होमHomeदिविक रमेश की कविताएँ Home दिविक रमेश की कविताएँ By Editor July 21, 2019 0 469 Share FacebookTwitterPinterestWhatsApp दिविक रमेश 1- सिवा तुम्हारे हथेलियों में कहां रह गई थीं लकीरें हथेलियां ही आ बसी थीं तुम्हारी । कुछ झुका –झुका– सा नहीं लगा था क्या आसमान और धरती कुछ उठी –उठी– सी ? मैंने गाया खुल-खुल कर गाया। अच्छा है न उसे कोई नहीं सुन पाया सिवा तुम्हारे। पेट में कुछ भी न पचाने वाली मेरी कविता भी नहीँ। 2- मैं मुआवजा हूं ‘मैं मुआवजा हूं’ उसने कहा तो लगा भला यह भी कोई परिचय हुआ! आपके पिता? आपकी माता? मैंने पूछा तो बोला- `तुम भी हो सकते हो। और रंडी की संतान से यह क्या पूछते हो?’ रंडी? मां को रंडी कहते हो क्या तौहीन नहीं औरत की? मैंने डांटा, डांटने के लहजे में। वह मुस्कुराया गैर मुस्कुराने की तरह। मैं चुप रहा देखता कनखियों से कुछ देर । `नेता चलेगा?’, वह बोला। नेता! यह तो बहुत ही उलझा हुआ भ्रामक शब्द है भाई! कौंनसा नेता किस दल का? ‘लगता है डर रहे हैं आप! चाहें तो निकल लें। वरना समझ लें दो ही तरह के होते हैं नेता- एक, जो दिलाते हैं और दूसरे जो देते हैं मुआवजा।‘ इस बार वह जोर से हंसा जैसे हंसा हो किसी बेवकूफ की मासूम जिज्ञासा पर। चलते-चलते मेरे गाल को छूआ, न छूने की तरह और कहा- मुआवजा हूं मैं समझो! इस युग का सबसे बड़ा रहस्य! न अफसोस हूं मैं न अपराध-बोध ही। न मैं काटा जा सकता हूं न मारा ही। न मुझे आग जला सकती है न जल ही डुबो सकता है। मैं मुआवजा हूं। कफन हूं मैं हर कुकृत्य की लाश का। अचूक सांत्वना हूं सर्वोच्च बड़े से बड़े आघात की। शक्ति हूं मैं काट हूं न्यायालयों के द्वार की। अक्षत हूं मैं अक्षत योनि की अवधारणा सा। इसे समझो! समझो इसे! मैं मुआवजा हूं। Share FacebookTwitterPinterestWhatsApp पिछला लेखसामयिक व्यंग्य स्वयं को राजमार्ग पर चलने का दंभ पाल रहा है – प्रेम जनमेजयअगला लेखसुपर 30 – फ़िल्म समीक्षा (तेजेन्द्र शर्मा) Editor RELATED ARTICLES Home ओमप्रकाश यती की कलम से – “ज्योति जगाए बैठे हैं” : हिन्दी ग़ज़ल का एक ज्योति-पुंज April 20, 2024 Home अनामिका की कविता – शीरो March 17, 2024 Home प्रियंका द्विवेदी की लघुकथा – कर्जा December 31, 2023 कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें टिप्पणी: कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! नाम:* कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें ईमेल:* आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें वेबसाइट: Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed. Most Popular कविताएँ बोधमिता की November 26, 2018 कहानीः ‘तीर-ए-नीमकश’ – (प्रितपाल कौर) August 5, 2018 ‘हयवदन’ : अस्मिता की खोज May 2, 2021 विनीता परमार की कहानी – घोषा April 12, 2020 और अधिक लोड करें Latest लालित्य ललित का व्यंग्य – पांडेय जी सम्मान मंडी में July 20, 2024 संजय अनंत की तीन कविताएँ July 20, 2024 उपासना सियाग का लेख – केमद्रुम योग July 20, 2024 नरेंद्र कौर छाबड़ा की कहानी – वापसी July 20, 2024 और अधिक लोड करें