Saturday, July 27, 2024
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संपादकीय – ब्रिटेन और भारत के बीच शिक्षा के क्षेत्र में ऐतिहासिक समझौता

सांकेतिक चित्र

भारत में इस बात पर हर्ष प्रकट किया जा रहा है कि भारत के सीनियर सेकण्डरी स्कूल के प्रमाण पत्र को ब्रिटेन में उच्च शिक्षा के लिये मान्य माना जाएगा। सरल शब्दों में कहा जाए तो अब भारत की डिग्री को ब्रिटेन में समान रूप से मान्यता मिलेगी। मुझे याद है जब मैं लंदन में बसने आया और मैंने यहां के संबद्ध विभाग को बताया कि मैंने दिल्ली विश्वविद्यालय से एम.ए. अंग्रेज़ी में किया है तो मुझे बताया गया कि मेरी शैक्षणिक योग्यता बी.ए. ऑनर्स अंग्रेज़ी के बराबर मानी जाएगी। बहुत से भारतीय विश्वविद्यालयों की डिग्री की कोई मान्यता नहीं थी। इस नये समझौते के तहत भारतीय नाविकों के प्रमाणीकरण को भी ब्रिटेन में मान्यता प्रदान की जाएगी। यानी कि अब भारत में नैविक शिक्षा प्राप्त युवाओं को ब्रिटेन के समुद्री जहाज़ों पर नौकरी मिलने के द्वार भी खुल जाएंगे।

