होम कविता नंदिनी हर्ष के दोहे कविता नंदिनी हर्ष के दोहे द्वारा नंदिनी हर्ष - May 24, 2020 161 0 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet सूखे पत्ते से कही,डाली ने यह बात! यह ही जीवन चक्र है,जो आवत सो जात! शब्दों में ढूँढो नहीं,समझो पढ़कर मौन! मन की बातें शब्द में,कह पाया है कौन!! अपनी अपनी सब कहें,बजा बजा कर ढोल! औरों के दुख दर्द का,नहीं किसी को मोल!! कहते कहते थक गयी, समझ न पाये बात! भावशून्य होने लगी,शायद मानव जात!! चुपके चुपके याद का,ऐसा हुआ प्रभाव! हरे भरे से हो गए,दिल के सूखे घाव!! कैसे कह दें हम भला,उन्हें गए हैं भूल! नागफनी यादें हुईं,आँसूं निकले शूल!! छत पर छिटकी चाँदनी, आँगन में अँधियार! बोलो जीवन मे भला,कैसे हो उजियार!! नैना नैनों से करें,जब मनवा की बात! समझो तब होने लगी,प्रेम सुधा बरसात!! दूरी से घटती नहीं,जिसके मन की आस! उसके रिश्ते में बसा, नेह, सुकून,विश्वास!! झरने सी मेरी हँसी, पीछे पीर अपार! भावों के इस मेल को,कब समझा संसार!! संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं वंदना यादव की कविता – आज मुझे दर्शक दीर्घा से कुछ लोग दिखे रेखा भाटिया की कविता – लैंप पोस्ट के पास सरोजिनी पाण्डेय की कविता – जीवन का पाथेय Leave a Reply Cancel reply This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.