Saturday, October 12, 2024
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कामिनी गुप्ता की दो लघुकथाएँ

1 – किलेबंदी
एक बार रियासत में कुछ अराजक तत्वों ने राजा को कमज़ोर करने और हटाने के मकसद से राजा के खिलाफ विद्रोह का माहौल बनाने का विचार किया।
उन्हें कोई ऐसी बात नहीं मिल रही थी जिसके जरिए वो अपने मकसद को पूरा कर सकें। फिर उन्होंने लोगों को भड़का कर आपस में ही लड़ाने का काम शुरू कर दिया और राजा के किले पर चढ़ाई करने के लिए अंदर से तैयारी शुरू कर दी।
वो हर तरह से राजा का अपमान करते और  रियासत के ही विभाजन का माहौल बनाने लगे। राजा ने स्थिति को भांपते हुए रियासत की किलेबंदी कर दी।
क्योंकि राजा जानता था कुछ लोगों को छोड़कर बाकी सब अपनी रियासत से बहुत प्यार करते थे और उसको नुकसान नहीं पहुंचा सकते थे, पर सिपाहियों की कार्रवाई में अपने लोगों को चोट न लगे। इसलिए राजा ने किलेबंदी कर दी।
2 – “मैया तेरा अंगना सुहाना”
किचन में काम करते फोन की घंटी ने ममता का ध्यान मायके की तरफ कर दिया। मन तो कर रहा था भाग कर फोन उठा लूं……पर ये ससुराल है मायके नहीं, मन में ही सोचकर किचन का काम निपटाने में लग गई।
बाहर से आते हुए सासु मां ने कहा… ममता बेटा फोन बज रहा है देख लो जरूरी काॅल न हो।  जी, जाकर देखा तो सच में मम्मी का फोन था।  धीरे  से बोली मम्मी बाद में करती हूं, किचन में काम कर रही हूं। सासु मां मुस्कुराते हुए बोली, ममता  अगर मन है तो मिल आओ  वैसे भी कितने दिन हो गए हैं मायके नहीं गई हो।
आंखों में आंसू आ गए और सासु मां के ज़ोर से गले लग गई, झिझकते हुए बोली मम्मी जी आपको भी मेरी मम्मी की तरह…मेरे मन की बात कैसे पता चल गई, कि मैं मायके जाना चाहती थी?? पर पूछने से डर रही थी। सासु मां ने सिर पर हाथ फेरा और कहा बेटा जब वो आंगन छोड़ तुम इस आंगन में आ गई और मैं भी तेरी मम्मी बन गई। ममता हंस रही थी उसे  समझ नहीं आ रहा था उसे दोनों आंगन अपने से लगने रहे थे।
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