सहायक प्रोफेसर दिल्ली विश्वविद्यालय. अध्ययन, अध्यापन, लेखन में रुचि। अर्थशास्त्र में एम.ए., एम.फ़िल और पी .एच .डी । पिछले कई सालों से दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्यापन कर रही हैं, ।कहानियों के माध्यम से अपनी साहित्य में रुचि को सभीके सामने रखने प्रयास करतो हैं। संपर्क - richaguptaeco1@gmail.com
Amazing piece of work. Itni khubsurti se tumne is ehsaas ko buna h wo sirf ek lekhak hi kar sakta h!! Would love to read more of your work. Keep it up and Congratulations! !
Bhout sunder:)
Nice story Richa ji very touching
Very ❤touching yaar…m to ruh m hi kho gyi thi…bhurt sundar….gud luck my daring Richa …
Thanks to all
आप सभी की प्रतिक्रिया से प्रोत्साहन मिला है
Bahot khoobsurati se pyaar ko lafzo me buna hai.. Man kho jata hai tumhari kahani me.. beautiful ..keep it up my dear friend. Waiting for many more.
Nice story
आभार
साधना शीर्षक इस कहानी में हर पंक्ति में ध्वनित होता है! सुरभि जहाँ लम्बे समय तक जान ही नही पाती कि रमेश उससे प्यार करता है, जिस दिन पता लगता है तब तक देरी हो चुकी है , रमेश की बहुत अच्छी लडकी से शादी हो चुकी है ,अब सुरभिं साधना शुरू क्र देती है , प्रेम साधना ! ऋचा एक सम्भावना शील लेखिका हैं …उन्हें बधाई !