महिला काव्य मंच (अहमदाबाद इकाई ) की ओर से 11 अक्टूबर की शाम प्रथम ऑनलाइन महिला काव्य सम्मलेन का आयोजन किया गया | गोष्ठी का शुभारम्भ डॉ. मीरा रामनिवास जी के द्वारा माँ शारदे के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित करने के उपरांत सरस्वती वंदना करके किया गया | उसके उपरांत महिला काव्य मंच (अहमदाबाद इकाई ) की अध्यक्षा सुश्री मंजु महिमा भटनागर जी के अध्यक्षीय भाषण से कार्यक्रम को आगे बढाया गया | उन्होंने अपने  वक्तव्य में इस मंच के संस्थापक श्री नरेश नाज़ जी का परिचय देते हुए बताया कि उन्होंने 1 फरवरी 2017 में इस मंच की स्थापना महिला कवयित्रियों को एकत्र करके राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए की थी जिसकी अनेक इकाइयाँ अब तक 26 प्रान्तों में तथा अंतर्राष्ट्रीय इकाइयाँ अमेरिका और दुबई में तीन स्थानों पर सक्रिय हैं |

तत्पश्चात प्रसिद्ध लेखिका डॉ प्रणव भारती जी ने महिला काव्य मंच (गुजरात) की अध्यक्षा डॉ. रचना निगम जी का मुख्य अतिथि के रूप में स्वागत करके, उनकी अध्यक्षता में सम्मलेन का सञ्चालन प्रारंभ किया | महिला काव्य सम्मलेन के पटल पर कुल 15 कवयित्रियों ने भावविभोर कर देने वाला मधुर काव्यपाठ किया जिसमें सभीने कई विषयों पर अपने-अपने दृष्टिकोण से प्रकाश डाला | अपने ग़ज़ल, गीत, कविता और मुक्तक जैसी विविध काव्य रचनाओं से सभी रचनाकारों ने ऍफ़.बी. पेज के पटल पर सैकड़ों काव्य प्रेमियों को पूरे समय अपने साथ बाँधे रखा |

माँ सरस्वती जी की वंदना के उपरान्त सभी कवयित्रियों ने सम्मलेन में काव्य पाठ किया | उनकी कुछ पंक्तियाँ भी उनके नाम के साथ क्रमशः इस प्रकार हैं |

1) प्रतिभा  पुरोहित जी —  यह कर्णावती नगरी पावन जहाँ  गांधी आश्रम निराला है ..जो आज़ादी का मंदिर बापू गांधी की कर्मभूमि है ।
2) बंदना पांचाल — ये कोमल हथेलियाँ अब जलती नहीं है…माँ मुझसे अब गोल रोटियाँ ही बनती हैं।
3 )दिव्या  वीधाणी -“बेरहम माँ ” मैंने एक माँ को देखा है,एक बच्चे को उसकी माँ से. जुदा करते हुए |
4) कुमुद वर्मा – नाव, तुम  क्या कहना चाहती हो? एक नाव, समुद्र में जाने को तैयार.. लहरों, तुम उसे बढ़ने ही कहाँ  देती हो?
5) लीना खेरिया- कुछ मुख़्तलिफ़ सा मेरी ज़िंदगी का सफर है यारों, होने को सब है पर कहीं कोई कसर है यारों
6) कविता पंत- वक़्त अपनी करवट भले लाख बदले …मगर याद परछाई -सी साथ रहकर गए वक़्त को ज़िंदा करती रही है ।
7 )मधु सोसी – कुसूरवार कौन ? (जब पाकिस्तानी दो बलिकाओ की हत्या कर दी गई थी मात्रबारिश  में थिरकने के कारण )“—-आरोपित होएँ बादल.. सजा पाएँ बूँदों के कण ..अधखिली कलिकाओं की निर्मम हत्या पर मृत्युदंड इनको सुनाना  ।
8 )श्रद्धा रमानी – मत कहना सीता मुझको …मैं दुर्गा  बन जाऊँगी |
9 ) डॉ.कविता वाजपेयी -मान लिया ना कि तुम्हारी sorry महँगी है पर तुम भी समझो ना कि हमारी अनमोल है
10 )मल्लिका मुखर्जी – सृष्टि के कण-कण में पाया मैंने तुम्हारे प्रेम का प्रतिसाद, तुम्हारे होने की भ्रांति,  तुम्हारे  सान्निध्य की कांति, मेरा प्रणय निवेदन और प्रेम की अनश्वरता का आश्वासन |
11) डॉ.मीरा रामनिवास- रहेगी सदियों तक भूख के साथ रोटी। लेकिन हर सदी में सबको प्रिय होगी माँ के हाथ
की रोटी।
12) निशा चंद्रा-  ना रोको इन्हें पास आने दो, ये मुझसे मिलने आए हैं ..जिनको मैं कब का भूल चुकी, कुछ महके-महके साये हैं |
13) मंजु महिमा- (महिला काव्य मंच को समर्पित करते हुए कविता सुनाई —खोल दो अर्गला /आओ बहें अकथ्य से कथ्य की ओर /मैं भी, तुम भी और हम सभी.| काव्य व्यंजन से – पालक पनीर : प्रकृति-माँ की ममता|
14) डॉ.प्रणव भारती- कैसे भर दूँ गीतों में मुस्कान कि बेटी रोती है। कैसे पहनेगी कविता परिधान कि बेटी रोती है।
15) डॉ.रचना निगम- किसी ख्वाब का  आँखौं में  आना और देर तक पलकों पर पलना तय करता है  अक्सर  मंजिल पर  पहुँचने का रास्ता |

डॉ. प्रणव भारती जी के उत्कृष्ट संचालन ने आरंभ से अंत तक कार्यक्रम में अनुशासन और रोचकता को बनाए रखा | डॉ. रचना निगम जी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में महिला काव्य मंच का परिचय देते हुए काव्य पाठ भी किया और इसके बाद सभी कवयित्रियों को उनके सफल काव्य मंचन के लिए बधाई दी | अंत में श्रीमती मंजु महिमा भटनागर जी ने सम्मलेन के सफलतापूर्वक समापन की ख़ुशी में सबका सुन्दर शब्दों से धन्यवाद किया और अगली गोष्ठी का आयोजन नवम्बर मास में पुनः किए जाने की घोषणा की | महसूस होता है कि आगाज़ इतना सुन्दर है तो अंजाम और कितना सुन्दर होगा |

– कविता पंत

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