डॉक्टर महिपाल वर्मा ने 20 वर्ष पहले एक सपना देखा था। अपनी साहित्यकार पत्नी जय वर्मा के साथ मिल कर नॉटिंघम में पहली ऐसा संस्था की शुरूआत की जो हिन्दी साहित्य और भारतीय संस्कृति से जुड़े कार्यक्रमों का आयोजन एक बड़े स्तर पर करे। उनके सपने काव्य रंग की बीसवीं वर्षगाँठ हाल ही में नॉटिंघम में मनाई गई। पेश है जय वर्मा जी द्वारा लिखित रिपोर्ट :

काव्य रंग की बीसवीं वर्षगांठ पर 17 मार्च, 2024 को इंग्लैंड के प्रसिद्ध साहित्यिक शहर नॉटिंघम के हिन्दू टेमपल में कवि सम्मेलन एवं पुस्तक विमोचन का आयोजन सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर ‘काव्य रंग स्मारिका’ का भी विमोचन किया गया, जिसमें काव्य रंग संस्था के बीस वर्षों की साहित्यिक गतिविधियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। ख़ास बात यह रही कि इसे हिन्दी एवं अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में प्रस्तुत किया गया। ध्यातव्य है कि काव्य रंग एक बहुभाषीय संस्था है, जिसमें विविध भाषाओं जैसे- हिन्दी, उर्दू, पंजाबी एवं अंग्रेज़ी के रचनाकार अपना साहित्य रचते हैं। संस्था का उद्देश्य विशेषकर नए रचनाकरों को प्रोत्साहित करना तथा वरिष्ठ लेखकों के प्रेरणात्मक कार्यों को आगे बढ़ना है। संस्था की सक्रियता का श्रेय इनके सदस्यों के साहित्य समर्पण एवं भाषा-प्रेम को जाता है। काव्य रंग संस्था द्वारा विविध भाषाओं के प्रति अनुराग मानवता का एक विशिष्ट दृष्टांत है।
हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषाओं के प्रचार-प्रसार हेतु इस साहित्यिक संस्था की स्थापना 7 नवम्बर, 2003 को ब्रैनकोट मेमोरियल हॉल, नॉटिंघम में हुई थी। जिसमें गैडलिंग के मेयर डॉ. राज चन्द्रन, भारतीय उच्चायोग, लंदन के हिन्दी एवं संस्कृति अधिकारी श्री अनिल शर्मा, CGI बर्मिंघम से काउंसिल जेनरल श्री एन. पी. शर्मा, गीतांजलि बहुभाषीय समुदाय, बर्मिंघम से डॉ. कृष्ण कुमार, कथा यूके से श्री तेजेन्द्र शर्मा एम.बी.ई., यूके हिन्दी समिति से डॉ. पद्मेश गुप्त, बर्मिंघम की महाकवि जूली बोडन, गीतांजलि समुदाय के कवि, लेखक एवं अन्य विद्वत जन तथा नॉटिंघम की विभिन्न संस्थाओं से गणमान्य व्यक्ति पधारे थे।
काव्य रंग की बीसवीं वर्षगांठ कार्यक्रम का आरंभ दीप प्रज्वलन तथा पंडित शिव नरेश गौतम के  सरस्वती वंदना गायन से हुई। हिन्दू मंदिर के प्रेसिडेंट राजेश शर्मा ने सभी का स्वागत करते हुए काव्य रंग के कार्यों की भूरी-भूरी प्रशंसा की। काव्य रंग की अध्यक्ष जय वर्मा ने मुख्य अतिथि श्री जॉन ऑगल (अध्यक्ष, नॉटिंघम काउंटी काउन्सिल), डेम आशा खेमका OBE, DL, काउन्सिल जेनरल ऑफ़ इंडिया, बर्मिंघम से श्री अमन बंसल जी, नाथ पुरी CBE, डॉ. पद्मेश गुप्त, मिसिज़ वेन्डी क्विग्ली एवं वाणी प्रकाशन से अदिति महेश्वरी का अभिनंदन एवं सत्कार किया। उसके बाद उन्होंने काव्य रंग के बीस वर्षों की यात्रा का विवरण दिया। जिसमें उनहोंने बताया कि “नॉटिंघम कला निकेतन की प्रिंसिपल मिसेज सुदर्शन मोहिन्द्रा के 70 वें जनमदिन पर हिन्दी की एक संस्था ‘दर्शन हिन्दी समिति’ (2001) की स्थापना मैंने पंडित सोमदत्त शर्मा जी के साथ मिलकर की। हिन्दी की गतिविधियों के साथ-साथ काम करते हुए कुछ समय पश्चात् हमने देखा कि केवल हिन्दी के लेखक एवं कवि की संख्या नॉटिंघम में कम ही थी। पं. सोमदत्त शर्मा जी एवं डॉ. श्रीहर्ष शर्मा निरंतर संस्था की मीटिंग में उपस्थित होते थे। 
मैं डॉक्टर कृष्ण कुमार की संस्था गीतांजलि बहुभाषीय समुदाय, बर्मिघम की सदस्य थी। इस संस्था से प्रेरित होकर हम तीनों (हरमिंदर सिंह दुआ, जय वर्मा और जुगनू महाजन) ने गीतांजलि बहुभाषीय समुदाय, ट्रैंट (2003) की स्थापना की। शुरुआत में काव्य रंग संस्था का नाम गीतांजलि बहुभाषीय साहित्यिक समुदाय, ट्रैंट था। आगे चलकर वर्ष 2011 में इस संस्था का नाम काव्य रंग रखा गया। शुरुआत में केवल तीन लोग इसके सदस्य थे और आज का दिन है जब इसके सदस्यों की संख्या 31 हो चुकी है, जो हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषाओं में निरंतर रचनात्मक लेखन कर रहे हैं। संस्था के सदस्यों में अधिकतर मेडिकल डॉक्टर हैं। काव्य रंग के जिस बीज को हमने बीस वर्ष पूर्व बोआ था, वह आज एक बड़े और फलदार वृक्ष का रूप ले चुका है।” 

