
भारत में इस बात पर हर्ष प्रकट किया जा रहा है कि भारत के सीनियर सेकण्डरी स्कूल के प्रमाण पत्र को ब्रिटेन में उच्च शिक्षा के लिये मान्य माना जाएगा। सरल शब्दों में कहा जाए तो अब भारत की डिग्री को ब्रिटेन में समान रूप से मान्यता मिलेगी। मुझे याद है जब मैं लंदन में बसने आया और मैंने यहां के संबद्ध विभाग को बताया कि मैंने दिल्ली विश्वविद्यालय से एम.ए. अंग्रेज़ी में किया है तो मुझे बताया गया कि मेरी शैक्षणिक योग्यता बी.ए. ऑनर्स अंग्रेज़ी के बराबर मानी जाएगी। बहुत से भारतीय विश्वविद्यालयों की डिग्री की कोई मान्यता नहीं थी। इस नये समझौते के तहत भारतीय नाविकों के प्रमाणीकरण को भी ब्रिटेन में मान्यता प्रदान की जाएगी। यानी कि अब भारत में नैविक शिक्षा प्राप्त युवाओं को ब्रिटेन के समुद्री जहाज़ों पर नौकरी मिलने के द्वार भी खुल जाएंगे।
भारत और ब्रिटेन के प्रधानमंत्रियों की बातचीत में बहुत से मुद्दों पर निरंतर प्रगति होती रही है। इसका ताज़ा-तरीन उदाहरण है शिक्षा के क्षेत्र में हुआ ऐतिहासिक समझौता। इस समझौते के तहत –
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दोनों देश एक दूसरे की उच्च-शिक्षा डिग्रियों को मान्यता देंगे।
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इस समझौते के तहत भारत से ब्रिटेन में अधिक विद्यार्थियों के आने की संभावनाएं बढ़ेंगी। इससे ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था में एक लाख से अधिक पाउण्ड प्रति विद्यार्थी बढ़ने की संभावना है।
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यह समझौता उन तीन समझौतों का हिस्सा है जो कि दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ाने के लिये किये गये हैं।
”यह एक ऐतिहासिक समझौता है, जिसकी रूपरेखा कई वर्षों से तैयार की जा रही थी। छात्रों की योग्यताओं को दोनों देशों द्वारा मान्यता दी जाएगी, जिससे छात्रों के लिए बेहतर शिक्षा प्राप्त करना और नौकरी पाना आसान होगा।’’
एकदम सही कहा रमेश भाई।
शैक्षिक समानता की मान्यता का यह समझौता ब्रिटेन में भारतीयता की स्वीकृति का प्रतीक है, जो भारतीय प्रतिभाओं को वैश्विक स्तर पर ले जाने एवं उन्हें प्रतिस्थापित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करेगा| अस्तु|
तजेंद्र जी नमस्कार
इस बार भी कुछ नया ही संपादकीय में पढ़ने को मिला। यह भारत के लिए बहुत गर्व की बात है। यह ऐतिहासिक समझौता है जिसे दुनिया युगो युगो तक याद रखेगी। छात्रों के लिए अच्छे अवसर प्रदान होंगे।
धन्यवाद इतनी विस्तृत जानकारी दी आपने। गनीमत है, अब ब्रिटिश अपने शासक और हमको ग़ुलाम समझने के दम्भ से मुक्त हो सकेंगे। प्रसन्नता यह भी है कि भारत में नौकरी पाना अब ब्रिटिश जनता को आकर्षक लगे। अभी तक तो हमारा देश ब्रेन – ड्रेन से पीड़ित था। मेधावी छात्र देश छोड़ कर विदेशों के आकर्षक में फंस जाते थे। आशा है कि परिस्थितियाँ बदलेंगी और विश्व पटल भारतीय अपने को भारतीय कहने में शर्मिंदा अनुभव नहीं करेंगे… अमीन!
