पिछले तीन हफ्ते से वो सड़को पर लगातार पैदल चल रहे मजदूरों का दर्द शूट कर रहा था ….रोज ही नई नई खबरें …उसके भेजे गए वीडियो और तस्वीरों से उसके समाचार की माँग बढ़ने लगी l
आज ही उसके एक उच्च अधिकारी ने बताया की उसके प्रमोशन की बात चल रही l वो बहुत खुश हुआ और चल दिया इस ख़ुशी को बांटने अपनी सबसे नई महिला मित्र के पास l रास्ते में उसे कुछ रोते हुए लोग मिले ….वो अपनी बड़ी गाड़ी से निचे उतरा और उनका हाल पूछा ..पता चला तीन दिनों से रोटी का एक भी टुकड़ा नहीं मिला ….अब और पैदल नहीं चला जाता इसलिए वो वहीं बैठ गए ….उसने अपना कैमरा निकाला कुछ तस्वीरें खींची एक दो लोगों का इंटरव्यू लिया और अपने बड़े अफसरों को भेज दिया l
उसका मन तो हुआ कि कुछ मदद कर दे इनलोगों की …लेकिन तभी उसे याद आया कि वो पत्रकार है और जो इनलोगों के लिए कर सकता था वो उसने कर लिया है l तभी उसे याद आया कि वो तो अपनी नई महिला मित्र के यहाँ जा रहा था …वो अपनी बड़ी गाड़ी में दाखिल हुआ और बढ़ गया l उसकी बड़ी गाड़ी के चारों तरफ स्टिकर लगे थे कोरोना आपातकाल सेवा पत्रकार !!”