पुरवाई के दो संपादकीयों पर प्राप्त पाठकीय प्रतिक्रियाएं

पुरवाई में प्रकाशित दो संपादकीयों 'न तुम जीते, न हम हारे' और 'नदाव लेपिद को ज्यूरी चीफ़ किसने बनाया!' पर निजी संदेशों के माध्यम से प्राप्त पाठकीय प्रतिक्रियाएं। यहाँ वही प्रतिक्रियाएं शामिल की गई हैं, जो संपादकीय पर टिप्पणी के रूप में नहीं आई...

पुरवाई के संपादकीय ‘फफूंद (Mould) जानलेवा हो सकती है’ पर प्राप्त पाठकीय प्रतिक्रियाएं

पुरवाई के संपादकीय ‘फफूंद (Mould) जानलेवा हो सकती है’ पर निजी संदेशों के माध्यम से प्राप्त पाठकीय प्रतिक्रियाएं। यहाँ केवल वही प्रतिक्रियाएं शामिल की गई हैं, जो संपादकीय के टिप्पणी बॉक्स में नहीं आ पाई हैं। कीर्ति माहेश्वरी तार्किक, शोधपरक एवम वैज्ञानिक लेख, पिछले साल मुझे...

पुरवाई के संपादकीय ‘तबस्सुम यानी कि किरण बाला सचदेव नहीं रहीं’ पर प्राप्त पाठकीय प्रतिक्रियाएं

पुरवाई के संपादकीय 'तबस्सुम यानी कि किरण बाला सचदेव नहीं रहीं' पर निजी संदेशों के माध्यम से प्राप्त पाठकीय प्रतिक्रियाएं तरुण कुमार जिस किसी ने भी तबस्सुम को रेडियो पर या tv पर देखा सुना है , वह उनकी दमदार और खनकती हुई आवाज़ कभी नहीं...

पुरवाई के सम्पादकीय ‘श्रद्धा की हत्या और कानूनी पेचीदगी’ पर प्राप्त पाठकीय प्रतिक्रियाएं

20 नवम्बर, 2022 को प्रकाशित पुरवाई के सम्पादकीय 'श्रद्धा की हत्या और कानूनी पेचीदगी' पर निजी संदेशों के माध्यम से प्राप्त पाठकीय प्रतिक्रियाएं...! शोभना शाम तेजेन्द्र जी, हमारे देश की अदालतों में सच की हत्या कैसे होती है यह कल ही अपनी आंखों से देखा। प्रतिपक्ष का...

पुरवाई के संपादकीय पर निजी संदेशों के माध्यम से प्राप्त पाठकीय प्रतिक्रियाएं

13 नवम्बर, 2022 को प्रकाशित पुरवाई के संपादकीय पर निजी संदेशों के माध्यम से प्राप्त पाठकीय प्रतिक्रियाएं उषा साहू इस रविवार के संपादकीय में आपने खबरों की खबर ली है। अति उत्तम। एक हद तक, ये सारा का सारा मसला, मीडिया का बनाया हुआ है, जिसमें उन्होने...

31 जुलाई को प्रकाशित पुरवाई के संपादकीय ‘कचरे के ढेरों तले दबते महानगर’ पर प्राप्त पाठकीय प्रतिक्रियाएं

31 जुलाई को प्रकाशित पुरवाई के संपादकीय 'कचरे के ढेरों तले दबते महानगर' पर निजी संदेशों के माध्यम से प्राप्त पाठकीय प्रतिक्रियाएं डॉक्टर सच्चिदानंद आजकल के युग की इस समस्या की ओर ध्यान दिलाना बहुत जरुरी है। पर्यावरण-विमर्श का यह भी बहुत महत्वपूर्ण विषय है ।किन्तु...