महाराष्ट्र ने देश को एक नया रास्ता दिखाया है। वहां का गृह-मंत्री जेल में है; पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह भगोड़ा घोषित हो चुका है और सुपर कॉप वाज़े भी सज़ा भुगत रहा है। सरकार पर करोड़ों रुपये की वसूली के आरोप हैं। उप-मुख्यमंत्री अजित पवार पर छापे पड़ रहे हैं। वर्तमान मंत्री और भूतपूर्व मुख्यमंत्री एक दूसरे की पगड़ी सार्वजनिक रूप से उछाल रहे हैं। अब यह हर राज्य के लिये अनिवार्य हो जाना चाहिये के सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेता एक दूसरे के बारे में तथ्यों का सार्वजनिक रूप से अनावरण करते रहें ताकि आम जनता को पता चलता रहे कि राजनीतिक हमाम में सभी राजनीतिक नेता नंगे हैं।

2 अक्तूबर को भारतीय सिनेमा के सुपर-स्टार शाहरूख़ ख़ान के बेटे आर्यन को कुछ अन्य लोगों के साथ समुद्र तट के करीब एन.सी.बी. द्वारा एक क्रूज़ जहाज़ से गिरफ्तार किया गया। आरोप था ड्रग्स पार्टी में शामिल होने का और ड्रग्स के इस्तेमाल का।
ज़मानत मिलने से पहले आर्यन तीन सप्ताह से अधिक हिरासत में और फिर आर्थर रोड जेल में रहा। अचानक मुंबई एन.सी.बी. के ज़ोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े हीरो के रूप में उभरे और हर-दिल अज़ीज़ हो गये। मगर अचानक 4 अक्तूबर को महाराष्ट्र सरकार के अल्पसंख्यक विकास मंत्री नवाब मलिक ने एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस करके मामले को एक नया ट्विस्ट दे दिया।
नवाब मलिक ने आर्यन के मामले को उठाते हुए समीर वानखेड़े पर निजी स्तर के आरोप जड़ दिये कि वह मुसलमान है और झूठा एफ़िडेविट दे कर दलित के रूप में आरक्षण लेकर नौकरी पाई है। समीर का पूरा नाम समीर दाऊद वानखेड़े है और उसके पिता भी मुसलमान हैं। समीर की पहली बीवी की तस्वीर जारी करते हुए कहा कि उनकी पहली बीवी से निकाह हुआ था।… समीर के पहले ससुर से भी तस्दीक करवा ली गयी।
सब हैरान थे कि समीर की निजी ज़िन्दगी का इस केस से क्या लेना देना है। मगर नवाब मलिक का काफ़िला यहीं नहीं रुका अब तो उन्होंने इसे अपना रोज़ाना की ब्रेकिंग न्यूज़ वाला सिलसिला बना दिया और हर रोज़ एक नया रहस्योद्घाटन करने लगे।
तभी पता चला कि समीर वानखेड़े ने ही नवाब मलिक के दामाद समीर खान को गिरफ्तार किया था और लगभग आठ महीने जेल में रखा था। यानी कि नवाब मलिक की समीर वानखेड़े से निजी खुंदक थी जिसे कि वह शाहरुख़ के कंधे पर बंदूक रख कर चला रहा था। मगर मलिक ने सफ़ाई देते हुआ कहा कि वह न किसी धर्म और न ही व्यक्ति के खिलाफ़ लड़ रहा है। उसकी लड़ाई अन्याय और फर्जीवाड़े के खिलाफ है।
शाहरुख़ ख़ान को भी ख़तरे की घंटी सुनाई देने लगी कि नवाब मलिक कहीं मामला गड़बड़ न कर दे। उनके परिवार ने बयान दे दिया कि उन्हें नवाब मलिक की मुहिम से कुछ लेना देना नहीं है।
मगर नवाब मलिक अब एक कदम और आगे बढ़ गये और मामले में शामिल हो गये किरण गोसावी और उसका ड्राइवर प्रभाकर सेल। प्रभाकर सेल ने आरोप लगाया कि किरण गोसावी आर्यन की ज़मानत के सिलसिले में शाहरुख़ ख़ान से 25 करोड़ रुपये की माँग कर रहा था और शाहरूख़ की मैनेजर पूजा डडलानी के साथ 18 करोड़ में डील फ़ाइनल हुई जिसमें से 8 करोड़ रुपये समीर वानखेड़े को मिलने वाले थे।
नवाब मलिक ने एक और आरोप मढ़ दिया कि क्रूज पर रेव पार्टी के दौरान एक अंतरराष्ट्रीय ड्रग माफिया भी मौजूद था और समीर वानखेड़े के नेतृत्व में एनसीबी के अधिकारियों ने कथित तौर पर उसे जाने दिया था। उसने यह भी आरोप लगाया कि इस पूरे खेल में दाढ़ी वाले की मित्रता वानखेड़े से भी है। ड्रग माफिया वानखेड़े का करीबी दोस्त है। वानखेड़े को बताना चाहिए कि ड्रग माफिया को क्यों जाने दिया गया।
नवाब मलिक ने पुणे में कहा, “मैं समीर वानखेड़े को चेतावनी देता हूँ कि साल भर में आपकी नौकरी जाएगी। आप हमें जेल में डालने के लिए आगे आए थे। अब आपको जेल में देखे बिना इस देश की जनता खामोश नहीं रहेगी।”
