पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था वैसे ही चरमराई हुई है। उसे विदेशों में अपने दूतावासों के भवन और अपने हवाइ अड्डे तक बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है। उसे कम से कम अपने दूतावासों के कर्मचारियों को सख़्त आदेश देने होंगे कि अपने व्यवहार में संतुलन और शालीनता लाएं। वरना हो सकता है कि उन्हें कहीं से भी किसी भी प्रकार की आर्थिक सहायता मिलने के कोई आसार भी न बचें। 

पिछले दिनों पाकिस्तान ख़ासी चर्चा में रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के ऑडियो सेक्स टेप पूरे सोशल मीडिया पर वायरल रहे। इमरान ख़ान ने इन ऑडियो टेप्स की सच्चाई पर कोई टिप्पणी नहीं की। उन्हें डर यही सता रहा था कि ऐसी टेप्स सुन-सुन कर पाकिस्तान के युवा राह से भटक जाएंगे !
उसके बाद तो जैसे ऐसी सेक्स टेप्स की बाढ़ ही आ गयी। नवाज़ शरीफ़ की पुत्री मरियम नवाज़ की टेप भी सोशल मीडिया पर पहुंच गयी और कुछ पुरानी वीडियो टेप्स जिनमें पाकिस्तान के वर्तमान विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो एवं विदेश राज्य मंत्री हिना रब्बानी खार आपत्तिजनक मुद्रा में दिखाई दे रहे हैं।  
इमरान ख़ान तो अपने क्रिकेट जीवन में एक प्ले-बॉय के रूप में मशहूर थे। शायद आज भी वे अपना पुराना किरदार जी रहे हैं और समझ नहीं पा रहे हैं कि क्रिकेट कप्तान और देश के प्रधानमंत्री से अपेक्षाएं अलग किस्म की होती हैं। 
मगर जो समाचार हाल ही में सुर्ख़ियों में आया है वो तो पाकिस्तान के चरित्र पर एक गंभीर सवालिया निशान खड़ा कर देता है। (पुरवाई पत्रिका के पास इस समाचार की सच्चाई का एक ही ज़रिया है – वो साक्षात्कार जो पीड़िता ने न्यूज़18 टीवी चैनल को दिया)।
हैरान करने वाला समाचार यह है कि पाकिस्तान उच्चायोग दिल्ली के दो कर्मचारियों ने एक भारतीय महिला को पाकिस्तानी वीज़ा के एवज़ में सेक्स की माँग कर दी। यह कोई अनपढ़ देहाती महिला नहीं बल्कि एक निहायत ही पढ़ी लिखी संभ्रांत महिला है। यह मामला वर्ष 2021 का है।
अमृतसर की एक महिला प्रोफेसर ने पाकिस्तान के वीज़ा के बदले सेक्स कार्यक्रम के तहत दिल्ली में पाकिस्तान उच्चायोग के कई वरिष्ठ कर्मचारियों पर यौन उत्पीड़न और दुर्व्यवहार करने के गंभीर आरोप लगाए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक एक विश्वविद्यालय में वरिष्ठ प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष ने पाकिस्तान में लाहौर का वीजा हासिल करने के लिए ऑनलाइन अपॉइंटमेंट बुक किया था। अपॉइंटमेंट वाले दिन उन्हें दिल्ली बुलाकर यौन उत्पीड़न और गलत व्यवहार किया गया।
पहले उस महिला से सवाल किया गया कि वह लाहौर क्यों जाना चाहती है। इस सवाल में कहीं कोई आपत्तिजनक बात नहीं है। यह सवाल हर दूतावास पूछता ही है। इस महिला ने सवाल का जवाब सधे हुए ढंग से दिया कि उसे एक विश्वविद्यालय में व्याख्यान देने के लिये आमंत्रित किया गया है। साथ ही मैं कुछ ख़ास स्मारकों की तस्वीरें लेना चाहती हूं और उन पर लेख लिखना चाहती हूं।
पीड़िता ने यह भी आरोप लगाया कि इस दौरान एक अधिकार उससे निजी प्रश्न पूछने लगा। ज़ाहिर है कि वह इससे असहज हो गयी। अधिकारी यहीं नहीं रुका। उसे आगे पूछना जारी रखा, “मैंने शादी क्यों नहीं की… मैं बिना शादी के कैसे रह लेती हूं? मैं अपनी यौन-इच्छाओं के लिये क्या करती हूं? महिला ने परेशान होते हुए यह भी बताया कि इस दौरान उससे यह भी पूछा गया कि क्या वह खालिस्तान का समर्थन करती है।
महिला प्रोफ़ेसर ने इस मामले की शिकायत विदेश मंत्री एस. जयशंकर से पत्र लिखकर की है। महिला का मानना है कि इस विषय को टालने का प्रयास किया जा रहा है। उसने भारत सरकार से इस मामले को उठाए जाने की माँग की है। उसने पाकिस्तान सरकार से भी इस संबंध में शिकायत दर्ज करवाई है जो कि पोर्टल के माध्यम से पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो तक भी पहुंची है। 