कार्यक्रम का संचालन जुगनू महाजन ने किया। इस अवसर पर रवि महाजन ने पीपीटी प्रस्तुति दी, जिसमें उन्होंने चित्रों तथा ऑडियो-वीडियो के माध्यम से काव्य रंग संस्था के बीस वर्षों की यात्रा, जो 7 नवम्बर, 2003 से लेकर अबतक की यात्रा है, उसकी संजोयी हुई यादों को उन्होंने दर्शाया।
इसके बाद ‘काव्य रंग स्मारिका’ का विमोचन किया गया। काव्य रंग स्मारिका की भूमिका प्रो. हरमिंदर सिंह दुआ ने देते हुए कहा कि “काव्य रंग के गौरवपूर्ण बीस वर्ष कैसे बीत गए यह मालूम नहीं पड़ा।” उन्होंने स्मारिका में समाहित देश-विदेश के विद्वानों और हितैशियों के संदेशों पर भी प्रकाश डाला तथा सदस्यों की प्रकाशित पुस्तकों के संबंध में जानकारी दी।  
पुस्तक ‘सेवन स्टेप्स’ का विमोचन भी इस अवसर पर हुआ। पुस्तक की ख़ास बात यह है कि यह लेखिका जय वर्मा की हिन्दी कहानी संग्रह ‘सात कदम’ का अंग्रेज़ी अनुवाद है। डॉ. दुआ ने ‘सेवन स्टेप्स’ का अर्थ बताते हुए कहा कि सात नम्बर बहुत भाग्यशाली माना जाता है। उन्होंने विश्व की विविध संस्कृतियों में अंक सात के महत्त्व को रेखांकित किया। पुस्तक के अनुवादक श्री विज्ञान व्रत एवं मैट टर्पिन हैं। इस अवसर पर मैट टर्पिन ने पुस्तक के अनुवाद से संबंधित अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि गत वर्ष जब पहली बार वे भारत गए तो उन्हें भारत जाना-पहचाना लगा क्योंकि उन्होंने ‘सात कदम’ पुस्तक के माध्यम से भारत को देखा था। उन्हें कुछ भी अजनबी नहीं लगा। विशेषकर उन्होंने जिवाना गाँव (मेरठ) की स्मृतियों को प्रकट किया तथा कहा कि “मैं भारत बार-बार जाना चाहूँगा।”       
कार्यक्रम में इस वर्ष ‘डॉ. महिपाल वर्मा काव्य रंग साहित्यिक सम्मान’ डॉ. निखिल कौशिक, वेल्स को प्रदान किया गया। पेशे से चिकित्सक डॉ. कौशिक कवि और लेखक होने के साथ-साथ फिल्म निर्माता भी हैं। उन्होंने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि “काव्य रंग साहित्य को बढ़ावा देने और जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को एक साथ लाने के लिए निरंतर प्रयासरत है।” लॉर्ड बायरन तथा डी.एच. लॉरेंस के शहर में आकर वे अत्यंत प्रसन्न थे।

