Sunday, October 6, 2024
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प्रिंस फ़िलिप का निधन

ब्रिटेन की महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय के पति प्रिंस फ़िलिप (ड्युक ऑफ़ एडिनबरॉ) का आज लंदन में निधन हो गया। वे 99 वर्ष के थे और बस दो महीने बाद ही अपना सौवां जन्मदिन मनाने वाले थे।
प्रिंस फ़िलिप ने आज 9 अप्रैल की सुबह अपने विंडसर कैसल निवास में अंतिम सांस ली। कुछ अर्सा पहले उन्हें दिल का दौरा पड़ा था। प्रिंस का जन्म 10 जून 1921 को ग्रीस के कोर्फ़ू गाँव में हुआ था। उनका जन्म वहाँ के राजघराने में हुआ था। उनके दुर्भाग्य ने वहाँ भी उनका साथ नहीं छोड़ा। यदि सब ठीक रहता तो वे ग्रीस के राजा बन जाते। मगर तुर्की द्वारा ग्रीस पर हुए आक्रमण के कारण ये हो नहीं पाया।
प्रिंस फ़िलिप और महारानी के चार बच्चे, आठ पोते-पोती और 10 पड़पोते-पड़पोतियां हैं।
उनके सबसे बड़े बेटे प्रिंस चार्ल्स (प्रिंस ऑफ़ वेल्स) का जन्म 1948 में हुआ था। प्रिंस चार्ल्स के बाद 1950 में उनकी बहन राजकुमारी ऐन का जन्म हुआ था। उसके बाद प्रिंस एंड्रूय (ड्यूक ऑफ़ यॉर्क) का जन्म 1960 में और प्रिंस एडवर्ड (अर्ल ऑफ़ वेसेक्स) का जन्म 1964 में हुआ था।
पूरी दुनिया का रिवाज है कि राजा की पत्नी रानी होती है मगर रानी का पति राजा नहीं होता है। इसलिये फ़िलिप तमाम उम्र प्रिंस फ़िलिप ही कहलाते रहे।
प्रिंस फ़िलिप का सरनेम माउँटबेटन था। 1950 में इस बात को लेकर ख़ासा विवाद खड़ा हो गया था कि उनके बच्चों को उनका सरनेम इस्तेमाल करने की इजाज़त दी जाए या नहीं। उस समय प्रिंस फ़िलिप ने निराश हो कर कहा था कि मैं शायद दुनिया का पहला इन्सान हूं जिसे अपने बच्चों को अपना ख़ानदानी नाम देने का हक़ नहीं है। जब बच्चों को विंडसर नाम रखने की बात उन्हें माननी पड़ी तो उन्होंने ग़ुस्से में कहा था कि मैं किसी अमीबा से अधिक कुछ भी नहीं। कहा जाता है कि महारानी को 13 वर्ष की आयु में प्रिंस फ़िलिप से प्रेम हो गया था।
विश्व भर के नेताओं ने प्रिंस फ़िलिप की मृत्यु पर संवेदना संदेश भेजे हैं और उनके व्यक्तित्व की प्रशंसा की है।कथा यू.के. एवं पुरवाई परिवार प्रिंस फ़िलिप की आत्मा की शांति के लिये प्रार्थना करते हैं।
(तेजेंद्र शर्मा की फेसबुक वाल से)
तेजेन्द्र शर्मा
तेजेन्द्र शर्मा
लेखक वरिष्ठ साहित्यकार, कथा यूके के महासचिव और पुरवाई के संपादक हैं. लंदन में रहते हैं.
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2 टिप्पणी

  1. धन्यवाद । तेज जी आपके लेख से यह शिक्षा भी मिलती हैं कि भले हम राजसी परिवार में हो फिर भी मर्यादा का पालन करने के लिए बहुत से इच्छाओं का त्याग करना होता है ।

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