14 नवंबर को जामिया मिल्लिया विश्विविद्यालय की हिन्दी विभाग की अध्यक्ष इन्दु विरेन्द्र ने सूचित किया है कि वे ब्रिटेन के प्रवासी साहित्य पर एक संगोष्ठी का आयोजन करने जा रही हैं जिसमें पुरवाई पत्रिका की वेबसाइट का लोकार्पण भी किया जाएगा।

आम तौर पर भारत में हिन्दी की गतिविधियां सितम्बर महीने में अधिक दिखाई देती हैं क्योंकि हिन्दी दिवस 14 सितम्बर को होता है और हर संस्था के पास हिन्दी दिवस मनाने का बजट भी होता है। इन दिनों मुख्य अतिथियों का हाल कुछ वैसा ही होता है जैसा कि श्राद्ध के दिनों में ब्राह्मण देवता का!

फिर चाहे बैंक हों या कॉलेज, सरकारी दफ़्तर हों या विश्वविद्यालय हर जगह मारा मारी चल रही होती है। कवि सम्मेलनों की धूम मच जाती है और एक पखवाड़े के लिये हिन्दी सचमुच भारत की राष्ट्रभाषा महसूस होने लगती है। यह हर साल होता है… हिन्दी की दुकानें सजती हैं… माल बंटता है बिकता है और हिन्दी वापिस अपनी जगह पहुंच जाती है जहां 14 सितम्बर से पहले होती है।

मगर इस बार कुछ निजी और कुछ संस्थागत कार्यक्रमों एवं सम्मेलनों के आयोजन का समय नवम्बर में चुना गया है। दो साहित्यिक महाकुम्भ हो रहे हैं – एक भोपाल में और दूसरा राजधानी दिल्ली में।  

आजतक टीवी चैनल ने जयपुर लिट्रेचर फ़ेस्टिवल के मुक़ाबले दिल्ली में साहित्य आजतक की शुरूआत की थी जो आज एक महत्वपूर्ण आयोजन बन गया है। किसी भी साहित्यकार के लिये इस कार्यक्रम में निमंत्रित होना जैसे सम्मान का विषय बन गया है। भाई संजीव पालीवाल इस फ़ेस्टिवल के मुखिया  और नेहा शर्मा इस कार्यक्रम की सूत्रधार के रूप में मौजूद रहते हैं। 

इस बार यह कार्यक्रम एक से तीन नवम्बर तक दिल्ली के इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (I.G.N.C.A.) में आयोजित किया जाएगा। इसमें भारत के भिन्न शहरों के साहित्यकार एवं सिनेमा से जुड़े लेखक भाग लेंगे। दरअसल इस सम्मेलन में भाग लेने वालों की सूची में इतने महत्वपूर्ण नाम शामिल हैं कि लगता है कि आने वाले दिनों में यह जयपुर लिट्रेचर फ़ेस्टिवल को कहीं पीछे छोड़ जाएगा। सबसे बड़ी बात है कि वाचिक परम्परा में सब खुले मैदान में होता है और एक ही समय में अलग अलग विधाओं के कार्यक्रम साथ साथ चलते रहते हैं। 

शायद पहली बार ऐसा हुआ है कि भारत के बाहर से भी तीन लेखकों को इस सम्मेलन के लिये बुलाया गया है जिसमें बर्मिंघम (यू.के.) से उपन्यासकार संदीप नय्यर और ऑस्ट्रेलिया से मृदुल कीर्ति भी शामिल हैं। यह भारतेतर लेखकों के लिये एक नई राह खुली है। आहिस्ता आहिस्ता अमरीका, कनाडा, युरोप एवं खाड़ी देशों के लेखक भी इस सम्मेलन में शिरकत कर सकेंगे। 

दूसरा महत्वपूर्ण और विशाल आयोजन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में आयोजित किया जा रहा है। यह आयोजन दरअसल इस वक्त भी चल ही रहा है। इसकी शुरूआत तो 11 अक्तूबर को ही साहित्य अकादमी के हॉल से हो गयी थी। इस सम्मेलन में 60 सत्र और 200 से अधिक वक्ता होंगे।

