आया फागुन फाग सुनाने,
प्रेम प्रीत का रंग लगाने
खिल उठे सुर्ख लाल और पीले
फूल पलाश, टेसू रंगीले,
हवाओं में सुगंध बिखराने,
मौसम के शृंगार सजाने,
आया फागुन फाग सुनाने।
बहने लगीं मनचलीं हवाएँ,
पीली सरसों पर इठलायें
आम्र मंजरी को झुलायें,
छेड़े कोयल ने मधुर तराने,
बन बसंत कलियाँ खिलाने,
केसर, चंदन बन महकाने,
आया फागुन फागों को गाने।
गुलमोहर से ख़्वाब सजे हैं,
संग बाँसुरी,ढोल बजे हैं,
बन गुलाल मन उड़ उड़ जाये,
नेह लगाकर स्नेह जताये,
राधा कान्हा सी प्रीति बताने,
नव उल्लास जग में भर जाने,
आया फागुन फाग सुनाने।

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