गीत – 1
सुनो सखे! कुछ बातें कह दूँ
तुमसे मन की आज।
सरगम तक बेसुरी हो गयी
ऐसे टूटे साज।।
जिन साँसों में राग-बिलावल
और रहा कामोद,
उन साँसों का दम घुटता है
छूट गया आमोद।
 सिसक रहा है पंचम बैठा
 चौपट उसका  राज।।
राग-भैरवी गाते-गाते
हम खमाज पर आए,
मालकौंस साधे न सधता
दुख जब  बाज़ न आए।
छोड़ विहाग,यमन,भूपाली
छोड़ दिये सब काज।।
भीम पलासी,या दरबारी
जब भी गाने बैठे,
अन्तःपुर से क्रंदन निकला
सारे सुर हैं ऐंठे।
जाने लकवा मार गया है
 या कि गिरी है गाज।।
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
गीत – 2
रहकर तुमसे दूर मीत
भर नीद नही सोई
यादों के तकिए के संग मैं
लिपट लिपट रोई
मंद मदिर पुरवाई मेरी
रग रग सिहराए
सतरंगी सपनेंयनो में
आ कर बस जाएं
श्यामल घन ने मुझ में कैसी
अबुझ अगन बोई
मौसम की यह आँख मिचौली
सही नही जाती
उर की कसक किसी से भी अब
कहि नही जाती
प्यास तृप्ति के मध्य रही मै
हरदम ही खोई,,,,
मेरी किस्मत मुझ पर हंसती
देख विवशताएँ
कदम-कदम पर खड़ी मिली है
कुपित वर्जनाएँ
खुशी मेरे घर आते जाते
बीच राह सोई,,,,
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
मीरा शलभ
ग़ाज़ियाबाद(उप्र)
मोबाइलः 00 91 9811723799
ईमेलः

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.