दुनिया भर में कयास लगाए जा रहे हैं कि बॉरिस जॉनसन के बाद सत्ता कौन संभालेगा। जो नाम दौड़ में आगे दिखाई दे रहे हैं उनमें शामिल हैं – ऋषि सुनक, वेन वॉलास, लिज़ ट्रस, जेरेमी हंट जैसे कुछ नाम सामने आ रहे हैं जो कि नये प्रधानमंत्री बन सकते हैं। ऋषि सुनक को इस बात का लाभ हो सकता है कि वह ब्रिटेन की वित्तीय स्थितियों से पूरी तरह से परिचित है क्योंकि ये स्थितियां उसी की बनाई हुई हैं। मगर उसके विरुद्ध उसकी पत्नी का अमीर पिता की संतान होना इस्तेमाल किया जा रहा है कि इतना अमीर आदमी भला आम आदमी की समस्याओं को क्या समझेगा।

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बॉरिस जॉनसन ने त्यागपत्र दे दिया। वे त्यागपत्र देने वाले पहले ब्रिटिश प्रधानमंत्री नहीं हैं। मगर उनको अपना त्यागपत्र ख़ासी अपमानजनक स्थितियों में देना पड़ा।
यहां भी बॉरिस जॉनसन ने इस बात का ख़्याल रखा कि उन्होंने कंज़रवेटिव पार्टी के नेता के रूप में तो त्यागपत्र दे दिया है मगर प्रधानमंत्री के पद से नहीं। जब तक सत्तारूड़ पार्टी अपना नया नेता नहीं चुन लेती बॉरिस ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने रहेंगे। 
याद रहे कि बॉरिस जॉनसन को किसी नीतिगत विफलता के कारण इस्तीफ़ा नहीं देना पड़ा। न ही कहीं कोई पैसे का घोटाला था… ऐसा भी नहीं कि बॉरिस जॉनसन ने दूरदृष्टि से काम नहीं लिया। दरअसल उन्होंने कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर गड़बड़ी की – कोरोनावायरस विश्वमारी काल के दौरान अपने सरकारी दफ़्तर में पार्टियां कीं और लगातार उनके बारे में झूठ बोला। अपने सरकारी अपार्ट्मेंट की रख-रखाव और मरम्मत पर किसी से पैसे लगवाए और एक ऐसे व्यक्ति को सरकारी ओहदा दिया जिस पर सेक्सुअल दुर्व्यवहार के आरोप लगे थे। और इन तमाम मुद्दों पर बॉरिस लगातार झूठ बोलता रहा। 
नंबर दस डाउनिंग स्ट्रीट के बाहर अपने प्रशंसकों के सामने राष्ट्र को संबोधित करते हुए बॉरिस जॉनसन ने अपने विदाई संदेश में कहा कि उन्हें दुनिया की सबसे अच्छी नौकरी छोड़ने का दुख है। मैं चाहता हूं कि आप यह जान लें कि मैं दुनिया की सबसे अच्छी नौकरी को छोड़ कर कितना दुखी हूं।
जिस मामले को लेकर वित्त मंत्री ऋषि सुनक एवं स्वास्थ्य मंत्री साजिद जाविद ने त्यागपत्र दिया था वो था सांसद क्रिस पिंचर पर नशे में यौन दुराचार और लोगों से दुर्व्यवहार का आरोपों की जानकारी होते हुए भी बॉरिस जॉनसन ने उन्हें पदोन्नति दी। इससे सरकार की ख़ासी किरकिरी भी हुई। वो भी तब जब कोरोना काल में पार्टी गेटप्रकरण पर सरकार पहले से घिरी थी। जिन पाठकों को पार्टी गेट याद न हो तो उन्हें याद दिलवाते चलें कि जब पूरे देश में कोरोना का कहर अपनी चर्म सीमा पर था और आम जनता बुरी तरह से त्रस्त थी, प्रधानमंत्री बॉरिस जॉनसन शराब की पार्टियां कर रहे थे। 
इस नियुक्ति को लेकर विपक्ष हमला भी बोल रहा था और यहां तक कि बॉरिस जॉनसन के सांसद भी आलोचना कर रहे थे। इस मामले में सरकार ने अपना बयान भी बार-बार बदला था। कभी कहा कि पी.एम. जॉनसन को पिंचर पर लगे आरोपों की जानकारी नहीं थी तो कभी कहा आरोपों की जानकारी तो थी लेकिन वो सच नहीं पाए गए।
पुरवाई ने अपने 12 जून 2022 के संपादकीय में बताया था कि  संसद में टोरी पार्टी के 359 सदस्य हैं। अविश्वास प्रस्ताव के आवश्यक था कि कम से कम 54 सदस्य यानी कि 15 प्रतिशत सदस्य इस प्रस्ताव पर मतदान के पक्ष में हों। बॉरिस जॉनसन ने सोमवार को अविश्वास प्रस्ताव जीत लिया। कंज़रवेटिव पार्टी के 211 सदस्यों ने उनके पद पर बने रहने के पक्ष में मतदान किया, जबकि 148 ने उनके खिलाफ वोट किया। जॉनसन ने कहा कि यह मतदान व्यापक रूप से उनके पक्ष में रहा, क्योंकि 41.2 प्रतिशत के मुकाबले 58.8 प्रतिशत ने उनके पक्ष में मतदान किया। हालांकि, इन परिणामों के बाद उनके विरोधियों को उनकी आलोचना करने का मौका मिल गया है, जबकि उनके समर्थकों का कहना है कि परिणाम दिखाते हैं कि पार्टी के अधिकतर सदस्य उनके साथ हैं। यह बताना आवश्यक है कि अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान गुप्त हुआ था।
