सूर्यवंशी फ़िल्म दिवाली के एक दिन बाद सिनेमाघरों में रिलीज हुई और अब कोरोना के बाद जब लगभग सभी जगह 100 फीसदी क्षमता के साथ थिएटर्स खुल चुके हैं। तो सूर्यवंशी कोरोना के बाद थियेटर रिलीज में 100 करोड़ क्लब को पार करने वाली पहली फ़िल्म बन गई है।
इस सूर्यवंशी में ना तो सिंहम वाला स्वैग दिखता है…ना ही सिंबा वाली डायलॉगबाजी और यही वजह है कि यह फ़िल्म उन दोनों से कमजोर नजर आती है। बावजूद इसके आप अगर काफी समय से बंद पड़े सिनेमाघरों में एंटरटेनमेंट देखने जाएंगे तो इस मामले में आपका पूरा पैसा वसूल होगा।
कहानी है 1993 में मुंबई सीरियल ब्लॉस्ट की जिसमें उस 400 किलो विस्फोटक ने मायानगरी की तस्वीर हमेशा के लिए बदल दी। तब इंस्पेक्टर कबीर श्रॉफ ( जावेद जाफरी) ने सिर्फ दो दिन के अंदर कई आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। लेकिन एक डर लगातार बना रहा- 1000 किलो विस्फोटक लाए, इस्तेमाल हुआ 400 किलो तो बचा हुआ 600 किलो कहां है? अब सूर्यवंशी की कहानी इसी 600 किलो विस्फोटक के भार तले दबकर रह जाती है। जिसे न तो कैटरीना का ‘टिप-टिप बरसा पानी’ कोई राहत की बूंदे बरसा पाता है। न ही इसकी बड़ी स्टार कास्ट अपनी एक्टिंग से।
फिर भी अगर रिलीज के पांच दिन के बॉक्स ऑफिस आंकड़े देखे जाएं तो ‘रोहित शेट्टी’ की इस फिल्म ने देश भर में औसत प्रदर्शन करने के बावजूद, 100 करोड़ क्लब में जगह बना ली है। पांचवे दिन फिल्म ने 11.2 करोड़ की कमाई की और इस तरह इसने मंगलवार तक 102 करोड़ की कमाई कर ली। बॉक्स ऑफिस आंकड़ों के हिसाब से सूर्यवंशी ने 26.2 करोड़ ओपनिंग के साथ शुरूआत की थी।
इसके बाद दूसरे दिन फिल्म ने 23.85 करोड़ की कमाई की, तीसरे दिन 26.94 करोड़ की और चौथे दिन 14.51 करोड़ की। सोमवार को जहां फिल्म की कमाई तेज़ी से गिरी लेकिन वीकेंड के हिसाब से मंगलवार को सूर्यवंशी ने अपनी पकड़ बनाए रखी।
मंगलवार को सूर्यवंशी ने थिएटर में 21.63 प्रतिशत ऑक्यूपेंसी दर्ज की। सुबह के शो की शुरूआत 13 प्रतिशत ऑक्यूपेंसी के साथ हुई, दोपहर तक ये आंकड़ा 15 प्रतिशत तक पहुंचा, शाम को 22 प्रतिशत और रात में 35 प्रतिशत ऑक्यूपेंसी दर्ज की गई। अगर विदेश के बॉक्स ऑफिस की बात करें तो सूर्यवंशी ने चार दिनों में ओवरसीज़ में 28 करोड़ की कमाई की है।
फ़िल्म गुजरात के कई शहरों में  काफी अच्छा प्रदर्शन कर रही है। तो वहीं देश के कुछ शहर ऐसे भी हैं अभी तक की जहां इसका सबसे खराब प्रदर्शन रहा है। मसलन बैंगलोर, लखनऊ, हैदराबाद और कोलकाता में। जहां एक तरफ लखनऊ के 199 शो में 10 प्रतिशत ऑक्यूपेंसी रही वहीं बैंगलोर के 293 शो पर ये आंकड़ा केवल 6 प्रतिशत रहा। हैदराबाद के भी 254 शो में केवल 11 प्रतिशत ऑक्यूपेंसी रही।
पिछले चार दिनों में दक्षिण भारत के शहरों पर भी सूर्यवंशी का जादू सर चढ़कर बोल रहा था जिनमें चेन्नई सबसे आगे था। लेकिन अब पांचवे दिन, चेन्नई में भी सूर्यवंशी का ज़्यादा कोई असर नहीं दिखा। फिल्म की ऑक्यूपेंसी गिरकर 17 प्रतिशत पर पहुंच चुकी है। जहां सुबह के शो में केवल 9 प्रतिशत और रात के शो में 81 प्रतिशत ऑक्यूपेंसी दर्ज की गई।