हिला प्रोफ़ेसर ने इस मामले में दो कर्मचारियों पर आरोप लगाए हैं। उसका कहना है कि उसे बताया गया कि इस समय इमरान ख़ान अविश्वास प्रस्ताव का सामना कर रहे हैं और सरकार स्थिर नहीं है। मुझे ईद के बाद मई में आने को कहा गया। मैं गेट के पास सुरक्षा जांच पर थी। वहां मैं एक अन्य अधिकारी से मिली जिसने कहा कि मुझे आसानी से वीज़ा मिल सकता है लेकिन उसके लिये उसकी बातें माननी होंगी। 
महिला के अनुसार “आधे घंटे बाद मुझे एक दूसरे कमरे में ले जाया गया। पहले तो सामान्य प्रश्न ही पूछे गये। जब मैंने उनके सेक्स से जुड़े सवालों से परेशान हो कर उठने लगी तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया। मैंने उससे कहा कि या तो वीज़ा अधिकारी को बुलाओ या मुझे जाने दो। उसने मुझे इंतज़ार करने को कहा।” 
महिला ने आगे बताया कि, “इतना सब कुछ होने के बाद भी वह अधिकारी बेफ़िक्र दिखाई दिया और मुस्लिम संप्रदाय के बारे में समझाता रहा। उसने मुझ से कहा कि उसे विवाहेत्तर संबंध की अनुमति है। यह भी दावा किया कि वह जितनी महिलाओं से चाहे, विवाह कर सकता है। मैं उसकी बातों को नज़रअंदाज़ करती रही। मैं बस अपना वीज़ा आवेदन जमा कराने की सोच रही थी। उसने एक बार फिर मेरा हाथ थाम लिया। मैं उठी और मैनें कहा कि अब मैं जाना चाहती हूं।”
महिला प्रोफ़ेसर ने संबद्ध दोनों अधिकारियों के नाम भी ज़ाहिर कर दिए हैं। एक का नाम है ताहिर अब्बास और दूसरे का नाम है आसिफ़।  के अनुसार यौन प्रस्ताव अस्वीकार करने के बाद पाकिस्तान उच्चायोग के अधिकारी ने खालिस्तान के बारे में बातें करना शुरू कर दिया। महिला को समझाने का प्रयास किया जाने लगा कि किस प्रकार भारत में अल्पसंख्यकों का दमन किया जा रहा है। महिला ने उन्हें जवाब दिया के हम सब भारत में ख़ुश हैं हम उत्पीड़ित नहीं हैं। महिला प्रोफ़ेसर ने यह भी कहा कि वे खालिस्तान नहीं चाहते। अधिकारियों ने कहा कि कश्मीर प्रस्ताव से पहले पाकिस्तान खालिस्तान बनाएगा। 
इसके बाद पाकिस्तान के अधिकारी ने महिला को वह्ट्सएप पर बहुत से संदेश भी भेजे। उसे डिनर के लिये आमंत्रित किया और रात साथ बिताने का न्यौता भी दिया। महिला ने शालीनता से इस पेशकश को ठुकरा दिया।
पाकिस्तानी उच्चायोग के अधिकारी और महिला के बीच हुई वह्ट्सएप बातचीत का ब्यौरा भी टीवी चैनल पर बार-बार दिखाया गया। महिला का आग्रह है कि भारतीय विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर इस विषय में कदम उठाएं ताकि किसी और को इस रैकेट का शिकार बनाने का प्रयास न किया जा सके।
याद रहे कि उच्चायोग के अधिकारियों को एक ख़ास किस्म की सुरक्षा प्रदान की जाती है। स्थानीय पुलिस उन पर कोई कार्यवाही नहीं कर सकती। अधिक से अधिक उन्हें देश से निष्कासित किया जा सकता है। भारत को इस तरह की गतिविधियों की केवल भर्त्सना नहीं करनी चाहिये बल्कि पाकिस्तान को चेतावनी भी देनी चाहिये कि भविष्य में ऐसी हरकत का मुंहतोड़ जवाब दिया जा सकता है। पाकिस्तानी उच्चायोग के अधिकारियों के ऐसी हरकतें भारत-पाकिस्तान के पहले से बिगड़ते रिश्तों को और अधिक नुक़्सान पहुंचा सकती हैं। 
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था वैसे ही चरमराई हुई है। उसे विदेशों में अपने दूतावासों के भवन और अपने हवाइ अड्डे तक बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है। उसे कम से कम अपने दूतावासों के कर्मचारियों को सख़्त आदेश देने होंगे कि अपने व्यवहार में संतुलन और शालीनता लाएं। वरना हो सकता है कि उन्हें कहीं से भी किसी भी प्रकार की आर्थिक सहायता मिलने के कोई आसार भी न बचें। 
लेखक वरिष्ठ साहित्यकार, कथा यूके के महासचिव और पुरवाई के संपादक हैं. लंदन में रहते हैं.

