अनु बेटा सुबह हो गई जाग जाओ बेटा, स्कूल का टाइम होने वाला है मधु ने रसोई से अपने बेटी अनु को पुकारा मगर उधर से कोई आवाज नहीं आई । हे! भगवान यह लड़की कब सुधरेगी मैं तो तंग आ गई हूं इसके स्कूल ना जाने के बहानो से, रोज कोई न कोई बहाना बनाती रहती है । मधु बड़बड़ाते हुए अनु के कमरे की ओर बढ़ी। उसने अनु के पास आकर गुस्से में उससे कहा “अनु यह क्या तुम अभी भी बिस्तर पर ही हो, उधर तुम्हारे स्कूल का टाइम हो रहा है।” अनु ने बिस्तर पर पड़े पड़े ही कराहते हुए कहा “मां मुझे बहुत तेज पेट दर्द हो रहा है। मैं आज स्कूल नहीं जा पाऊंगी।”
मधु ने अनु को गुस्से से देखते हुए कहा “मुझे तुम्हारा कोई बहाना नहीं चलेगा चलो उठो और चुपचाप तैयार होकर स्कूल जाओ ।”अनु रुआंसी होकर खड़ी हो गई और वह बगैर नाश्ता करें अनमने भाव से स्कूल चली गई। अनु का इस तरह से स्कूल जाने से मधु का मन अत्यंत दुखी हो गया। वह मन ही मन स्वयं को कोस रही थी। हे भगवान! मैं कितनी बुरी मां हूं अपनी फूल सी बच्ची पर कितना जुल्म ढाती हूं अगर सच में उसके पेट में दर्द हो रहा हो तो हाय मैं तो बिल्कुल कसाई ही बन गई पर मैं भी क्या करूं उसे स्कूल ना जाने की नही कहूं। अनु तो स्कूल न जाने के लिए रोज अलग-अलग बहाना बनाती है कल ही की तो बात है अनु उससे कह रही थी मां मेरे सिर में दर्द हो रहा है। मैं स्कूल नहीं जाऊंगी ।
उसे समझ में नहीं आ रहा था कि हमेशा स्कूल जाने वाली अनु आजकल स्कूल जाने से क्यों कतराने लगी ।इस विषय में मधु ने अपने पति संजय से बात की उसने कहा मधु मुझे लगता है हमें अनु से गुस्से से नहीं बल्कि प्यार से बात करनी होगी उसके मन को टटोलना पड़ेगा ।हमें उसे समझना पड़ेगा तब शायद वह अपने मन की बात हमसे कह पाए मधु ने भी सहमति से हां में सिर हिलाया ।
स्कूल से आने के बाद अनु बिना कुछ कहे अपने कमरे में चुपचाप चली गई। मधु ने अनु के पास आकर उसके सिर पर हाथ फेरा फिर उससे पूछा बताओ आज हमारा अनु बेटा क्या खाएगा मैं उसकी विश जरूर पूरी करूंगी? अनु ने मधु की तरफ से मुंह फेर कर दूसरी तरफ कर लिया ।मधु ने अनु के सामने उसके फेवरेट पनीर सैंडविच रखे तो वह सारा गुस्सा भूल कर उन्हें खाने लगी । बातों ही बातों में मधु ने अनु से पूछा अनु बेटा क्या तुम्हें स्कूल जाना अच्छा नहीं लगता ?
अनु ने सैंडविच का एक बड़ा सा टुकड़ा खाते हुए हां में सर हिलाया फिर मधु ने उसे विश्वास में लेते हुए उससे कहा अनु अगर तुम्हें स्कूल जाना पसंद नहीं है तो मैं तुम्हें जबर्दस्ती स्कूल नहीं भेजूंगी मगर क्या तुम अपनी ममा को यह बताना पसंद करोगी कि तुम्हें स्कूल जाना क्यों पसंद नहीं है? अबकी बार अनु ने मधु की ओर देखकर कहा मां मुझे नया स्कूल बिल्कुल भी पसंद नहीं है यहां मेरा कोई भी दोस्त नहीं है और शिक्षक जो भी मुझे पढ़ाते हैं वह भी मुझे समझ में नहीं आता है यह कहकर वह मां की गोदी में सिर रखकर फफक फफक कर रोने लगी ।मधु उसकी पीठ पर हाथ फेर कर उसे सद्भावना देने लगी ।
अगले दिन मधु स्कूल की प्रिंसिपल मैडम से मिली और उन्हें अनु की समस्या के बारे में बताया। प्रिंसिपल मैडम ने क्लासरूम से अनु को बुलवाया । उसे प्यार से अपने पास बैठा कर काफी देर तक बात की। फिर उन्होंने अनु को क्लासरुम में जाने दिया । प्रिंसिपल मैडम ने मधु को बताया मधु जी आपकी बेटी अनु नए स्कूल के माहौल में एडजस्ट नहीं हो पा रही है इसके लिए आप हमारे स्कूल के काउंसलर मिस्टर अतुल सक्सेना जी से मिलिए वे इस संबंध में आपकी मदद करेंगे।मधु ने प्रिंसिपल मैडम का आभार व्यक्त किया और वहां से चली आई ।दूसरे दिन वह अनु को लेकर काउंसलर मिस्टर अतुल सक्सेना जी के पास गई।
दो या तीन बार काउंसलिंग होने के बाद अनु के मन से अपने स्कूल को लेकर डर निकल गया और वह फिर से धीरे -धीरे सामान्य जिंदगी जीने वाली चुलबुल व नटखट बच्ची बन गई। अब वह एक भी दिन स्कूल मिस नहीं करती थी और वह खुश रहने लगी थी । उसके व्यवहार में आए इस परिवर्तन से मधु भी काफी खुश दिखाई देने लगी थी बचपन को इस प्रकार फिर से खेलता देखकर उसका मन भी फिर से खिलने लगा था ।