भारत, अमरीका, कनाडा, ब्रिटेन और यूरोप के साहित्यकार इस महायज्ञ में शामिल होने को पहुंच रहे हैं। और महत्वपूर्ण बात यह है कि टैगोर इंटरनेशनल लिट्रेचर एण्ड आर्ट्स फ़ेस्टिवल ‘विश्व रंग’ के लिये विदेश से आमंत्रित साहित्यकारों को उनके शहर से भोपाल आने जाने की हवाई यात्रा की टिकट और रहने के लिये प्लाश जैसे लोकप्रिय होटल में इन्तज़ाम किया गया है। 

हिन्दी के साहित्यकारों को पहली बार किसी संस्था ने इतने बड़े पैमाने पर सम्मानजनक तरीके से बुलाया है और इस सबके लिये भाई संतोष चौबे और उनकी पूरी टीम बधाई की पात्र है। 

इस सम्मेलन में भारत के भिन्न साहित्यकारों को अलग अलग सम्मानों से अलंकृत किया जाएगा। अच्छा रहता कि किसी भारतेतर साहित्यकार को भी इस क़ाबिल समझा जाता कि उसे भी उन साहित्यकारों के समकक्ष रखा जा सकता है। मुझे पूरी उम्मीद है कि भविष्य में होने वाले आयोजनों में इस पर अवश्य विचार किया जाएगा। ब्रिटेन से इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिये उषा राजे सक्सेना, दिव्या माथुर, ललित मोहन जोशी, जय वर्मा आदि पहुंच रहे हैं तो डेनमार्क से अर्चना पेन्युली भी अपनी बात कहने के लिये उपस्थित रहेंगी। 

इसके अतिरिक्त 4 नवंबर को आगरा के अम्बेडकर विश्वविद्यालय में प्रवासी साहित्य पर एक सम्मेलन प्रो. प्रदीप श्रीधर आयोजित कर रहे हैं जिसकी मुख्य अतिथि अमरीका की सुषम बेदी हैं। इस कार्यक्रम में प्रवासी साहित्य के विमर्शों पर बात होगी। 

दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज की प्राचार्या डॉ. रमा ने सूचित किया है कि 5 नवंबर 2019 को दोपहर 12.30 बजे हिन्दी सिनेमा के महानतम गीतकार शैलेन्द्र पर लिखी गयी पुस्तक – धरती कहे पुकार के (संपादक – इन्द्रजीत सिंह) का लोकार्पण किया जाएगा। कार्यक्रम में मैनेजर पाण्डेय, असग़र वजाहत, नरेश सक्सेना एवं ओम निश्चल शिरक करेंगे। संचालन करेंगे महेन्द्र प्रजापति।

वहीं 11 और 12 नवंबर को तिरुअनन्तपुरम में इंदु के.वी. एक दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन कर रही हैं जिसका विषय है – प्रवासी साहित्य की सांस्कृतिक उपलब्धियां। इसमें ब्रिटेन और मॉरीशस के अतिरिक्त भारत के साहित्यकार एवं आलोचक भाग ले रहे हैं।  

और फिर 14 नवंबर को जामिया मिल्लिया विश्विविद्यालय की हिन्दी विभाग की अध्यक्ष इन्दु विरेन्द्र ने सूचित किया है कि वे ब्रिटेन के प्रवासी साहित्य पर एक संगोष्ठी का आयोजन करने जा रही हैं जिसमें पुरवाई पत्रिका की वेबसाइट का लोकार्पण भी किया जाएगा। 

मुझे पूरी उम्मीद है कि मैं इन सभी आयोजनों में शामिल रहूंगा और आपको भारत से वापिस लंदन आकर पूरी रिपोर्ट दूंगा।

लेखक वरिष्ठ साहित्यकार, कथा यूके के महासचिव और पुरवाई के संपादक हैं. लंदन में रहते हैं.

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