सार्थक टिप्पणी के लिए धन्यवाद शैली जी।
सराहनीय प्रयास समझौते के द्वारा। भारत के स्वतंत्र होने के बाद अनेक समझौते इस तरह किए गए, परन्तु आम जन मानस को इसकी कोई जानकारी नहीं होती जैसा आपने आपबीती उदाहरण प्रस्तुत किया की भारत का स्नातकोत्तर बर्तनिया के स्नातक के समकक्ष ही माना जाता है। अन्तर राष्ट्रीय स्तर के इन मापदंडों के प्रति जागरूकता विशेष रूप से विद्यार्थियों में अति आवश्यक है। शासन और मीडिया इन मुद्दों को स्पष्ट करना आवश्यक है।
इस संपादकीय में रोचक एवम महत्वपूर्ण जानकारी, विशेष रूप से विदेशों में बसने की इच्छा रखने वाले युवा वर्ग के लिए ।
इस सार्थक टिप्पणी के लिए धन्यवाद कैलाश भाई।
बहुत ही विस्तृत जानकारी ।ऐतिहासिक कदम । हर सप्ताह आपके संपादकीय को पढ़कर कुछ न कुछ नया जाना जा सकता है । दोनों देशों के लिए के स्वागत योग्य समझौता ।
Your detailed observations regarding the new education policies of UK VIS A VIS Indian students will prove to be very useful for our young students .
They will welcome this information as will their parents.
Regards
Deepak Sharma
Deepak ji thanks for your comment. In fact it had been a long standing discussion on the issue between the two countries.
सर्वप्रथम एक महत्वपूर्ण विषय पर विस्तृत किन्तु स्पष्ट जानकारी देने के लिए दिल से शुक्रिया वस्तुतः ये आपके सम्पादकीयों की विशेषता है उनकी सरल सहज भाषा शैली क्लिष्ट विषयों पर भी।
निसन्देह ये एक राहत भरी पहल है जिसका स्वागत किया जाना चाहिए। यदि हम प्राचीन इतिहास को देखें तो दो देशों के मध्य आदान प्रदान ज्ञान , संस्कृति, खान पान का ही होता है साम्राज्य बाद की पबल भावना ने इस सुंदर उद्देश्य मे सेंध लगा दी । जो अब अस्त्र शस्त्र से जुड़ चुका है।शिक्षा का आदान प्रदान श्रेष्ठ आदान प्रदान है निश्चित ही सुकून भरा भी।
पुनः आभार एवं बधाई सर
शिप्रा धन्यवाद। मेरा मानना है कि बड़ी से बड़ी बात भी सरल शब्दों में कही जा सकती है। संप्रेषण लेखन की पहली कसौटी है।
शिक्षा के क्षेत्र में अच्छा समझौता है ।अब प्रतिस्पर्धा भारत में शिक्षण संस्थानों के बीच होगी ,इसका लाभ भारत के छात्रों को मिलेगा ,मानकों के निर्धारण से डिग्री की कीमत होगी ।युवाओं के रोजगार के अवसर व्यापक हुए हैं । भारत पूर्ण विकास की ओर अग्रसर है
हर्ष का विषय है।सम्पादकीय में कई बिंदु विचार योग्य हैं
साधुवाद
Dr Prabha mishra
धन्यवाद प्रभा जी। आपने सही बिंदुओं को पकड़ा है।
भाई तेजेंद्र जी यह संपादकीय ब्रिटेन में शिक्षा प्राप्त करने के इच्छुक भारतीयों को जानकारी के लिहाज से काफी उपयोगी है। आपने व्यापक और स्पष्टता से दोनोंं देशों के बीच शिक्षा को लेकर होने वाले इस समझौते को बताया है। आशा। है भारतीय विद्यार्थियों को यह संपादकीय जरूर पढ़नी चाहिए।
धन्यवाद इंद्रजीत। आपने संपादकीय को पढ़ा और सार्थक टिप्पणी दी।
शिक्षा क्षेत्र से जुड़े हुए इस ऐतिहासिक समझौते के माध्यम से युवाओं के लिए भावी मार्ग प्रशस्त होंगे। इस सारगर्भित सम्पादकीय में कई महत्त्वपूर्ण जानकारियांँ दी गईं हैं। एतदर्थ तेजेन्द्र जी बधाई के पात्र हैं।
बहुत सुन्दर और विस्तृत जानकारी दी आपने। शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े इस ऐतिहासिक समझौते से गुलामी और स्वामी वाली सोच अलग थलग पड़ कमजोर होगी । दोनों देशों के नागरिकों में समानता के साथ सांस्कृतिक विरासत का आदान प्रदान सुदृढ़ होगा । भावी पीढ़ी को नए अवसर मिलेंगे । शैक्षणिक प्रतिस्पर्धा से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सकारात्मक परिणाम प्राप्त होंगे । आपको साधुवाद ।