होम ग़ज़ल एवं गीत निज़ाम फतेहपुरी की ग़ज़ल – हसीनों से दिल मत कभी तुम लगाना ग़ज़ल एवं गीत निज़ाम फतेहपुरी की ग़ज़ल – हसीनों से दिल मत कभी तुम लगाना द्वारा निज़ाम फ़तेहपुरी - November 14, 2021 35 0 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet किसे मैं सुनाऊँ ये ग़म का फ़साना। सुनेगा तो रो देगा ज़ालिम ज़माना।। सितम बिजलियों ने वो ढाए न पूछो। जला मेरे आगे मेरा आशियाना।। बहुत कुछ बचाया बचाते-बचाते। मगर लुट गया फिर भी मेरा ठिकाना।। न सोचा न समझा मोहब्बत को मेरी। जुदा हो गए वो बना कर बहाना।। वफ़ा करके कुछ भी नहीं हमने पाया। न करते वफ़ा ग़म न पड़ता उठाना।। जिधर से मैं गुजरूँ यही लोग कहते। हटो आ रहा है वो देखो दीवाना।। निज़ाम आख़री ये नसीहत है मेरी। हसीनों से दिल मत कभी तुम लगाना।। संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं निज़ाम फतेहपुरी की ग़ज़ल – मुझपे नज़रे इनायत मगर कीजिए सुभाष पाठक ‘ज़िया’ की ग़ज़लें डॉ. यासमीन मूमल का गीत – उड़ जाए चुनरिया भी सर से Leave a Reply Cancel reply This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.