का संग्रह पढ़ने जा रहे हैं। जर्मनी में रहते हुए वे जिस तरह से भारत की पृष्ठभूमि पर आधारित छोटी से छोटी समस्या को उठाती हैं वह उनकी सशक्त कलम की परिचायक है। पहली कहानीआंदोलनछोटी सी कहानी है लेकिन बहुत गहराई से बड़ी बात कह देती है। आए दिन अपने हक, अपनी मांगों को लेकर आंदोलन करने वालों को सड़कों पर उतारने के पीछे मंतव्य चाहे जो भी रहता हो लेकिन जब उस आगजनी और लूटपाट में नुकसान एक गरीब की रोजी रोटी का होता है, एक गरीब की ठेली भेंट चढ़ती है तो वह अपने हक के लिए गुहार आखिर कहाँ लगाए। उसकी आवाज सुनने वाला कोई नहीं होता। लेकिन यह भी सच है कि गरीब के पास खोने के लिए भी अधिक कुछ नहीं होता। अमीर लोग पॉजिटीविटी, सकारात्मकता, की बातें करते हैं। पैसे खर्च कर मोटीवेशनल स्पीच सुनने जाते हैं पर आत्महत्या भी ज्यादातर यही लोग करते हैं। गरीब फिर उठ खड़ा होता है। बड़ी से बड़ी मुश्किलें भी झेल जाता है। खोने के लिए जब कुछ अधिक हो ही तो उठना भी आसान हो जाता। कहानी में समस्या है दर्द है और अंत एक दार्शनिकता के साथ होता है
 “प्यार की हर हद को पार कर गुजर जाते हैं कुछ लोग
जाने किस पागल ने दुनिया भर में ये दीवारें बनाई हैं
कुछ ऐसा ही संदेश देती है कहानी, ‘एक पुरानी चिट्ठी पतिपत्नी के रिश्ते में बाल बराबर बात भी अविश्वास पैदा कर देती है फिर दोनों अगर नए नवेले हों और पत्नी को पति की पूर्व प्रेमिका की तीन साल पहले की चिट्ठी मिल जाए तो रिश्ता टूटने का खतरा पक्का हो जाता है लेकिन कैसी थी सारिका की वह चिट्ठी जिसने सलोनी समीर को प्रेम विश्वाश के नए मजबूत बंधन में बांध दिया। एक बेहद खूबसूरत रूहानी प्रेम के भावों को जगाती कहानी जो अपनी सरसता के कारण दिल में उतर जाती है।
लेडीज बाथरूमकहानी नहीं बल्कि एक जीता जागता चित्रण है उन व्यस्ततम संकरे बाजारों का जो बाहर से खूबसूरत दिखते मिलेनियल शहर के दिल में बसते हैं जहां मिडिल क्लास के लिए जो फैशनेबल है, ब्रांड कॉन्शियस है ,जिनके सपने हाई हैं पर बजट टाइट है उनके लिए यहाँ मौजूद शोरूम में शौक पूरा करने की बेस्ट जगह है। इन बाजारों में ही त्यौहारों में सबसे अधिक रौनक होती है। और इन बाजारों की दुकानों में काम करने वाले अनेकों सेल्स ब्वाय सेल्स गर्ल्स होती हैं। ऐसी ही एक सेल्स गर्ल कविता के बहाने लेखिका ने एक एक महिला की बाथरूम संबंधी मुश्किल को इतनी स्वाभाविकता से उठाया है कि कविता की समस्या जैसे खुद की समस्या लगने लगती है जिसे बाथरूम संबंधी जरूरत के लिए दिन भर में 5-6 बार एक किलोमीटर  दूर जाना पड़ता है  और एक मात्र सुलभ शौचालय की गंदगी बर्दाश्त से बाहर होती थी। एक बाथरूम की समस्या इतनी बड़ी हो जाती है कि वह नौकरी तक छोड़ने को तैयार हो जाती है।
शीर्षक कहानी, ” इमली का चटकारानायिका के नजरिए से बहुत सी आवश्यक बातें कह जाती है, सच कहें तो जीवन जीने की सीख दे जाती है , जैसे– ‘कितने तामझाम पाल रखें हैं हमने खुश होने के इर्दगिर्द।  बहुत सारी शर्तें पूरी होनी चाहिएशादी हो या नौकरी लगे, पैसे आएं, मकान बने, नई गाड़ी खरीदें वगैरह। अंतहीन खुशियों की लिस्ट‘ 
