दूसरा दिन प्रथम सत्र
होमियौपैथी की जिस मीठी गोली को नकारा जाता है उसकी मारकता और सटीकता एटम बम से कम नहीं.
– डॉ. ए.के.गुप्ता
‘स्वास्थ्य’ शब्द को लोग इंग्लिश के ‘हेल्थ’ तक सीमित समझते हैं लेकिन यह एक व्यापक शब्द है.
– डॉ. पंकज
• होमियोपैथी वेलनेस के साथ हैप्पीनेस भी प्रदान करता है
• होमियोपैथी को भी सरकार से यदि एलोपथी जैसी ही फन्डिंग मिले तो इसमें भी रिसर्च और इनोवैशन से काफी कारगर निदान संभव है
• होमियो इलाज को भी इंस्योरेंस कंपनियों से कवरेज मिलना चाहिए
• सभी पैथी पूरक के रूप में एक दूसरे का सहयोग कर सकती हैं। किसी पैथी की सीमा का विस्तार अन्य पैथी से सहयोग एवं सहायता लेकर की जा सकती है।
नयी दिल्ली/भोपाल। स्वास्थ्य संसद के दूसरे दिन ‘स्वस्थ भारत के निर्माण में पैथियों की भूमिका’ पर विस्तार से चर्चा हुई जिसका संचालन वरिष्ठ होमियोपैथिक चिकित्सक एवं स्वस्थ भारत के मार्गदर्शक डॉ. पंकज अग्रवाल ने किया। स्वास्थ्य संसद के उपसभापति एस. के. रावत के दिशा-निर्देशन में यह सत्र संचालित हुआ।
इस अवसर पर बोलते हुए वरिष्ठ होमियोपैथिक चिकित्सक डॉ. ए. के. गुप्ता ने कहा कि, कोई भी राष्ट्र अपने नागरिकों के स्वस्थ रहने पर ही विकसित हो सकता है। आयुष पैथियों के सहयोग से पूर्ण स्वस्थ होने का लक्ष्य को पाया जा सकता है। भारत के लोग भाग्यशाली हैं कि उनके पास तमाम चिकित्सा पद्धतियां हैं- मसलन आयुर्वेद, होमियोपैथ, यूनानी, योगा, सिद्धा और एलोपैथी आदि। उन्होंने कहा कि मैं होमियो का चिकित्सक हूँ और इसी पद्धति से मैंने बहुत लोगों को स्वस्थ किया हूं।
उन्होंने आगे कहा कि आप सबको यह जानकर हैरानी होगी कि आज भारत होमियो पैथी का सबसे बड़ा हब है, जबकि इसकी शुरूआत जर्मनी से हुई। एलोपैथी में सभी बुखार पीड़ित को एक जैसी दवा दी जाती है, लेकिन होमियो में प्रत्येक व्यक्ति की बीमारी के लक्षण और शरीर के अनुसार इलाज किया जाता है। हर पैथी में रोगमुक्त करने की क्षमता है लेकिन सबकी कुछ सीमाएं भी है। इसलिए सभी पैथी पूरक के रूप में एक दूसरे का सहयोग कर सकती हैं। किसी पैथी की सीमा का विस्तार अन्य पैथी से सहयोग एवं सहायता लेकर की जा सकती है।
उन्होंने आगे कहा कि मेडिकल टेररिज़्म शब्द सबने सुना है। इस शब्द और एलोपैथी के अतिवाद से सभी परिचित हैं। एलोपैथी ने अपनी सीमा लांघ दी है। कोविड काल में इसका प्रमाण मिला और उसी काल में लोग होमियो दवा खाकर स्वस्थ हुए और इम्युनिटी अर्जित की।
यह महज मिथक है कि ये बच्चों की मेडिसिन है, मीठी गोली से कैसे बीमारी ठीक होगी, बीमारी ठीक होने में इसमें काफी समय लगता है आदि। बल्कि सच्चाई यह है कि होमियोपैथिक एक समग्र उपचार प्रदान करता है और इसमें सभी उम्र मरीजों का कस्टमाइज उपचार होता है। यदि मानसिक रूप से परेशान कोई व्यक्ति होमियो पैथ में अपना उपचार कराए तो उसे बहुत लाभ मिलेगा। टांसिल बढ़ने या दर्द की बात पर माता-पिता सर्जरी करा देते हैं, लेकिन इससे चेस्ट इन्फेक्शन जैसी बीमारी का रास्ता तैयार हो जाता है। इसी तरह पाइल्स, चर्मरोग और टाइम ऑफ मैरेज की समस्या का इलाज भी होमियो में है। जिस मीठी गोली को नकारा जाता है उसकी मारकता और सटिकता एटम बम से कम नहीं। अक्सर मरीज जब सभी जगह से थक-हार जाते हैं तब होमियोपैथ में आते हैं, उन्हें पहले आने की जरूरत है।
उन्होंने आगे कहा कि सरकार से यदि एलोपथी जैसी ही फन्डिंग मिले तो इसमें भी रिसर्च और इनोवैशन से काफी कारगर निदान संभव है। एलोपैथी इलाज को इंस्युरेन्स कंपनी कवर करती है। होमियो इलाज को भी कवरेज मिलना चाहिए। सबसे बड़ी बात, हम वेलनेस के साथ हैप्पीनेस भी प्रदान करते हैं।
सत्र के संचालक डॉ. पंकज अग्रवाल ने कहा कि हिन्दी के शब्द ‘स्वास्थ्य’ को लोग इंग्लिश के ‘हेल्थ’ तक सीमित समझते हैं लेकिन यह एक व्यापक शब्द है। स्वस्थ मनुष्य की परिभाषा किसी पैथी में नहीं। इसकी सटीक परिभाषा आयुर्वेद में है जो उपवेद है अथर्ववेद का। मानव शरीर का पूर्णरूप से काम करना ही किसी का स्वास्थ्य निर्धारित करता है।

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