इस बार विभा दीपावली की तैयारियां पूरे जोर-शोर से कर रही थी और वह करे भी क्यों ना, उसका बेटा कई वर्षों  बाद  विदेश से इस दीपावली घर आ रहा था। इसीलिए यह दीपावली उसके लिए स्पेशल दीपावली होने वाली थी । इसे और स्पेशल बनाने के लिए वह  अपनी गठिया की पुरानी  बीमारी को भूलकर अकेले ही बाजार में खरीददारी करने के लिए निकल पड़ी। उसके दिमाग में सबसे पहले  कुछ डिजाइनर दिए और ब्रांडेड कैंडल खरीदने का विचार आया ।इसीलिए वह उन्हें खरीदने के लिए दुकान की तरफ बढ़ने लगी। तभी उसे सड़क किनारे टोकरी में दिए रखे बच्चे की आवाज सुनाई दी 
“मेम साहब यह दिये ले लो ना हिसाब से लगा दूंगा।”
वह उसकी आवाज  अनसुना करके आगे बढ़ गई। तभी  उसके मन में एक विचार आया ,क्यों ना इस बार किसी दुकान से डिजाइनर दिये और ब्रांडेड कैंडल न  खरीदकर इस बच्चे से  सारे दिये खरीद कर इसके मासूम से चेहरे पर मुस्कान बिखेर कर उसकी दीपावली  भी स्पेशल बना दे।वह तेज कदमों से वापस उसकी ओर आने लगी।

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