रेस्टोरेंट में रोज की तरह भीड़ थी सभी अपने परिवार संग खाने में और बातों में व्यस्त थे अचानक एक आवाज सुनकर सभी चौंक गए और सबकी गर्दन आवाज की तरफ घूम गयी ॐ साईं राम एक प्लेट चिकन टिक्का, ॐ साईं राम एक चिकन बिरयानी और रोटियां कोने वाली टेबल पर बैठे उस आदमी ने बुलंद आवाज में अपना आर्डर दिया.वो खुद काफी नशे में लग रहा था बाबजूद इसके वो अपनी जेब से कुछ निकाल कर पी रहा था और हर घूंट से पहले ॐ साईं राम कर रहा था. सबने महसूस किया वो आदमी जब भी कुछ नान वेज का नाम लेता ॐ साईं राम का नाम ले अपने कान पकड़ता मानो अपराध कर रहा हो ….
पूछने पर पता लगा कि जीव हत्या का पाप न लगे इसलिए भगवान से माफ़ी एडवांस में मांगी जा रही थी. वैसे भी घास फूस भी भला खाने की चीज है, मंगल-बृहस्पति ही काफी हैं ये सब खाने के लिए और जब हमारे पास भगवान हैं, हमारे पापों की मुक्ति के लिए तो ….हम आजाद हैं पसंदीदा खाने से लेकर पीने तक के लिए … ॐ साईं राम …हरे कृष्ण ..हरे राम जैसे कितने ऑप्शन खुले हैं.

हम तो उस धरती के वासी हैं जहाँ पैर के नीचे दबकर चूहा मर जाये तो मंदिर में दिया जला कर जीव हत्या पाप से मुक्ति मिल सकती है. और ब्राह्मण भोज करा कर हर तरह के पाप से मुक्त हुआ जा सकता है.  
असल में हमारे देश में भगवान पार्टनर हैं ओम साईं बियर शॉप से लेकर श्री गणेश चिकन कार्नर तक ही नहीं हर उस काम के जिसे करने से पाप चढ़ सकता है. इसलिए सबके सीने छप्पन इंच के हैं. किसी भी पाप की सजा का कोई डर नहीं सताता और हम बिंदास पाप करते जाते हैं. वैसे पाप पुन्य की हमारी अपनी ही बनाई व्याख्या हैं… नरक में जाना पड़ेगा या पाप का घड़ा फूटेगा ऐसी बातें भी हम खुद ही करते हैं और इन बातों की काट भी हमारे पास तैयार है. पाप की सजा से वे लोग डरे जिनके पास गंगा मैया ना हो पाप धोने को …हम क्यों डरे भला …एक डुबकी लगायेंगे और सारे पाप साफ़… हम धुल धुला कर पुण्यात्मा बनकर फिर निकल आयेंगे और नए सिरे से पाप करेंगे. 
क्या कहा? रिश्वत खोरी और बेईमानी भी पाप है. अरे छोडो हम अपनी पाप की कमाई का कुछ हिस्सा मंदिरों में गुप्त दान में दे देंगे और पाप छू मंतर, है न प्रभु से पार्टनरशिप मन्दिर में सोने की छतरी या चांदी का घंटा ही तो चढ़ाना है या मोटा चढ़ावा चढ़ा दे देंगे उसके बाद बेफिक्र और मस्त रहेंगे जी. जब स्वयं प्रभु हमारे पार्टनर हैं तो कौन सजा देगा हमें. असल में हमारे आत्मविश्वासी होने का ये सबसे बड़ा कारण है हमारे पास भगवान् हैं .हम भले ही पढाई ना करें या कोई काम बिगड़ जाये फिर देखो हम भगवान तक को रिश्वत का ऑफर दे डालेंगे ….प्रभु मेरा ये काम बना दे मैं देशी घी के लड्डूओं का भोग लगाऊंगा …या हे प्रभु मुझे पास करा दे इस बार पांच सौ एक का भोग लगाउंगी. बेचारे प्रभु भी कई बार झांसे में आ जाते हैं और इनका काम करा डालते हैं . ये बात और है बाद में ये प्रभु संग भी खेल जाते हैं और काम होने के बाद पांच सौ की जगह सिर्फ सौ का भोग लगाते हैं.
 हमारे यहाँ तो  भगवान को अपने राजनीति प्रवेश का जरिया बना डालते हैं. असल में हम बड़े ही फ्लेक्सिबल टाइप लोग हैं जब चाहते हैं भगवान् को पार्टनर जब चाहें अपना हथियार बना डालते हैं…अपना काम बनने से मतलब है, अब वोटों के लिए मंदिर को बीच में लायें या नौकरी पाने के लिए भगवान को रिश्वत ऑफर करें ये हम पर है .
आखिर दुनियादारी भी तो निभानी है सो कर्म जारी रखो और भगवान से डिमांड भी, अब मांग चाहे ट्रांसफर की हो या फिल्म की सफलता की कभी मन्दिर में भोग लगाकर तो कभी दरगाह में चादर चढ़ा कर खुश करने के उपाय करते रहेंगे. 
हमें तो पाप से मुक्ति के साथ साथ अपने लिए स्वर्ग में सीट भी कन्फर्म चाहिए. सो दान पुन्य के जरिये लगे रहते हैं भगवान् से सेटिंग करने में. वैसे भी जब हमारे पार्टनर स्वयं प्रभु हैं तो चिंता किस बात की. वैसे भी देश में न तो मंदिर मस्जिद की कमी है ना ही गरीब की जिसके सहारे स्वर्ग का रास्ता आसान हो जाएगा. बस अपनी काली कमाई का कुछ हिस्सा मंदिर में दान दो या मस्जिद में चादर चढ़ाओ बात एक है. गरीब की कन्या का विवाह कराओ या कम्बल मुफ्त बाँट दो. रास्ते बहुत हैं.इसलिए बेफिक्री से काले कारनामे करते रहो.
मौसम अनुसार पुन्य कमाने के तरीके बहुत हैं. कभी भंडारा कराओ तो कभी पानी की प्याऊँ लगवा डालो. और आजकल तो एक पंथ दो काज का जमाना है. पुन्य के साथ पब्लिसिटी भी मुफ्त मिलती है, किसी गरीब की मदद करो सेल्फी लो और फेसबुक ट्विटर पर अपलोड कर डालो, देखो कितनी आसानी से महान समाज सेवी दयालु ह्रदय टाइप बन गए दुनिया की नजरों में अब आनंद लो दिनभर कमेन्ट और लाइक का. ज्यादा माल है तो एक मंदिर का निर्माण ही करा डालो और प्रभु संग जिन्दगी भर की पार्टनरशिप पक्की आपके धन को पवित्र करने के साथ सौ गुना करने की जिम्मेदारी भी स्वयं भगवान की होगी और आपकी सिर्फ चांदी ..

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