अभी तक सूर्यवंशी का असर दिल्ली एनसीआर में ज्यादा नहीं दिखाई दे रहा है। जहां ओपनिंग पर दिल्ली ने 997 शो पर केवल 39 प्रतिशत ऑक्यूपेंसी दर्ज की थी वहीं अब पांचवे दिन ये आंकड़ा गिरकर 12 प्रतिशत पर आ चुका है। जयपुर में भी वीकेंड पर अच्छे प्रदर्शन के बाद अब पांचवे दिन ऑक्यूपेंसी गिरकर 18 प्रतिशत पर पहुंच गई है।
वहीं मुंबई, पुणे, चंडीगढ़ और भोपाल जैसे शहर अभी भी वीकेंड में डटे रहने की कोशिश कर रहे हैं। मुंबई ने जहां पांचवे दिन 27 प्रतिशत की ऑक्यूपेंसी दर्ज की वहीं पुणे में ये आंकड़ा 29 प्रतिशत रहा। पांचवे दिन, भोपाल ने 28 प्रतिशत और चंडीगढ़ ने 24 प्रतिशत ऑक्यूपेंसी दर्ज की।
सूर्यवंशी के बॉक्स ऑफिस प्रदर्शन को देखते हुए ओपनिंग डे, 5 नवंबर की तुलना में हर शहर में फिल्म के शो बढ़ा दिए गए हैं। जहां मुंबई ने 1107 शो के साथ ओपनिंग की थी वहीं पांचवे दिन मुंबई में सूर्यवंशी के 1152 चालू रहे। पुणे में ये आंकड़ा 327 से 362 किया गया वहीं दिल्ली में खराब प्रदर्शन के बावजूद पहले दिन 997 शो चलाने के बाद पांचवे दिन शो की संख्या बढ़कर 1020 हो चुकी है।
ये तो थी बॉक्स ऑफिस की बात अब अगर फ़िल्म की कमजोरी की बात करें तो बॉलीवुड की कुछ ही ऐसी ही फिल्में रहती हैं जिनको लेकर बज जबरदस्त बन पड़ता है। लेकिन रोहित शेट्टी की कोई फैमिली एंटरटेनर फिल्म हो, तो ऐसा होना लाजिमी हो जाता है। फिर अक्षय भी तो अपने खिलाड़ी भईया हैं। हालांकि यह फ़िल्म काफी पहले ही रिलीज हो जानी थी। लेकिन कोरोना ने रिलीज डेट को लगातार आगे खिसकाया। फिल्म की मार्केटिंग के लिहाज से तो ये भी सही ही रहा। सूर्यवंशी का जितना इंतजार बढ़ा, लोगों की बेचैनी भी बढ़ती गई। असर ये हुआ कि मॉर्निंग शो भी हाउसफुल जा रहे लेकिन आगे कितने जाएंगे या नहीं, ये देखना दिलचस्प होगा।
वैसे अभी एक महीने बाद इसे नेटफ्लिक्स के ओटीटी पर भी रिलीज होना है। तो उसके आंकड़े भी अभी इसमें जुड़ने बाकी होंगे। यह तो तय है कि फ़िल्म की कहानी से आम दर्शकों को कोई फर्क नहीं पड़ता और वो आज भी सिनेमाघरों का रुख केवल और केवल एंटरटेनमेंट के लिए करता है।
अब एक बात और कि फ़िल्म रोहित शेट्टी की है लिहाजा पहले से सोचकर अगर आप जाते हैं कि दिमाग घर पर छोड़ना है, सारी मैथ, फिजिक्स,लॉजिक भूल जाने हैं। और सिर्फ और सिर्फ एन्जॉय करना है। तभी आप असली मजा ले सकेंगे। क्योंकि कहानी के साथ-साथ बहुत सी ऐसी कड़ियाँ हैं जो इतनी कमजोर हैं, इतने उसमें छेद हैं कि छलनी भी शर्मा जाए एक बारगी।
एक्टिंग से स्टार्स को कोई लेना देना होता नहीं। उनके लिए तो उनकी फैन फॉलोइंग ही काफी है। सो ये डिपार्टमेंट भी निराश करता है। अक्षय किरदार में जंचते नहीं। कैटरीना सुंदर नहीं लगती। जैकी श्रॉफ लुभाते नहीं। अजय देवगन रणवीर सिंह कमाल नहीं करते। ‘जावेद जाफरी’ थोड़ा इम्प्रेस करते हैं। रहे सहे ‘कुमुद मिश्रा’, ‘अभिमन्यु सिंह’, ‘निकितिन धीर’ उन्हें ज्यादा लोग जानते नहीं।  लेकिन वे इस फ़िल्म में ठीक-ठाक कहे जा सकते हैं।
अपनी रेटिंग -2.5 स्टार

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