24 टिप्पणी

  1. बेशर्मी की सारी हदें पार कर चुके वीसा अधिकारियों पर सख्त से सख्त एवं तुरन्त कार्यवाही होनी चाहिए।
    यह घटना से वहाँ के अधिकारियों एवं राजनीतिज्ञों की मानसिकता भी दर्शाती है। पाकिस्तान के माहौल और व्यवस्था से रूबरू करवाता सटीक विश्लेषणात्मक आलेख के लिए हार्दिक बधाई।

  2. पाकिस्तान के अधिकारियों और राजनीतिज्ञों की सच्चाई दर्शता विश्लेषणात्मक आलेख।
    बेशर्मी की सारी हदें पार कर चुके अधिकारियों की इस घटना पर भारत को तुरंत कड़ा कदम उठाना आवश्यक है।

  3. कितना भयावह अनुभव होगा महिला का।जब एक उच्चाधिकारी पाकिस्तानी कर्मचारियों की गलत हरकत से बच नहीं पाई तो पाकिस्तान में आम महिलाओं का क्या हाल होगा?
    इस पर अब तक कार्यवाही न होना दुखद है।

  4. बहुत खूब आदरणीय तेजेन्द्र जी।
    बहुत ही प्रभावकारी लेख लिखा है। पाकिस्तान प्रशासन पर अच्छा तमाचा खिंचा है। यही नीच हरकत और सोच से आज उनकी यह हालत हुई है।
    अतिसुन्दर लेख।

    • धन्यवाद सूर्यकांत भाई। हमारा प्रयास रहता है कि पुरवाई के पाठकों तक नये से नये विषयों की जानकारी पहुंचाई जाए।

