होम लघुकथा प्रवीण कुमार की लघुकथा – काश लघुकथा प्रवीण कुमार की लघुकथा – काश द्वारा प्रवीण कुमार - July 11, 2021 246 0 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet 40 वर्षीय अधेड़ रामफल। वह तीन बार फेल हुआ दसवीं में। शरीर बहुत तंदरुस्त था, बहुत इच्छा थी उसकी फ़ौज में भर्ती होने की। लेकिन हर बार फेल। नकल करने की भी कोशिश की पर वो भी न हो सकी। बापू के पास एक किल्ला जमीन थी, वो बहन की शादी में बेच दी। बड़े भाई की तो जैसे तैसे शादी हो गई पर उसका रिश्ता नहीं आया, न जमीन न नौकरी। हुक्के की चौपाल में चर्चा हो रही थी, इस बार कोरोना की वजह से बच्चे बिना पढ़े पास हो गए। रामफल सोच रहा था काश कोरोना उस समय आ जाता! संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं जय शेखर की दो लघुकथाएँ कमला नरवरिया की लघुकथा – रक्षाबंधन दिव्या शर्मा की दो लघुकथाएँ कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.