साभार : The indian Express

हमारे नेताओं की एक समस्या है कि वे किसी भी घटना या दुर्घटना को राजनीतिक रंग देने से बाज़ नहीं आते। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भी यही किया जब उन्होंने कहा – इस मामले में केस दर्ज हो चुका है। कुछ लोग अरेस्ट हुए हैं। हिंसा में भाजपा और शिवसेना के लोग थे। दूसरी तरफ अकाली दल के लोग थे। यह दो राजनीतिक दलों का टकराव था, इसे किसी धर्म या समुदाय से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जांच हो रही है, जल्द ही सब सबके सामने आएगा। पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार की लोकप्रियता से घबराकर विपक्षी दलों ने यह सब किया। मान ने हिंसा के दिन ही भाजपा के प्रदेश प्रधान अश्वनी शर्मा के काली माता मंदिर जाने पर भी सवाल खड़े किए।

1990 के दशक में पंजाब के सुपरकॉप के.पी.एस. गिल ने सख़्ती से निपटते हुए पंजाब को खालिस्तानी आतंकवादियों से मुक्ति दिलवाने में अहम भूमिका अदा की थी। 1995 में 82 वर्ष की आयु में के.पी.एस. गिल का दिल्ली के गंगाराम हस्पताल में निधन हो गया था। उनके गुर्दों ने पूरी तरह से काम करना बंद कर दिया था।
आज पटियाला के खालिस्तानी हिंसक उपद्रव से के.पी.एस. गिल की आत्मा को अवश्य कष्ट हुआ होगा। पंजाब के वरिष्ठ नागरिक सोच रहे होंगे काश आज गिल साहब ज़िन्दा होते!
मेरा अपना जन्म पंजाब के जगराँव शहर में हुआ था। ज़ाहिर है कि पंजाब से मेरा निजी रिश्ता है। वहां किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना होती है तो मुझे दुःख पहुंचता ही है। आत्मा तक को कष्ट होता है। किसान आंदोलन के दौरान भी कनाडा के खालिस्तान समर्थकों की गतिविधियों ने आहत किया था।
हाल ही में पंजाब के चुनावों के समय हिंदी के लोकप्रिय कवि कुमार विश्वास का एक वीडियो ख़ासा वायरल हुआ था जिसमें उन्होंने अरविंद केजरीवाल के खालिस्तानी आतंकवादियों के साथ रिश्तों की जानकारी दी थी। अरविंद केजरीवाल ने कुमार विश्वास के आरोपों को नकारा बिल्कुल नहीं था… बस अपने आप को क्यूट आतंकवादी कह कर बात को गोलमोल घुमा दिया था। 
अब शुक्रवार को पंजाब में जिस तरह से खालिस्तान के नारे लगाए गए, तलवारें और बंदूकें निकल आईं तो उसके बाद इंटरनेट मीडिया पर ये सभी वायरल हो गए। इस घटना के बाद काफी लोग कुमार विश्वास के उस बयान का समर्थन कर रहे हैं जिसमें उन्होंने कहा था कि पंजाब में सत्ता परिवर्तन होने के बाद खालिस्तान की मांग उठने लगेगी। उसके लिए उन्होंने तर्क भी दिए थे। अब उनकी कही गई वो बातें एक तरह से सच साबित होने लगी है। शुक्रवार को पंजाब के पटियाला में खालिस्तान की मांग को लेकर प्रदर्शन देखने को मिला।
पटियाला में आज शाम 7 बजे से कल 30 अप्रैल को सुबह 6 बजे तक कर्फ्यू लगा दिया गया है। खालिस्तान समर्थकों और शिवसेना (बाल ठाकरे ग्रुप) के बीच झड़प को ध्यान में रखते हुए ये फैसला लिया गया है। वहीं सोशल मीडिया पर इस तरह के वीडियो वायरल हुए हैं, जिसमें खालिस्तान के समर्थन में नारे लगाए गए हैं। 
काली माता मंदिर में स्थिति तनावपूर्ण हो गई। काली माता मंदिर के बाहर भारी संख्या में खालिस्तान समर्थक इकट्ठे हो गए। शिव सेना व खालिस्तान समर्थकों में पत्थरबाजी हुई। मौके को काबू में लाने के लिए एस.एस.पी. ने घटनास्थल पर हवाई फायर किए। इस दौरान एक शिव सेना नेता और थाना त्रिपड़ी के एसएचओ कर्मवीर सिंह घायल हुए। बताया जा रहा है कि खालिस्तान समर्थकों ने तलवार से एसएचओ पर हमला किया। कहा जा रहा है कि पुलिस की तरफ से स्थिति को नियंत्रण में करने के लिए करीब 15 राउंड हवाई फायर किए गए।
शिवसेना हिंदुस्तान (बाल ठाकरे ग्रुप) के पंजाब प्रभारी हरीश सिंगला ने अपने साथियों के साथ आर्य समाज चौक से एक जुलूस निकाला जिसमें खालिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए गये। हरीश सिंगला का दावा है कि वे पंजाब में कभी भी खालिस्तान नहीं बनने देंगे। सिंगला ने यह भी बताया कि सिख फ़ॉर जस्टिस के संयोजक आतंकवादी गुरपतवंत पन्नू ने 29 अप्रैल को खालिस्तान का स्थापना दिवस मनाने की घोषणा की है। इनको जवाब देने के लिए शिवसेना ने भी 29 अप्रैल को खालिस्तान मुर्दाबाद मार्च निकालने का ऐलान किया था।