इसके बाद कवि सम्मलेन का सत्र शुरू हुआ, जिसका संचालन हरमिंदर सिंह नागी ने किया। सभी सदस्यों ने स्वरचित कविताएँ, गीत, ग़ज़ल और शायरी आदि आपनी-अपनी भाषाओं में सुनाई। मुख्य अतिथि जॉन ऑगल ने काव्य रंग की प्रशंसा करते हुए स्वरचित कविता का पाठ किया तथा बताया कि उन्होंने यह कविता कार्यक्रम के कवियों से प्रेरित होकर अभी-अभी मंच पर ही रची थी। काउन्सिल जेनरल ऑफ़ इंडिया, बर्मिंघम से आए श्री अमन बंसल जी ने बधाई देते हुए कहा कि हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषाओं के प्रचार-प्रसार करने में काव्य रंग अग्रणी भूमिका निभा रहा है। उन्होंने CGI की तरफ़ से यथा संभव मदद देने की बात की। डेम आशा खेमका जी ने कहा कि काव्य रंग भारतीय कला-संस्कृति एवं भाषा-साहित्य का अनुपम उदाहरण है। भारतीय शिक्षा परंपरा में उन्होंने विशेषकर भगवान बुद्ध की शिक्षाओं के रेखांकित किया एवं युवाओं को साथ लेकर चलने की बात की तथा हर्षित स्वर में काव्य रंग के भविष्य को लेकर शुभकामनाएँ दी। ऑक्स्फ़र्ड बिज़नस कॉलेज से डॉ. पद्मेश गुप्त ने कहा कि काव्य रंग संस्था की विशेष उपलब्धि बीसवीं वर्षगांठ है, वे आरंभ से ही काव्य रंग से जुड़े रहे हैं तथा इस संस्था ने नॉटिंघम शहर को विश्व में हिन्दी के मानचित्र पर महत्त्वपूर्ण प्रतिष्ठा दिलाई है।    
कार्यक्रम के अंतिम पड़ाव में डॉ. जसवंत बिलखु ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए संजय सक्सेना, रीटा दुआ, एलिसन, शक्ति सरीन आदि सभागार में उपस्थित सभी लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया| संस्थाओं में विशेषकर नॉटिंघम एशियन आर्ट्स काउंसिल, यूनेस्को (UNESCO) सिटी ऑफ़ लिटरेचर, इंडियन विमेन्स एसोसिएशन एवं अन्य सभी सहयोगी संस्थाओं को धन्यवाद ज्ञापित किया तथा हिन्दू मंदिर के सदस्यों के योगदान को सराहा। कार्यक्रम समापन के बाद वीना शर्मा के नेतृत्व में बने भारतीय स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद लगभग सौ लोगों ने लिया। कार्यक्रम अपने निर्धारित समय पर शुरू एवं समय पर समाप्त हुआ, जिसकी प्रशंसा सभी अतिथियों ने की। काव्य रंग की बीसवीं वर्षगांठ का यह आयोजन सभी की स्मृतियों में सदा के लिए बस गया। 

1 टिप्पणी

  1. महिपाल जी एवं जय वर्मा जी ने साहित्य का जो छोटा सा पौधा 20 वर्ष पूर्व रोपा था, वह आज पूरी तरह से युवा है और पल्लवित होकर अपना सौंदर्य बिखेर रहा है !यह बड़ी प्रसन्नता की बात है!
    काव्य रंग के 20 गौरव पूर्ण वर्षों की पूरी जानकारी पड़ी हिंदी भाषा का इतना अधिक प्रचार- प्रसार! पूरा पढ़ कर बहुत अच्छा लगा!
    सभी को बहुत-बहुत बधाइयाँ एवं शुभकामनाएँ।
    इस जानकारी के लिए पुरवाई का आभार

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