खुश होना इतना मुश्किल क्यों है और एक लड़की के लिए और भी मुश्किल। एक आम लड़की की  शादी जल्दी करने के चक्कर में उसके सपने छीन लिए जाते हैं और विवाह के बाद उसकी जिंदगी का उद्देश्य माँ बनना। और अगर यह नहीं तो उसे खुश रहने का भी अधिकार नहीं है। जबकि वह इसके बावजूद भी खुश रहना चाहती है। एक जिंदादिल लड़की की तरह कहानी की नायिका कंचन भी खुश रहना चाहती है, उसे आज भी इमली, खटाई अचार अच्छा लगता है, उसे आता है खुश रहना लेकिन तानों की मार उससे उसकी खुशियाँ छीन लेती है। कहानी का शीर्षक बहुत ही अलग है। क्यों कि जिंदगी के सुख दुख खट्टी मीठी इमली की तरह है।
येलेना माँ बनना चाहती हैहर स्त्री का मां बनना स्वाभाविक है और अधिकार भी लेकिन कुछ लोगों के लिए यह प्राकृतिक खुशी विशेष क्यों हो जाती ऐसा ही होता है येलेना के साथ जब वह मात्र 6 साल की होती है। अपने मातापिता के साथ अपनी आंटी को मिलने प्रिप्यात आई थी। प्रिप्यात चेर्नोबिल न्यूक्लियर पावर प्लांट से लगा कस्बा है। एक रात चेर्नोबिल न्यूक्लियर पावर प्लांट में धमाका हो जाता है इंसान की एक छोटी सी गलती सदी की सबसे बड़ी तकनीकी गलती बन जाती है। एक ऐसी वैज्ञानिक आपदा जो जाने आने वाली कितनी पीढ़ियों की तकदीर बदल देती है। 
इसी रेडियोएक्टिव रेज के कारण बहुत से लोग भयानक मृत्यु को प्राप्त होते हैं। समय बीतते येलेना के मातापिता की भी मृत्यु हो जाती है। खुद येलेना भी आधे अधूरे शरीर के साथ बड़ी होती है। वह मां बनना चाहती है। बहुत जतन के बाद ऐसा मौका आता है तो उसे पता चलता है कि उसके गर्भ में भी अधूरी संतान है। वह उसे खत्म करना चाहती है लेकिन उसकी फ्रेंड उसे बचा लेती है और हिम्मत बंधाती है और दोनों मिल कर बच्ची को बड़ा करते हैं। 
बेहद मार्मिक कहानी है आधुनिक वैज्ञानिक  तकनीक पर येलेना के बहाने कई सवाल उठाती है एक दारुण दृश्य प्रस्तुत करती है। जो मन को भिगो देता है। इतनी अच्छी सशक्त रचना के लिए योजना जी बधाई की पात्र हैं।
श्रंखला की अधूरी कहानी”  एक ऐसी कहानी है जो हर दूसरे मध्य या निम्न वर्गीय युवाओं की हो सकती है।  यह कहानी एक बेहद महत्वाकांक्षी मध्य वर्गीय युवती की है। जो छोटे शहर में रहती है उसे दिल्ली शहर में रहने वाली अपनी अमीर बुवा दिल्ली शहर की चमक दमक लुभाती है। वह शानदार जीवन जीने के ऊंचे ऊंचे ख्वाब देखती है और येन केन प्राकरेण उन्हें पूरा करना चाहती है। लेकिन सपने क्या ऐसे पूरे हो पाते हैं? आज यह कहानी हर दूसरे युवा की है। सपनों के पीछे बिना सोचे समझे पंखों की मजबूती तोले बिना उड़ने की तड़फ जनून कइयों से उनका सुख संतोष छीने ले रही है। क्योंकि सभी के सपने मंजिल तक नहीं पहुंच पाते हैं हालांकि कहानी का अंत कुछ अलग है कहानी तक ही सीमित है लेकिन पूरी कहानी का ट्रीटमेंट बहुत कुछ सोचने को मजबूर करता है।
 कॅरियर वूमन की जिंदगी की कशमकश पर पर लिखी एक बहुत ही उत्कृष्ट रचना, “कॅरियर वूमन घर में काम करने वाली एक नैनी भी अपनी नौकरी के लिए अपना परिवार बच्चे को छोड़ कर आती है और घर में नैनी के भरोसे अपना बच्चा छोड़ कर उच्च पद पर काम करने वाली एक लड़की को एक स्तर पर नहीं आंका जा सकता, लेकिन फिर भी कौन सी समानता है उन दोनों के बीच में। एक सफल मगर शक्ल सूरत से साधारण लड़की एक खूबसूरत लेकिन अपने से कम योग्य लड़के को जीवन साथी के रूप में चुन लेती है। कंपनी की आर्थिकी मैनेज करने वाली लड़की का पैसा उसका पति मैनेज करता है। कंपनी की मीटिंग में धाराप्रवाह बोलने वाली लड़की घर में कंट्रोल करने वाले नेचर के पति के सामने चुप रहती है लेकिन बाहर की दुनिया में भी कितने हैं जो उसकी उस अथक मेहनत काबलियत को समझ पाते हैं? निशाना हमेशा उसके चरित्र को बनाया जाना आसान रहता है। पुरुष हमेशा सचरित्र ही रहता है। एक करियर वूमन के लिए हर तरफ एक कारागार है जिसे उसे रोज तोड़ना है। बहुत ही खूबसूरत ज्वलंत मुद्दे पर लिखी कहानी। लेखिका को साधुवाद।
