डॉ पुष्पलता की ग़ज़ल – हम भी चालों को चाल देते हैं
हर खुदी को सवाल देते हैं
सारी दुनिया धधकने लगती है
हम दुआओं के खजाने वाले
जब ये अग्नि झपकने लगती है
तेरे चेहरे में है सियासत सुन
जितना दिखता है तू नहीं भोला
तू मिसालें उठा के लाएगा
तुमसे पलती नहीं है इक यारी
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