भारत और ब्रिटेन के प्रधानमंत्रियों की बातचीत में बहुत से मुद्दों पर निरंतर प्रगति होती रही है। इसका ताज़ा-तरीन उदाहरण है शिक्षा के क्षेत्र में हुआ ऐतिहासिक समझौता। इस समझौते के तहत –
  • दोनों देश एक दूसरे की उच्च-शिक्षा डिग्रियों को मान्यता देंगे।
  • इस समझौते के तहत भारत से ब्रिटेन में अधिक विद्यार्थियों के आने की संभावनाएं बढ़ेंगी। इससे ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था में एक लाख से अधिक पाउण्ड प्रति विद्यार्थी बढ़ने की संभावना है। 
  • यह समझौता उन तीन समझौतों का हिस्सा है जो कि दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ाने के लिये किये गये हैं।
ब्रिटेन के विश्वविद्यालयों ने इस समझौते का खुले दिल से स्वागत किया है। ब्रिटेन सरकार के एक बयान के अनुसार, ‘‘यह समझौता प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गत वर्ष की गई ब्रिटेन-भारत वृहद व्यापार साझेदारी (ईटीपी) का हिस्सा है। इस समझौता ज्ञापन का मतलब है कि ए-लेवेल और उनके समान, स्नातक और परास्नातक सभी डिग्री को अब भारत में भी मान्यता दी जाएगी।’’
दरअसल भारत के मेधावी छात्रों के लिये ब्रिटेन के विश्वविद्यालय शिक्षा का आकर्षण केन्द्र महात्मा गान्धी के ज़माने से ही रहे हैं। गान्धी जी के अतिरिक्त पंडित जवाहर लाल नेहरू, सुभाष चन्द्र बोस, सरदार पटेल और मनमोहन सिंह ने भी ब्रिटेन की विश्वविद्यायलों से शिक्षा ग्रहण की थी। 
इस समझौते के तहत ब्रिटेन की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एन.एच.एस.) में काम करने और प्रशिक्षण पाने की इच्छुक भारतीय नर्सों एवं सहायकों को भी अवसर प्रदान करने का भी प्रावधान है। भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय को भारत में नर्सों का प्रशिक्षण लेने वाली युवतियों को ब्रिटेन की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एन.एच.एस.) के स्तर का प्रशिक्षण देना होगा। इस में अंग्रेज़ी भाषा का ज्ञान भी शामिल होगा ताकि ब्रिटेन में नर्स का कार्य करने में आसानी रहे। 
ब्रिटेन और भारत पहले ही एक-दूसरे के छात्रों के लिए पढ़ाई की पसंदीदा जगह हैं। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2020-21 में ब्रिटेन में 84,555 भारतीय छात्रों ने दाखिला लिया था।
ब्रिटेन के अंतरराष्ट्रीय व्यापार विभाग ने कहा कि उच्च शिक्षा पर समझौते ज्ञापन से ब्रिटिश विश्वविद्यालयों से स्नातक करने वाले भारतीय छात्र अपने देश लौटने के बाद परास्नातक में दाखिले के लिए आवेदन दे सकेंगे या उन सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन दे सकेंगे, जिसमें स्नातक की डिग्री मांगी जाती है।
यूनिवर्सिटी यूके इंटरनेशनल (यू.यू.के.आई.) की मुख्य कार्यकारी विविनी स्टर्न ने कहा, ”यह एक ऐतिहासिक समझौता है, जिसकी रूपरेखा कई वर्षों से तैयार की जा रही थी। छात्रों की योग्यताओं को दोनों देशों द्वारा मान्यता दी जाएगी, जिससे छात्रों के लिए बेहतर शिक्षा प्राप्त करना और नौकरी पाना आसान होगा।’’
यू.यू.के.आई. ब्रिटेन के 140 से अधिक विश्वविद्यालयों का प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने कहा, ” ब्रिटेन के परास्नातकों को मान्यता देना एक महत्वपूर्ण प्रगति है।
इस समझौते के कारण ब्रिटिश नागरिकों को शिक्षा के लिये भारत जा कर अपने शैक्षिक विस्तार के लिये अधिक मौक़े मिलने की संभावना बढ़ेगी। इससे दोनों देशों के संस्थान कुछ ऐसे पाठ्यक्रम शुरू कर सकते हैं जो कि भारत और ब्रिटेन में समान रूप से पढ़ाए जा सकें।
भारत में इस बात पर हर्ष प्रकट किया जा रहा है कि भारत के सीनियर सेकण्डरी स्कूल के प्रमाण पत्र को ब्रिटेन में उच्च शिक्षा के लिये मान्य माना जाएगा। सरल शब्दों में कहा जाए तो अब भारत की डिग्री को ब्रिटेन में समान रूप से मान्यता मिलेगी। मुझे याद है जब मैं लंदन में बसने आया और मैंने यहां के संबद्ध विभाग को बताया कि मैंने दिल्ली विश्वविद्यालय से एम.ए. अंग्रेज़ी में किया है तो मुझे बताया गया कि मेरी शैक्षणिक योग्यता बी.ए. ऑनर्स अंग्रेज़ी के बराबर मानी जाएगी। बहुत से भारतीय विश्वविद्यालयों की डिग्री की कोई मान्यता नहीं थी। 
इस नये समझौते के तहत भारतीय नाविकों के प्रमाणीकरण को भी ब्रिटेन में मान्यता प्रदान की जाएगी। यानी कि अब भारत में नैविक शिक्षा प्राप्त युवाओं को ब्रिटेन के समुद्री जहाज़ों पर नौकरी मिलने के द्वार भी खुल जाएंगे।
ब्रिटेन के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार सचिव एनी-मैरी ट्रेवेलियन ने कहा है, हम ख़ुश हैं कि अब हम अपने दोनों देशों के बीच व्यापार के लिये बाधाओं को दूर करने और ब्रिटेन की उच्च-शिक्षा को और भी आसान बनाने औऱ भारतीय छात्रों के लिये अधिक आकर्षक बनाने के अपने वादे को पूरा कर पाए हैं।
ब्रिटेन का यह भी प्रयास रहेगा कि नर्सों के लिये मानसिक स्वास्थ्य, क्रिटिकल देखभाल, आपातकालीन देखभाल, उपशामक देखभाल और नवजात गहन देखभाल जैसी विशिष्टताओं  के लिये बेहतर प्रशिक्षण विकसित करने के अवसरों की भी पहचान की जाए। भारत और यू.के. में पेशेवर निकायों एवं नियामकों के बीच जुड़ाव के माध्यम से निपुणता एवं प्रशिक्षण के बीच की खाई को पाटने में भी सहयोग होगा।
ब्रिटेन के वाणिज्य सचिव ने कहा कि वर्तमान समझौते में ऑनलाइन पाठ्यक्रम भी शामिल किये जाएंगे। इसमें कुछ ऐसे पाठ्यक्रमों की सुविधा भी रहेगी जो छात्रों को भारत और यूके में भी आंशिक रूप से अध्ययन करने का विकल्प प्रदान करेगी। इसके अतिरिक्त यह उन लोगों के लिये भी उपयोगी होगा जो यू.के. से स्नातकोत्तर कार्यक्रम पूरा करना चाहते हैं – यह कोर्स एक वर्ष का होगा। सबसे बड़ी विशेषता यह है कि अब छात्रों द्वारा अर्जित क्रेडिट को ट्रांसफ़र करना भी संभव होगा। 
ब्रिटेन के उप-शिक्षा सचिव जेम्स क्लेवरली का कहना है कि, यू.के. के विश्वविद्यालय सही मायने में वैश्विक शिक्षा जगत में ईर्ष्या का विषय बन चुके हैं। यहां की अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा देश के लिये बेहतरीन निर्यात हैं। जेम्स क्लेवरली ने आगे कहा, यह समझौता हमारी यू.के.-भारत साझेदारी पर आधारित है। यह तमाम बाधाओं को दूर करने वाला समझौता है ताकि भारत के सबसे अच्छे और प्रतिभाशाली छात्र यहां पढ़ सकें। इससे हमारी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा और हमारे विश्वविद्यालय परिसर और समुदाय समृद्ध हो पाएंगे।
इससे ब्रिटेन के विद्यार्थियों के लिये भारत में पढ़ने के नये रास्ते खुलेंगे। हमारे विश्व-विख्यात विश्वविद्यालयों के लिये दुनिया के सबसे तेज़ी से बढ़ते और सबसे गतिशील राष्ट्रों में से एक भारत में कुछ नये डिग्री कार्यक्रम शुरू करने का मार्ग प्रशस्त होगा।
भारत की एम.ए. की डिग्री को ब्रिटेन में मान्यता मिलना एक महत्वपूर्ण कदम है। इसका सीधा सा अर्थ यह है कि अब ब्रिटेन के कुछ श्रेष्ठ विश्वविद्यालयों के स्नातकों को उनकी शैक्षणिक उपलब्धियों का लाभ मिल पाएगा और वे भारत के कार्पोरेट जगत में बेहतरीन नौकरियां पा सकेंगे। 
ब्रिटिश काउंसिल की भारतीय निर्देशक बारबरा विकहैम ओबीई का कहना है, दोनों देशों द्वारा एक दूसरे की शैक्षणिक डिग्रियों को मान्यता देना एक महत्वपूर्ण कदम है और यूके-भारत शैक्षिक रिश्तों के लिये एक उत्सव से कम नहीं है।
हमें ख़ास ख़ुशी इस बात की भी है कि इस समझौते पर भारत-यूके सांस्कृतिक सत्र के दौरान हस्ताक्षर हुए। भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के दौरान यह समझौता हमारे रिश्तों की मज़बूती का सुबूत है।
एक लंबे अरसे से यह महसूस किया जा रहा है कि भारत के पश्चिमी देशों के साथ संबंधों में लगातार सुधार हो रहा है। अमरीका, युरोप और ब्रिटेन के साथ भारत निरंतर कुछ न कुछ नये समझौते कर रहा है। मगर इस समझौते की ख़ासियत यह है कि इसमें हथियारों के विध्वंस की दहशत नहीं है… इसमें शामिल है शिक्षा जो इन्सान को बेहतर बनाने का सबसे महत्वपूर्ण औज़ार है। 
तेजेन्द्र शर्मा
तेजेन्द्र शर्मा
लेखक वरिष्ठ साहित्यकार, कथा यूके के महासचिव और पुरवाई के संपादक हैं. लंदन में रहते हैं.
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19 टिप्पणी