उसी समय से अनुमान लगने शुरू हो चुके थे कि अब बॉरिस जॉनसन के लिये उलटी गिनती गिननी शुरू हो चुकी है। ऋषि सुनक और साजिद जाविद के इस्तीफ़े से हालात पूरी तरह से बॉरिस के विरुद्ध हो गये।
बॉरिस ने अपने पद-त्याग करते समय अपनी कोई ग़लती नहीं मानी। वे दूसरों पर ही उंगली उठाते रहे। उन्होंने अपनी स्थिति के लिये अपने ही दल के सदस्यों को दोषी माना और उनकी तुलना जानवरों से कर दी, “वेस्टमिंस्टर में जब रेवड़ चलता है तो चलता है। और मित्रो याद रखियेगा कि राजनीति में कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं होता जिसके बिना काम रुक जाए।” बॉरिस जॉनसन जानते हैं कि उनसे पहले भी कई प्रधानमंत्रियों ने ब्रिटेन में इस्तीफ़े दिये हैं। मगर देश चलता रहता है। नेता आते-जाते रहते हैं। 
बॉरिस जॉनसन के निर्णय से मामला कुछ यूं बना है कि फ़िलहाल मध्यावधि चुनाव होने की संभावनाएं टल गयी है। उसके स्थान पर कंज़रेवेटिव पार्टी के सक्रिय सदस्य अपने नये नेता का चुनाव करेंगे जो कि ब्रिटेन का अगला प्रधानमंत्री बनेगा। सत्तारूड़ दल सरकार में बना रहेगा। बॉरिस जॉनसन ने कहा कि वे तब तक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने रहेंगे जब तक कि दल किसी अन्य नेता का चुनाव नहीं कर लेता। इस प्रक्रिया में छः या इससे अधिक सप्ताह लग सकते हैं। इस बीत बॉरिस जॉनसन ने एक नयी केबिनेट की घोषणा कर दी है और उन तमाम मंत्रियों के पद भर दिये हैं जिन्होंने त्यागपत्र दिये हैं। बॉरिस ने यह भी वादा किया है कि वे न तो नयी नीतियां लागू करेंगे और न ही कोई बड़े बदलावों की घोषणा करेंगे। 
बॉरिस ने अपनी तमाम उपलब्धियों की चर्चा करते हुए रूस के विरुद्ध युक्रेन का साथ देने के लिये भी अपनी पीठ ठोंकी। उन्होंने अपनी पत्नी कैरी की भी तारीफ़ की और कहा कि उसे भी उनके साथ बहुत सी कठिन स्थितियों का सामना करना पड़ा है। कैरी नंबर दस डाउनिंग स्ट्रीट के बाहर बॉरिस के प्रशंसको के बीच खड़ी थीं। उनकी गोद में उनकी बेटी भी थी।
बॉरिस न चेहरे पर बिना कोई भाव लाए कहा कि उनके पद त्याग से बहुत से लोगों ने राहत की सांस ली होगी तो वहीं बहुत से लोग निराश भी हुए होंगे। मैं विश्व की सबसे बेहतरीन नौकरी छोड़ने जा रहा हूं। 
पूर्व प्रधानमंत्री जॉन मेजर का कहना है कि प्रधानमंत्री बॉरिस जॉनसन का तीन महीने तक पद पर बने रहने का प्रस्ताव न तो व्यवहारिक है और न ही बुद्धिमतापूर्ण। वे अपनी ही मंत्री-परिषद का विश्वास खो चुके हैं। 
लिवरपूल विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्र के प्रोफ़ेसर जोनाथन टौंज ने स्थिति पर एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है, “जिन मंत्रियों ने इस्तीफ़ा दिया है मुझे उनकी इस बात पर हँसी आती है कि बॉरिस जॉनसन ने विश्वसनीयता और पात्रता खो दी है।… सच तो यह है कि ये दोनों गुण उसमें कभी थे ही नहीं। बॉरिस जॉनसन में चुनाव जीतने की अद्भुत क्षमता थी। जहां इस क्षमता में कमी दिखाई दी बाक़ी कुछ बचा ही नहीं।” 
ज़ाहिर है कि दुनिया भर में कयास लगाए जा रहे हैं कि बॉरिस जॉनसन के बाद सत्ता कौन संभालेगा। जो नाम दौड़ में आगे दिखाई दे रहे हैं उनमें शामिल हैं – ऋषि सुनक, वेन वॉलास, लिज़ ट्रस, जेरेमी हंट जैसे कुछ नाम सामने आ रहे हैं जो कि नये प्रधानमंत्री बन सकते हैं। ऋषि सुनक को इस बात का लाभ हो सकता है कि वह ब्रिटेन की वित्तीय स्थितियों से पूरी तरह से परिचित है क्योंकि ये स्थितियां उसी की बनाई हुई हैं। मगर उसके विरुद्ध उसकी पत्नी का अमीर पिता की संतान होना इस्तेमाल किया जा रहा है कि इतना अमीर आदमी भला आम आदमी की समस्याओं को क्या समझेगा।
यदि नये नेता के चुनाव में अधिक समय लगता है तो हो सकता है कि देश को मध्यावधि चुनावों का सामना करना पड़ जाए। वैसे लंदन के मेयर सादिक़ ख़ान ने तो साफ़ शब्दों में कह दिया है कि ब्रिटेन के नागरिकों को एक नई शुरूआत मिलनी चाहिये। लेबर पार्टी के लीडर केयर स्टामर के नेतृत्व में ही ये नई शुरूआत हो सकती है। यदि ज़रूरत पड़े तो हमें संसद में अविश्वास प्रस्ताव पेश करना चाहिये। देश के लिये यही सही भी होगा। 
लेखक वरिष्ठ साहित्यकार, कथा यूके के महासचिव और पुरवाई के संपादक हैं. लंदन में रहते हैं.