  5. तेजेन्द्र जी
    बहुत निराशाजनक स्थिति है। किसी महिला के साथ ऐसा व्यवहार न केवल अशोभनीय है, नीचता की आख़िरी स्तर पर पहुंचने की बात है।
    जब इनवॉलवमेंट इन सबमें रहेगा तो देश जाए भाड़े में, ऐसा नहीं महसूस होता क्या? राज करने के कुछ नियम, नीतियाँ पर चलने से ही तो समस्याओं के समाधान मिल सकेंगे। ख़ुद ही संभलना होगा वर्ना तो जाए रसातल में किसी को कुछ पडी़ ही नहीं है।
    मन क्षुब्ध होता है।
    स्पष्ट संपादकीय के लिए आपको साधुवाद।

  6. पाकिस्तान के चरित्र पर जितना कहा, सुना, लिखा जाए उतना ही कम है ।ख़ुद तो समस्याओं से मुक्त नहीं है जिन देशों के साथ सम्बन्ध हैं उन्हें भी अपने कुकृत्यों से बदनाम कर रहा है ।
    सम्पादकीय को पढ़कर लगा कि वहाँ अनाचार चरमसीमा पर है ,कोई उम्मीदवर नहीं आती कोई सूरत नज़र नहीं आती ।
    Dr Prabha mishra

  7. किसी भी देश का हाई कमीशन कहते ही एक विचार आता है कि इसमें कार्यरत व्यक्ति जिम्मेदार होगा, उच्च शिक्षत होगा वह अपने राष्ट्र का मान बढ़ाएगा लेकिन पाकिस्तान की अनैतिक विचारधारा हर जगह प्रकट होने लगी है ।उस देश के शासको को गम्भीर और सचेत होना चाहिए भविष्य के परिणाम तो खतरनाक हैं ही वर्तमान भी अंधेरे में है ।
    Dr Prabha mishra

  8. अंधेर नगरी चौपट राजा फिर जनता का दुख दर्द कौन सुने
    जब बाड़ ही खेत खाय तब खेत को कौन बताए?

  9. Your Editorial of this Sunday brings forth a disgraceful episode that took place in the case of an Indian woman professor being interviewed for her visa for Pakistan and had to confront uncalled for and undesirable behavior of the Pakistani officials.
    Your condemnation of this behavior is praiseworthy and we hope it will go a long way to bring the culprits to book.
    Regards
    Deepak Sharma

  10. पकिस्तान की पर्तें खोलता हुआ विचारोत्तेजक संपादकीय पढ़ कर हैरानी नहीं हुई। कौटिल्य कह गये हैं, ‘यथा राजा तथा प्रजा’… तो स्वाभाविक है, पाकिस्तानी अधिकारी भी वही रास्ता अपनायेंगे। हैरानी इस बात की ज़रूर है कि, चीन जैसे बहुत से देश, ऐसे राष्ट्र के ख़ैरख्वाह हैं। पाकिस्तान कोई भी नीचे हरकत कर सकता है, इतिहास यही बताता है कि घृणा, आतंकवाद और इस्लामिक अतिवाद से यह देश चलता रहा है। पड़ोसी मुल्क की गहरी जानकारी देने के लिए धन्यवाद।

  11. पाकिस्तान तो बस नाम ही काफ़ी है इस तरह की बेहूदा, वाहियात वाकयात के लिए । इस पर जिस देश में ये घटना घटी वहां की सरकार में बैठे अनेक सांसद और विधायक जिनके विरुद्ध अदालतों में यौन उत्पीडन और बलात्कार के मुकदमे लंबित हैं वे क्या अपने देश की महिलाओं की रक्षा करेंगे, सरकारी दफ्तरों में कोई सुनवाई नहीं होती, इस घटना पर विदेश मंत्रालय ने क्या कदम उठाया, ये पारदर्शी नहीं, लेकिन न्यायपालिका के कोलेजियम में भागीदारी पारदर्शिता के नाम से उछाली जा रही है, वहां और क्या अपेक्षा की जा सकती है ।
    ये तो होना ही था …

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