 आज के वर्किंग कपल पर लिखी एक बहुत ही खूबसूरत कहानी, “विल यू बी माय वेलेंटाइन जो समस्या को बहुत खूबसूरती उठाती है और अंत में पाठकों को जज्बाती बना भावनाओं में बहा ले जाती है। मोटी सेलरी पाने वाले युवा कपल के पास आज सब कुछ है लेकिन अगर नहीं है तो एक दूसरे के लिए टाइम। और अगर दोनों में से एक अधिक सफल व्यस्त हो जाता है तो दूसरा उससे कुछ मधुर सुनने का इंतजार करता ही रह जाता है। ऐसे ही कपल हैं रिया और रितुल। दोनों साथ पढ़े। भरपूर टाइम एकदूसरे के लिए, भरपूर चाहत फिर शादी के बाद भी कुछ साल तक सब अच्छा रहा लेकिन रिया की अति महत्वाकांक्षाओं सफल करियर ने उनके बीच शून्यता को जन्म दे दिया। वेलेंटाइन डे पर रितुल रिया से घर पर रुकने का इसरार करता है लेकिन उसकी जरूरी मीटिंग है। पर उस दिन कुछ ऐसा होता है जो रिया को रियलाइज कराता है कि वह सफलता की बहुत बड़ी कीमत अदा कर रही है। मीटिंग में वह सिंगापुर जाने का ऑफर ठुकरा कर बुके लेकर रितुल के पास जाकर कहती है, ‘विल यू बी माय वेलेंटाइन? ज्वलंत समस्या पर लिखी बहुत भावपूर्ण रचना।
समीक्षक – सुधा जुगरान, देहरादून, उत्तराखंड
विगत 30 वर्षों से राष्ट्रीय स्तर की साहित्यिक गैर साहित्यिक पत्रिकाओं में निरंतर रचनाएं प्रकाशित। कई कहानी संग्रह और एक उपन्यास प्रकाशित साहित्यिक पत्रिका पुष्पगंधा द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय कहानी प्रतियोगिता-2020 में द्वितीय पुरस्कार। सलिला शिखर सम्मान-2021 का कहानी विधा मेंगली आगे मुड़ती हैको, सलिला साहित्य रत्न अलंकरण सम्मान। साहित्य मंडल संस्था राजस्थान द्वारा,  ‘साहित्य सौरभ’ 2022  की मानद उपाधि। शब्द निष्ठा सम्मान -2022 में, कहानीइक्कीसवीं सदी की नायिकापुरस्कृत समयसमय पर विभिन्न पत्रिकाओं द्वारा आयोजित कहानी प्रतियोगिता में कहानियां पुरस्कृत।
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लेखिका परिचय – डॉ योजना साह जैन कॉरपोरेट लीडर और उद्यमी होने के साथ ही एक प्रसिद्ध लेखिका और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर एक लोकप्रिय वक्ता और कवयित्री हैं। योजना फार्माकोलॉजी में डॉक्टरेट हैं और दो दशकों से भारत और जर्मनी में फार्मास्युटिकल और हेल्थकेयर सेक्टर में काम कर रही हैं। वर्तमान में, वह हेल्थकेयर टेक्नोलॉजी कंपनी हेल्थप्रेक्ष की संस्थापक और सीईओ हैं। 
इनका कविता संग्रह “कागज पे फुदकती गिलेहरियां” 2019 में “भारतीय ज्ञानपीठ” द्वारा प्रकाशित किया गया था। “इमली का चटकारा” योजना का पहला कहानी संग्रह है। समय-समय पर योजना के लेख, कविता और कहानियाँ विभिन्न प्रतिष्ठित पत्रिकाओं, समाचार पत्रों में प्रकाशित होती रहती हैं। दुनिया भर में आयोजित कई कवि सम्मेलनों, लेखन कार्यशालाओं और सम्मेलनों में इनकी भागीदारी रही है। 
डॉ. योजना को उनके अकादमिक, नेतृत्व, साहित्यिक और सामाजिक गतिविधियों के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।  

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