16 टिप्पणी

  1. कटु सत्य को दृष्टिपात करती हुई बेहतरीन अभिव्यक्ति आदरणीय

  2. A perfect discussion of the present leadership crisis after Johnson’s resignation as PM.
    Objective n analytical.
    You had conjectured it much earlier too.
    The wait for a new leader is cumbersome,yet the political situation is not going out of hand now.
    What took place in SRI LANKA yesterday is unprecedented in a democracy.
    Looking forward to your write up on that too.
    Regards
    Deepak Sharma

  3. आपके लेख के माध्यम से बहुत ही सटीक जानकारी मिलती है। ज्ञानवर्धन के लिए साधुवाद

  4. बारिस जॉनसन के व्यक्तित्व और कृतित्व पर गहराई से विश्लेषण है ।ब्रिटेन का राजनैतिक परिदृश्य प्रस्तुत करती हुई सम्पादकीय कई बातों पर ध्यानाकर्षित करती है ।
    साधुवाद
    Dr Prabha mishra

  5. चाहे जो सर, लेकिन मेरा मानना है कि जिस वित्त मंत्री ऋषि सुनक एवं स्वास्थ्य मंत्री साजिद जाविद तथा सांसद क्रिस पिंचर पर नशे में यौन दुराचार और लोगों से दुर्व्यवहार का आरोप लगा था, वैसे लोगों के हाथ में सत्ता कभी नहीं होनी चाहिए।

  6. चाहे जो हो सर, लेकिन मेरा मानना है कि जिस वित्त मंत्री ऋषि सुनक एवं स्वास्थ्य मंत्री साजिद जाविद तथा सांसद क्रिस पिंचर पर नशे में यौन दुराचार और लोगों से दुर्व्यवहार का आरोप लगा था, वैसे लोगों के हाथ में सत्ता कभी नहीं होनी चाहिए।

  7. चाहे जो हो सर, लेकिन मेरा मानना है कि वित्त मंत्री ऋषि सुनक एवं स्वास्थ्य मंत्री साजिद जाविद ने ग़लत से समझौता न कर, अपने महत्त्वपूर्ण पदों से त्यागपत्र दे दिया, ऐसे लोगों को मौका मिलना चाहिए। मेरी शुभकामना ऐसे लोगों के साथ है। साथ ही यह भी कहना चाहूंगा कि जिस सांसद क्रिस पिंचर पर नशे में यौन दुराचार और लोगों से दुर्व्यवहार का आरोप लगा था, वैसे लोगों के हाथ में सत्ता कभी नहीं होनी चाहिए।

  8. थोड़ी बहुत जानकारी यहाँ टीवी के ज़रिए मिली थी पर विस्तृत विवरण आज मिला जिसके लिए एडिटर महोदय को धन्यवाद और आभार

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.