जम्मु कश्मीर से उन्नाव तक…

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विश्व के दस बलात्कारी देशों में भारत का स्थान पांचवां है। यहां हर रोज़ क़रीब 93 महिलाओं का बलात्कार होता है। ये आंकड़े रजिस्टर्ड हैं। बलात्कार के जो मामले पुलिस तक नहीं पहुंच पाते… उनके बारे में कुछ कह पाना आसान नहीं है।

बलात्कारों में भारत का विश्व में पांचवां स्थान

सूची में पहला स्थान दक्षिण अफ़्रीका का है। उसके बाद स्वीडन, अमरीका, ब्रिटेन, भारत, न्यूज़ीलैण्ड, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, ज़िम्बाबवे और युरोपीय युनियन। भारत में क़रीब हर बीस मिनट में एक महिला का बलात्कार होता है। ज़ाहिर है कि स्थिति चिन्ताजनक है और हर भारतीय इस विषय में कड़े से कड़ा क़ानून चाहता है।जम्मु कश्मीर से उन्नाव तक

फिर ऐसा क्या है कि कठुवा एवं उन्नाव के बलात्कारों को लेकर भारतीय मीडिया में चिन्ता और आक्रोश अपने उफ़ान पर है। एक संपादक के तौर पर मैनें दोनों शहरों के बलात्कारों पर जब ध्यान दिया तो पाया कि मीडिया एवं सोशल मीडिया दोनों का रुख़ इन दोनों मामलों में कुछ अजब सा दिखाई देता है। कठुवा की बलात्कार पीड़ित बच्ची का चित्र और नाम यूं उछाले जा रहे हैं जैसे कि उसे कोई ईनाम मिला है। सुप्रीम कोर्ट एवं हाई कोर्ट समय समय पर यह आदेश जारी कर चुके हैं कि जिस महिला का भी बलात्कार किया गया है उसका नाम कभी सार्वजनिक ना किया जाए।

वहीं उन्नाव में बलात्कारी के पीछे लट्ठ ले कर पड़े हैं क्योंकि वह भाजपा का एम.एल.ए. है। सोशल मीडिया एक दानव की तरह उभर कर सामने आ रहा है और लगता है कि जल्दी ही फ़्रैंकेस्टाइन बन कर हमारे जीवन में त्राहि त्राहि पैदा करने वाला है।

सोशल मीडिया वालों को किसी भी घटना का ज्ञान नहीं होता मगर किसी भी बात पर विश्वास करके अफ़वाहों का बाज़ार गरम करते हैं, अपने आपको संत और महाज्ञानी बतलाते हुए किसी भी आरोपित व्यक्ति को गुनहगार साबित करके उसे फांसी की सज़ा भी सुना देते हैं। जितनी देर में कोर्ट का जज केस के काग़ज़ात भी स्वीकार नहीं कर पाता उतनी देर में ये लोग केस को समझ कर सज़ा सुना देते हैं।

बलात्कार को किसी एक या दो मुद्दों के माध्यम से नहीं देखना चाहिये। आंकड़े बताते हैं कि अधिकांश बलात्कार के मामले घरों के भीतर रिश्तेदारों या दोस्तों द्वारा किये जाते हैं। हमें इस समस्या को गंभीरता से समझना होगा। सामाजिक, न्यायिक एवं राजनीतिक हल खोजना होगा। राजनीतिक दलों को तय करना होगा कि बलात्कार के मामलों पर राजनीति ना की जाए। चाहे सत्ता पक्ष हो या फिर विपक्ष सबको मिल कर इस समस्या से लड़ना होगा।

 

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