  1. ”यह एक ऐतिहासिक समझौता है, जिसकी रूपरेखा कई वर्षों से तैयार की जा रही थी। छात्रों की योग्यताओं को दोनों देशों द्वारा मान्यता दी जाएगी, जिससे छात्रों के लिए बेहतर शिक्षा प्राप्त करना और नौकरी पाना आसान होगा।’’

    • शैक्षिक समानता की मान्यता का यह समझौता ब्रिटेन में भारतीयता की स्वीकृति का प्रतीक है, जो भारतीय प्रतिभाओं को वैश्विक स्तर पर ले जाने एवं उन्हें प्रतिस्थापित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करेगा| अस्तु|

  2. तजेंद्र जी नमस्कार

    इस बार भी कुछ नया ही संपादकीय में पढ़ने को मिला। यह भारत के लिए बहुत गर्व की बात है। यह ऐतिहासिक समझौता है जिसे दुनिया युगो युगो तक याद रखेगी। छात्रों के लिए अच्छे अवसर प्रदान होंगे।

  3. धन्यवाद इतनी विस्तृत जानकारी दी आपने। गनीमत है, अब ब्रिटिश अपने शासक और हमको ग़ुलाम समझने के दम्भ से मुक्त हो सकेंगे। प्रसन्नता यह भी है कि भारत में नौकरी पाना अब ब्रिटिश जनता को आकर्षक लगे। अभी तक तो हमारा देश ब्रेन – ड्रेन से पीड़ित था। मेधावी छात्र देश छोड़ कर विदेशों के आकर्षक में फंस जाते थे। आशा है कि परिस्थितियाँ बदलेंगी और विश्व पटल भारतीय अपने को भारतीय कहने में शर्मिंदा अनुभव नहीं करेंगे… अमीन!