शिवसेना हिंदुस्तान और खालिस्तान समर्थकों के बीच हुई हिंसा के बाद हालात तनावपूर्ण हो गए हैं. हिंसा के दौरान काली मंदिर पर हुए हमले के विरोध में कल यानी 30 अप्रैल को शिवसेना हिंदुस्तान नाम के हिंदू संगठन ने पटियाला में बंद का ऐलान किया है। संगठन के अध्यक्ष पवन गुप्ता का कहना है कि निकाली गयी मार्च से काली मंदिर का कोई लेना-देना नहीं था… लेकिन फिर भी खालिस्तान समर्थकों ने मंदिर पर हमला करके हमारे देवी देवताओं के प्रति बेअदबी की है। पवन गुप्ता खालिस्तान समर्थकों की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं।
एक अजीब सी स्थिति इस मामले में पैदा हो गयी है। शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने अपने बयान में कहा है कि शिवसेना का सिंगला की मार्च से कुछ लेना देना नहीं है। यह सिंगला का निजी कृत्य है। वहीं  इस घटना के बाद शिव सेना हिंदुस्तान ने हरीश सिंगला को पार्टी से निकाल दिया है। शिवसेना पंजाब के प्रदेश अध्यक्ष ने सिंगला को पार्टी से निकाले जाने की बात कही है। प्रदेशाध्यक्ष के मुताबिक राष्ट्रीय अध्यक्ष उद्धव ठाकरे और युवा सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष आदित्य ठाकरे के कहने पर हरीश सिंगला को निकाला गया है।
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा है कि दोषियों को बख़्शा नहीं जाएगा। शिवसेना नेता हरीश सिंगला को हिरासत के बाद आज गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस के कुछ बड़े अफसरों पर हिंसा की गाज गिरी है।
पटियाला के आईजी राकेश अग्रवाल को हटा दिया गया है… जबकि डिप्टी एसपी और एसएचओ को शिफ्ट कर दिया गया है। मुखविंदर सिंह छीना को नया आईजी बनाया गया है जबकि दीपक पारेख नए एसएसपी और वजीर सिंह नए एसपी होंगे।
पटियाला की डिप्टी कमिश्रर ने शांति बनाए रखने की अपील की है। स्थिति फिलहाल नियंत्रण में है। मोबाइल इंटरनेट सर्विसेज को अस्थायी तौर पर बंद कर दिया गया है, ताकि अफवाहों को फैलने से रोका जाए। तीन घटनाओं में अलग अलग एफआईआर दर्ज की गई हैं। वीडियो फुटेज के आधार पर मिली जानकारी के जरिए सबूत जमा किए जा रहे हैं।  उन्होंने आगे कहा, हम छापेमारी कर रहे हैं।
हमारे नेताओं की एक समस्या है कि वे किसी भी घटना या दुर्घटना को राजनीतिक रंग देने से बाज़ नहीं आते। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भी यही किया जब उन्होंने कहा – इस मामले में केस दर्ज हो चुका है। कुछ लोग अरेस्ट हुए हैं। हिंसा में भाजपा और शिवसेना के लोग थे। दूसरी तरफ अकाली दल के लोग थे। यह दो राजनीतिक दलों का टकराव था, इसे किसी धर्म या समुदाय से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जांच हो रही है, जल्द ही सब सबके सामने आएगा। पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार की लोकप्रियता से घबराकर विपक्षी दलों ने यह सब किया। मान ने हिंसा के दिन ही भाजपा के प्रदेश प्रधान अश्वनी शर्मा के काली माता मंदिर जाने पर भी सवाल खड़े किए।
भारत की राजनीतिक पार्टियों को ख़्याल रखना होगा कि आपसी रंजिश या मतभेद अपनी जगह हैं। मगर पंजाब एक सीमाप्रान्त है। वहां की उथल-पुथल का लाभ देश के दुश्मन उठा सकते हैं। यदि केजरीवाल के मुख्यमंत्री भी इस मामले में कोई ठोस कदम न उठा कर केवल राजनीतिक बयानबाज़ी करते रहे, तो इससे भारत के हितों का नुक्सान होने की पूरी संभावना है। वैसे इस समय देश भर में हालात कुछ ऐसा इंगित कर रहे हैं कि जैसे हर राजनीतिक एवं धार्मिक नेता अपना अपना स्वार्थ साधने के चक्कर में हैं।
लेखक वरिष्ठ साहित्यकार, कथा यूके के महासचिव और पुरवाई के संपादक हैं. लंदन में रहते हैं.

