होम कविता नंदिनी हर्ष के दोहे कविता नंदिनी हर्ष के दोहे द्वारा नंदिनी श्रीवास्तव - May 24, 2020 214 0 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet सूखे पत्ते से कही,डाली ने यह बात! यह ही जीवन चक्र है,जो आवत सो जात! शब्दों में ढूँढो नहीं,समझो पढ़कर मौन! मन की बातें शब्द में,कह पाया है कौन!! अपनी अपनी सब कहें,बजा बजा कर ढोल! औरों के दुख दर्द का,नहीं किसी को मोल!! कहते कहते थक गयी, समझ न पाये बात! भावशून्य होने लगी,शायद मानव जात!! चुपके चुपके याद का,ऐसा हुआ प्रभाव! हरे भरे से हो गए,दिल के सूखे घाव!! कैसे कह दें हम भला,उन्हें गए हैं भूल! नागफनी यादें हुईं,आँसूं निकले शूल!! छत पर छिटकी चाँदनी, आँगन में अँधियार! बोलो जीवन मे भला,कैसे हो उजियार!! नैना नैनों से करें,जब मनवा की बात! समझो तब होने लगी,प्रेम सुधा बरसात!! दूरी से घटती नहीं,जिसके मन की आस! उसके रिश्ते में बसा, नेह, सुकून,विश्वास!! झरने सी मेरी हँसी, पीछे पीर अपार! भावों के इस मेल को,कब समझा संसार!! संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं लता तेजेश्वर ‘रेणुका’ की कविता – समुद्री उफान अमित ‘अनहद’ की कविताएँ हरदीप सबरवाल की कविताएँ कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.