  4. सराहनीय प्रयास समझौते के द्वारा। भारत के स्वतंत्र होने के बाद अनेक समझौते इस तरह किए गए, परन्तु आम जन मानस को इसकी कोई जानकारी नहीं होती जैसा आपने आपबीती उदाहरण प्रस्तुत किया की भारत का स्नातकोत्तर बर्तनिया के स्नातक के समकक्ष ही माना जाता है। अन्तर राष्ट्रीय स्तर के इन मापदंडों के प्रति जागरूकता विशेष रूप से विद्यार्थियों में अति आवश्यक है। शासन और मीडिया इन मुद्दों को स्पष्ट करना आवश्यक है।
    इस संपादकीय में रोचक एवम महत्वपूर्ण जानकारी, विशेष रूप से विदेशों में बसने की इच्छा रखने वाले युवा वर्ग के लिए ।

  5. बहुत ही विस्तृत जानकारी ।ऐतिहासिक कदम । हर सप्ताह आपके संपादकीय को पढ़कर कुछ न कुछ नया जाना जा सकता है । दोनों देशों के लिए के स्वागत योग्य समझौता ।

  6. Your detailed observations regarding the new education policies of UK VIS A VIS Indian students will prove to be very useful for our young students .
    They will welcome this information as will their parents.
    Regards
    Deepak Sharma

  7. सर्वप्रथम एक महत्वपूर्ण विषय पर विस्तृत किन्तु स्पष्ट जानकारी देने के लिए दिल से शुक्रिया वस्तुतः ये आपके सम्पादकीयों की विशेषता है उनकी सरल सहज भाषा शैली क्लिष्ट विषयों पर भी।
    निसन्देह ये एक राहत भरी पहल है जिसका स्वागत किया जाना चाहिए। यदि हम प्राचीन इतिहास को देखें तो दो देशों के मध्य आदान प्रदान ज्ञान , संस्कृति, खान पान का ही होता है साम्राज्य बाद की पबल भावना ने इस सुंदर उद्देश्य मे सेंध लगा दी । जो अब अस्त्र शस्त्र से जुड़ चुका है।शिक्षा का आदान प्रदान श्रेष्ठ आदान प्रदान है निश्चित ही सुकून भरा भी।
    पुनः आभार एवं बधाई सर

  8. शिप्रा धन्यवाद। मेरा मानना है कि बड़ी से बड़ी बात भी सरल शब्दों में कही जा सकती है। संप्रेषण लेखन की पहली कसौटी है।

  9. शिक्षा के क्षेत्र में अच्छा समझौता है ।अब प्रतिस्पर्धा भारत में शिक्षण संस्थानों के बीच होगी ,इसका लाभ भारत के छात्रों को मिलेगा ,मानकों के निर्धारण से डिग्री की कीमत होगी ।युवाओं के रोजगार के अवसर व्यापक हुए हैं । भारत पूर्ण विकास की ओर अग्रसर है
    हर्ष का विषय है।सम्पादकीय में कई बिंदु विचार योग्य हैं
    साधुवाद
    Dr Prabha mishra

  10. भाई तेजेंद्र जी यह संपादकीय ब्रिटेन में शिक्षा प्राप्त करने के इच्छुक भारतीयों को जानकारी के लिहाज से काफी उपयोगी है। आपने व्यापक और स्पष्टता से दोनोंं देशों के बीच शिक्षा को लेकर होने वाले इस समझौते को बताया है। आशा। है भारतीय विद्यार्थियों को यह संपादकीय जरूर पढ़नी चाहिए।

  11. शिक्षा क्षेत्र से जुड़े हुए इस ऐतिहासिक समझौते के माध्यम से युवाओं के लिए भावी मार्ग प्रशस्त होंगे। इस सारगर्भित सम्पादकीय में कई महत्त्वपूर्ण जानकारियांँ दी गईं हैं। एतदर्थ तेजेन्द्र जी बधाई के पात्र हैं।

  12. बहुत सुन्दर और विस्तृत जानकारी दी आपने। शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े इस ऐतिहासिक समझौते से गुलामी और स्वामी वाली सोच अलग थलग पड़ कमजोर होगी । दोनों देशों के नागरिकों में समानता के साथ सांस्कृतिक विरासत का आदान प्रदान सुदृढ़ होगा । भावी पीढ़ी को नए अवसर मिलेंगे । शैक्षणिक प्रतिस्पर्धा से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सकारात्मक परिणाम प्राप्त होंगे । आपको साधुवाद ।

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