होम लघुकथा प्रवीण कुमार की लघुकथा – काश लघुकथा प्रवीण कुमार की लघुकथा – काश द्वारा प्रवीण कुमार - July 11, 2021 219 0 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet 40 वर्षीय अधेड़ रामफल। वह तीन बार फेल हुआ दसवीं में। शरीर बहुत तंदरुस्त था, बहुत इच्छा थी उसकी फ़ौज में भर्ती होने की। लेकिन हर बार फेल। नकल करने की भी कोशिश की पर वो भी न हो सकी। बापू के पास एक किल्ला जमीन थी, वो बहन की शादी में बेच दी। बड़े भाई की तो जैसे तैसे शादी हो गई पर उसका रिश्ता नहीं आया, न जमीन न नौकरी। हुक्के की चौपाल में चर्चा हो रही थी, इस बार कोरोना की वजह से बच्चे बिना पढ़े पास हो गए। रामफल सोच रहा था काश कोरोना उस समय आ जाता! संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं सपना चंद्रा की लघुकथा – दोष सरोज बिहारी की लघुकथा – आज का एकलव्य बालकृष्ण गुप्ता गुरु की तीन लघुकथाएँ Leave a Reply Cancel reply This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.