होमग़ज़ल एवं गीतडॉ मनीष कुमार मिश्रा की ग़ज़ल ग़ज़ल एवं गीत डॉ मनीष कुमार मिश्रा की ग़ज़ल By संदीप तोमर March 30, 2024 3 110 Share FacebookTwitterPinterestWhatsApp महीना वही पर मौसम अलग सा है यह नवंबर कहां तुम्हारी महक सा है। सबकुछ तो है मगर जैसे फीका सा है जिंदगी के जायके में तू नमक सा है। जिसे गुनगुनाना चाहता हूं हरदम मैं हमदम तू बिलकुल उस ग़ज़ल सा है। निहारता हूं अकेले में अक्सर चांद को यकीनन वह तेरी किसी झलक सा है। मैं अब तुम्हें पाऊं तो भला पाऊं कैसे एक कतरा हूं मैं और तू फलक सा है। डॉ मनीष कुमार मिश्रा विजिटिंग प्रोफेसर ( ICCR HINDI CHAIR ), ताशकंद स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ ओरिएंटल स्टडीज़, ताशकंद, उज्बेकिस्तान Share FacebookTwitterPinterestWhatsApp पिछला लेखडॉ. मधु संधु की कलम से ‘जोया देसाई कॉटेज’ की समीक्षाअगला लेखसंदीप तोमर की कहानी – अहसासों के दरमियान संदीप तोमर RELATED ARTICLES ग़ज़ल एवं गीत सुमन शर्मा की ग़ज़लें July 20, 2024 ग़ज़ल एवं गीत सोनिया सोनम की ग़ज़ल July 20, 2024 ग़ज़ल एवं गीत अनिला सिंह चाढ़क की ग़ज़लें July 13, 2024 3 टिप्पणी अच्छी ग़ज़ल है मनीष जी आपकी! जवाब दें आभार। जवाब दें अच्छी ग़ज़ल जवाब दें कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें टिप्पणी: कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! नाम:* कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें ईमेल:* आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें वेबसाइट: Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed. Most Popular कविताएँ बोधमिता की November 26, 2018 कहानीः ‘तीर-ए-नीमकश’ – (प्रितपाल कौर) August 5, 2018 ‘हयवदन’ : अस्मिता की खोज May 2, 2021 विनीता परमार की कहानी – घोषा April 12, 2020 और अधिक लोड करें Latest लालित्य ललित का व्यंग्य – पांडेय जी सम्मान मंडी में July 20, 2024 संजय अनंत की तीन कविताएँ July 20, 2024 उपासना सियाग का लेख – केमद्रुम योग July 20, 2024 नरेंद्र कौर छाबड़ा की कहानी – वापसी July 20, 2024 और अधिक लोड करें
अच्छी ग़ज़ल है मनीष जी आपकी!
आभार।
अच्छी ग़ज़ल