11 टिप्पणी

  1. भारतीय राजनीति के तात्कालिक और ज्वलंत मुद्दे पर आपका ये संपादकीय बहुत जरूरी होने के साथ महत्वपूर्ण भी है। घटना से जुड़े सभी बिंदुओं पर अपनी सूक्ष्म दृष्टि आपने सटीकता से रखी है। ये सच है कि भारतीय राजनीतिज्ञ किसी भी घटना का राजनीतिकरण करने से बाज नहीं आते। एक और कमी भारतीय लोकतंत्र की रही है कि यहां समस्या को नासूर बनने के बाद इसके बारे में सोचा जाता है। बहरहाल आपके इस संपादकीय से दो बातें स्पष्ट हो जाती है कि खालिस्तान आंतकवाद के दोबारा पैर पसारने की पंजाब में शुरुआत और वर्तमान पंजाब सरकार के इसके पीछे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हाथ होंने से इंकार नहीं किया जा सकता। इस मुद्दे पर आपके स्पष्ट संपादकीय के। लिये साधुवाद आद तेजेन्द्र सर।

    • विरेन्द्र भाई आपकी टिप्पणी संपादकीय के सरोकार समझने में सहायक सिद्ध होगी।

  2. Your worry is genuine.
    It is very unfortunate indeed that anti national forces create communal tension and stand in the way of all round development of our nation.
    Thanks for your emphasis on the importance of harmony and peace.
    Regards
    Deepak Sharma

  3. ऐसे वक़्त में जब वर्तमान सरकार सूझबूझ के साथ देश के विकास में संलग्न है ,देश की अखंडता को तहस नहस करने वाली ताकतें सक्रिय होती जा रहीं हैं ।तुष्टिकरण की राजनीति करने वाले दलों को निष्ठा, ईमानदारी और देशप्रेम से कुछ लेना देना नहीं ।जिनके पास राजनीति का कोई धर्म नहीं वे धर्म की राजनीति करने लगते हैं
    पंजाब प्रांत सीमांत प्रांत है इसे लेकर जज़्बाती होना उचित है, अपनी जन्मभूमि और देश के प्रति चिंता को व्यक्त करती सम्पादकीय के लिए साधुवाद
    Dr Prabha mishra

    • प्रभा जी आपने सही कहा। हमारे राजनीतिज्ञ अपनी राजनीति को चमकाने के लिये देश की भलाई भूल जाते हैं। पंजाब का इस्तेमाल हमारे दुश्मन मुल्क आसानी से हमें नुक्सान पहुंचाने के लिये कर सकते हैं।

  4. बात बिल्कुल सही है, आपकी दृष्टि हर ओर गयी है, अच्छा संपादकीय। देश काफ़ी दिनों से शान्त और स्थिर था, पर कुछ दिनों से देश भर में खलबली है, केजरीवाल के सपने बहुत बड़े हैं, वो PM बनने के ख्वाब देख रहे हैं, पूरा भारत नहीं खालिस्तान सही, वहीं पर PM बन जायेंगे, इतनी कुत्सित महत्वाकांक्षा रखने वाले नेता भारत को खोखला करते रहेंगे, मीरजाफ़र और जयचंद पैदा होते रहेंगे।

  5. यूके में रहते हुए खालिस्तान मुद्दे पर इतनी बेबाकी से संपादकीय लिखना भी हिम्मत का काम है। यहाँ तो सभी गुरुद्वारों में खालिस्तान समर्थन के बोर्ड लगे हैं।सड़कों पर खालिस्तान referendum के बैनर लगे हैं। केजरीवाल को NRI सिख समुदाय का समर्थन मिलने के पीछे और कोई कारण नहीं दिखता। जो नेता बच्चों की कसम खा के भी सत्ता के लिए उन्हें तोड़ दे वो सत्ता के लिए खालिस्तान समर्थकों से बिल्कुल हाथ मिला सकता है। मोदी विरोध न जाने क्या क्या करवा बैठे।

    एक बात तो तय है कि खालिस्तान आंदोलन मजबूत हो रहा है। और केंद्र सरकार को इसे बिल्कुल भी हल्के में नहीं लेना चाहिए।

    • आशुतोष… किसी न किसी को तो सच लिखना ही है। ग़लत को ग़लत कहने की हिम्मत तो करनी ही होगी। भारत के राजनीतिक दलों के नेताओं को देश के हित के बारे में सोचना शुरू करना होगा।

  6. स्वार्थी नेता सत्ता के लालच में देश का अहित कर रहे हैं, ये पग पग पर सिद्ध हो रहा है। सीमावर्ती प्राँतों में ऐसी अस्थिरता देश के लिए घातक है।
    आपने बहुत अच्छी तरह इस मुद्दे पर विस्तार से प्रकाश वाला है। साधुवाद।

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