पुरवाई में 7 नवंबर 2021 को प्रकाशित वन्दना यादव के लेख – दीपावली पर कोई घर नहीं आया! – पर प्राप्त पाठकीय प्रतिक्रियाएं – 

01
R N Yadav,
Very nice article on present culture growing in society. Social media in playing vital role in developing such kind of thinking. Excellent massage to society and young generation. Thank you so much Vandana Ji for such an awesome article.
02
साहित्यकार राजेंद्र मोहन शर्मा, जयपुर
शानदार आलेख अपनी पहल पर रुनझुन लक्ष्मी जी आई जिन्होंने तन मन और घर को प्रफुल्लित कर दिया।
03
पंकज यादव जी सिलवासा, गुजरात 
वंदना दीदी ,
आपके इस लेख की जितनी भी तारीफ़ की जाए शायद वो बहुत कम होगी । आपने अपने इस लेख में दिवाली के त्योहार के साथ साथ आज के समाज के व्यवहार का बहुत बारीकी के साथ समझाने की बख़ूब कोशिश की है ।
बहुत बहुत धन्यवाद ।।🙏🙏🙏🙏 
04
कैप्टन सतीश, भोपाल
बहुत ही सुंदर और ईमोशनल लेख। बहुत खूब वदंना जी।👏👏
05
आलोक शुक्ला जी 
बहुत अच्छा आलेख, अपने अंदर खुद की बनाई दुनिया से बाहर निकलने की बात को अच्छे से बयान किया👌👍
06
कर्नल आलोक सहाय, नोएडा, उत्तर प्रदेश
Wah Ma’am!!!
Aap ke status updates se lagta hai ki khoob popular aur achha likti hain aap…
Yeh toh sabke samne aane wali sachaii ko nya modh diya aapne,
Bahut achhi tarah se darshaya….
Many thanks.
Wish You a very happy diwali.
Regards
07
Gen. G S Talwar, Gurgram, Haryana
Good morning, very real from the heart article.
08
किरन यादव, राजोकरी, दिल्ली
वाह ! बहुत बढ़िया लेख 
मन ख़ुश हो गया पढ़कर 
बधाई आपको 🤗🎉🎊💐
09
ब्रिगेडियर करनजीत सिंह जसवाल, जम्मू
Great as always. 👍
My hindi is very very poor. 
But as I read and understand it ..the Moral of the story was Emotional and Heart Touching with a Social message.
10
डॉ राम गोपाल यादव, 
(Yaduvansh India Group)
Very nice Vandana Ji for useful message given by history Please keep it up
11
रश्मि अभय, बिहार
बहुत खूबसूरत एहसास दी। ऐसा ही होता है, जब हम अपने दिल का रास्ता खोलते हैं तो बाकी रास्ते खुद ब खुद खुल जाते हैं।😊
12
अशोक गुप्ता जी, दिल्ली
बहुत सुन्दर सच नजरिया बदलने लगा
 बहुत-बहुत बधाइयां 🙏🏻
13
रश्मि वर्मा, नोएडा
कभी कभी प्यार की मनुहार परामर्श से बेहतर असर करती है ।
लक्ष्मी जी की कृपा तो पता नहीं पर जानकारों की असीम कृपा बनी रही ।🙏
14
अर्चना यू ट्यूबर – अंतरा दी बुक शेल्फ
Touching article वंदना जी..सच नजरिया बदलते ही जिंदगी सुंदर हो जाती है…happy थी ये दिवाली भी✨🪄
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आलोक यादव जी, दिल्ली
वाह, बहुत ख़ूब👌👌👌सकारात्मकता और चित्रात्मकता से भरपूर लेख
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शोभा माथुर, झांसी
बहुत ही अच्छी बात कही👌👌
अनेक स्थल पर ऐसा लगा कि अपनी ही कहानी पढ़ रही हूं।
हम चाहें तो प्यार से सबको बांध सकते हैं, बस बार बार खुद ही पहल करनी पड़े तब निराशा सी होती है।
17
पुष्पा सिंह विसेन, दिल्ली
बहुत ही सुंदर लेख, अपने घर को तो स्वर्ग बनाना तो कोई तुम से सीखे, अनंत शुभकामनाएँ.
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रमेश यादव जी  
Good morning Vandana didi💐💐🙏🏻…..Awesome writing nd fact of today’s society 👌🏻….Great Didi🙏🏻🙏🏻
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प्रोफेसर प्रभात कुमार
वंदना जी,   
लेख  पढ़ा,   बहुत  अच्छा  लगा ।  21 वीं  शताब्दी के  21 वें वर्ष  में  समय  के  साथ  हमें  भी बदलना  होगा ,  क्योंकि  परिवर्तन  ही  जीवन  है । हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ।  शुभ  संध्या ।
20
साहित्यकार डॉ रमेश यादव जी, मुंबई
जी. पढ़ लिया. बहुत ही अच्छा लेख है. आत्मानुभव पर आधारित लेख हमेशा अच्छे ही होते हैं क्योंकि ईमानदारी से और अंदर की आवाज से लिखे जाते हैं. नया आशियाना, दीपोत्सव की परंपरा, पूजा – पाठ, प्यारा-सा संदेश, प्रदुषण की चिंता, नई सोच जैसे तत्व लेख में मुखरित हुए हैं. बधाई. 👏💐🌼👍👌🎉
21
दिक्षा यादव, दिल्ली
Thank you Mam
Such an engaging article 
Made me realise ki hum sab milke hi apni Diwali (aur jindagi) khushaal bana sakte hain…
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राजकुमार सचान होरी, बिहार
#विज्ञानमयधर्म 
#आचार्यश्रीहोरी 
आस्था,भक्ति रहे लेकिन एक सीमा तक ही| उसके पार अंध भक्ति और अंध विश्वास का दैत्य आपको निगलने के लिये तैयार बैठा है|
23
राजीव शर्मा, दिल्ली
‘तो आप ही किसी फ्रेंड या रिलेटिव के यहां चली जातीं’, इस छोटे से वाक्य में पूरा सार मिल गया, सचमुच कभी कभी हम दूसरे से इतनी अधिक अपेक्षा करने लगते हैं कि अपनी ओर से पहल करना भूल ही जाते हैं, बेहद खूबसूरत कहानी👌👌👌, बधाई वंदना जी 👏🏻💝👏🏻👏🏻
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पूनम माटिया, दिल्ली 
बहुत बढ़िया लेख वंदना, सच को  रोचक शब्दों का जामा पहना कर एक ऐसा लेख लिखने और उसके पुरवाई में प्रकाशित होने की बधाई जिसे मैंने एक फ्लो में पूरा पढ़ लिया👌👌👌
25
Sanjay Yadav
Nice story with a beautiful message Ma’am

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