Saturday, July 27, 2024
होमव्यंग्यनवेंदु उन्मेष का व्यंग्य - सोशल मीडिया पर आजादी का जश्न

नवेंदु उन्मेष का व्यंग्य – सोशल मीडिया पर आजादी का जश्न

स्वतंत्रता दिवस के दिन मेरा वाट्सएप शुभकामनाओं से अटा पड़ा था। हर शख्स स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं ऐसे बांट रहा था जैसे वह किसी खुशी में राबड़ी बांट रहा हो। मैं सभी के शुभकामनाओं का जवाब भी दिनभर देता रहा। छुट्टी का दिन था इसलिए कोई कामकाज तो था नहीं। अभी कुछ दिन पहले आदिवासी दिवस गुजरा था। लोगों ने मुझे भी आदिवासी दिवस की शुभकामनाएं दी। पहले आदिवासी दिवस पर लोकनृत्य की आकर्षक तस्वीरें सोशल मीडिया पर देखने को मिलती थी लेकिन इस बार वह गायब थी। कारण रहा कि सोशल डिस्टेंस पर कोई
सामूहिक नृत्य तो हो नहीं सकता। वैसे भी इनदिनों कोई भी पर्व-त्योहार सोशल मीडिया पर मनाने का चलन बढ़ गया है। लोग पर्व-त्योहार मनाने के लिए कट-पेस्ट का भी सहारा ले रहे हैं। तस्वीर किसी ने बनायी हो और भेजने का मजा कोई और उठा रहा है। इससे वह मुफ्त में वाहवाही भी कमा रहा है।
कोरोना काल में तो सोशल मीडिया का महत्व और भी बढ़ गया है। नेताओं की रैली से लेकर भगवान के दर्शन तक सोशल मीडिया पर होने लगे हैं। रैली का आयोजन करने वाले मजदूर बेकार बैठे हैं। एक पत्रकार होने के नाते हर साल जिला प्रशासन मुझे स्वतंत्रता दिवस समारोह में आमंत्रित करता था और मैं भी एकदिन के वीआईपी की तरह समारोह में शामिल होता था।
लेकिन इस बार प्रशासन ने मुझे आमंत्रित करना उचित नहीं समझा। दोपहर होते-होते मेरे सोशल मीडिया एकाउंट पर झंडे फहराने वाली तस्वीर के साथ समाचार मुझे भेज दिया। मैं सोचने लगा आखिर प्रशासन ने झंडा भी फहराया या नहीं ? कभी मैं झंडे को देखता तो कभी फहराने वाले को और समाचार पढ़कर संतोष कर लिया।
सोचा झंडा फहराया गया होगा ? इस प्रकार मैं एकदिन का वीआईपी बनने से वंचित रह गया। मुझे लगता है कि आने वाले दिनों में स्वतंत्रता दिवस समारोह पूरी तरह से सोशल मीडिया पर ही मनाया जायेगा। सोशल मीडिया पर नेता और अधिकारी राष्ट्रीय ध्वज फहराते हुए नजर आयेंगे।
लोग भी सोशल मीडिया पर राष्ट्रीय ध्वज को सलामी देते दिखेंगे। सोशल मीडिया पर ही समारोह पूर्वक सोशल मिठाइयां बांटी जायेंगी। स्कूल और कालेज में पढ़ने वाले छात्रों को कहा जायेगा कि उनके संस्थान में झंडा तो फहरेगा जरूर लेकिन वे इसका दर्शन फेसबुक लाइव परं करेंगे। अगर फेसबुक नहीं देख पायेंगे तो यूट्यूब पर झंडा फहराते हुए संस्था के प्रमुख उन्हें दर्शन देंगे। अगर 1947 में सोशल मीडिया का जमाना होता तो कहा जाता कि देश को आजादी भी सोशल मीडिया पर ही मिली।
प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को तब लालकिले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए नहीं जाना पड़ता। वे भी सोशल मीडिया पर झंडा फहरा देते और कहते आज देश पूरी तरह से अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त हो गया। इसके बाद लोग वाट्सऐप से लेकर अन्य सोशल मीडिया पर आजादी की तस्वीर कट पेस्ट की तकनीक के माध्यम से लोगों तक पहुंचा देते। इसके बाद कहा जाता सोशल मीडिया पर देश आजाद हो चुका है। अंग्रेज भी सोशल मीडिया के सहारे देश छोड़कर जा चुके हैं। जाते हुए अंग्रेजों का दर्शन भी सोशल मीडिया पर ही होता।
नवेंदु उन्मेष
नवेंदु उन्मेष
सीनियर पत्रकार, दैनिक देशप्राण. संपर्क - [email protected]
RELATED ARTICLES

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Most Popular

Latest