होम ग़ज़ल एवं गीत डॉ पुष्पलता की ग़ज़ल – हम भी चालों को चाल देते हैं ग़ज़ल एवं गीत डॉ पुष्पलता की ग़ज़ल – हम भी चालों को चाल देते हैं द्वारा डॉ. पुष्पलता - July 10, 2022 127 0 फेसबुक पर शेयर करें ट्विटर पर ट्वीट करें tweet हर खुदी को सवाल देते हैं बेखुदी जब उछाल देते हैं सारी दुनिया धधकने लगती है हम जो आँसू निकाल देते हैं हम दुआओं के खजाने वाले मुफलिसी को भी लाल देते हैं जब ये अग्नि झपकने लगती है अपने पानी से बाल देते हैं तेरे चेहरे में है सियासत सुन हम मुखौटा निकाल देते हैं जितना दिखता है तू नहीं भोला हम भी चालों को चाल देते हैं तू मिसालें उठा के लाएगा हम तो अपनी मिसाल देते हैं तुमसे पलती नहीं है इक यारी हम तो दुश्मन को पाल देते हैं संबंधित लेखलेखक की और रचनाएं डॉ रूबी भूषण की ग़ज़ल – हम को जीना पड़ा जतन कर के सतीश उपाध्याय का नवगीत – मुझ में ही सपने पलते हैं आशा शैली की ग़ज़ल – साथ तू था न तेरा साया था कोई जवाब दें जवाब कैंसिल करें कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें! कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें आपने एक गलत ईमेल पता दर्ज किया है! कृपया अपना ईमेल पता यहाँ दर्ज करें Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.