अब नवाब मलिक को अपने खेल में ख़ुद भी मज़ा आने लगा। उसने समीर वानखेड़े से सवाल पूछा कि क्या उसकी साली का ड्रग माफ़िया से कोई रिश्ता है। यानी कि अब मामले रिश्तेदारों तक भी पहुंच गया। इससे पहले नवाब मलिक समीर वानखेड़े की पत्नी और बहन को भी मामले में घसीट चुका था।
अब क्योंकि एन.सी.बी. सीधा केन्द्र सरकार के तहत आता है तो ज़ाहिर है कि गृह मंत्रालय को तो मसले से जुड़ना ही पड़ेगा। अफ़वाहें उड़ने लगीं कि समीर वानखेड़े को ज़ेड प्लस सुरक्षा प्रदान कर दी गयी है। किसी के पास इस ख़बर की पुष्टि करने के लिये कोई सुबूत नहीं था।
अब लोगों में बेचैनी बढ़ने लगी थी। जिस तरह लोग समीर वानखेड़े के साथ खड़े दिखाई दे रहे थे उनके मन में भी सवाल उठने लगे थे। वानखेड़े ख़ासे दबाव में था मगर उसने कोई वक्तव्य नहीं दिया। बस नवाब मलिक के आरोपों का खंडन किया। उधर समीर वानखेड़े के पिता ने नवाब मलिक के विरुद्ध
वानखेड़े के पिता ध्यानदेव वानखेड़े ने हाईकोर्ट में नवाब मलिक के खिलाफ मानहानि का केस दायर किया है और 1.25 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की है। पिता ने नवाब मलिक पर उनके परिवार को अपमानित करने का आरोप लगाया है। याद रहे कि मुंबई क्रूज ड्रग्स केस सामने आने के बाद नवाब मलिक की ओर से समीर वानखेड़ और उनके परिवार पर कई तरह के आरोप लगाए गए हैं। मलिक ने आरोप लगाया है कि समीर ने फर्ज़ी सर्टिफिकेट के जरिए सरकारी नौकरी हासिल की।
अब तक मामला केवल नवाब मलिक और समीर वानखेड़े के बीच चल रहा था। इस बीच नवाब मलिक ने अपने आरोपों में एक भाजपा नेता मोहित कंबोज़ को भी घसीट लिया। नवाब मलिक ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मोहित कंबोज को इस मामले में मास्टरमाइंड बताया. साथ ही ये भी आरोप लगाया है कि मोहित कंबोज पर 1100 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप है।
मोहित कंबोज़ ने नवाब मलिक पर मानहानि का मुकद्दमा कर दिया। एक मज़ेदार स्थिति यही है कि नवाब मलिक महाराष्ट्र सरकार के एक मंत्री हैं। यदि उनके पास किसी व्यक्ति के पास कोई सुबूत है तो इसके लिये ट्विटर, सोशल मीडिया या प्रेस काँफ़्रेंस करना काफ़ी नहीं है। उन्होंने संविधान की रक्षा का वचन दिया है और उनका कर्तव्य है कि वे अपने राज्य की कानून और सुरक्षा नियमों को लेकर गंभीरता से कदम उठाने चाहियें… सस्ती लोकप्रियता से बचना चाहिये। उन्हें समीर वानखेड़े और मोहित कंबोज़ के विरुद्ध एफ़.आई.आर दर्ज करवानी चाहिये थी। उनका रास्ता क़ानूनी होना चाहिये था।
नवाब मलिक को तो चस्का लग गया था हर रोज़ प्रेस काँफ़्रेंस करने का। उधर भाजपा नेता मोहित कंबोज ने सनसनीखेज आरोप लगाया कि शाहरुख ख़ान से वसूली की फिराक में थे महाराष्ट्र के कई मंत्री। यानि कि टीवी दर्शकों को किसी एंटरटेनमेंट चैनल लगाने की कोई आवश्यकता ही नहीं थी। न्यूज़ चैनल ही पूरा मनोरंजन कर रहे थे।
नवाब मलिक ने अब पूर्व मुख्य मंत्री देवेन्द्र फड़नवीस की पत्नी को भी लपेटे में ले लिया और उसका एक चित्र जारी कर दिया जिसमें अमृता फड़नवीस एक ड्रग पैडलर के साथ खड़ी दिखाई दे रही हैं। इस पर देवेन्द्र फड़नवीस ने बम धमाका करने का ऐलान किया और नवाब मलिक की तर्ज़ पर प्रेस काँफ़्रेस का सहारा लिया। देवेन्द्र फड़नवीस ने आरोप लगाया कि नवाब मलिक के अंडरवर्ल्ड से रिश्ते हैं और उन्होंने सस्ते दामों पर दाऊद इब्राहिम के साथी से सस्ते दामों में मंहगी ज़मीन ख़रीदी।
नवाब मलिक ख़ाली बम से मानने वाले नहीं थे, उन्होंने हाइड्रोजन बम फोड़ने का दावा किया। नवाब मलिक का कहना है कि देवेन्द्र फड़नवीस अंडरवर्ल्ड के ज़रिये वसूली करते थे।
महाराष्ट्र ने देश को एक नया रास्ता दिखाया है। वहां का गृह-मंत्री जेल में है; पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह भगोड़ा घोषित हो चुका है सुपर कॉप वाज़े भी सज़ा भुगत रहा है। सरकार पर करोड़ों रुपये की वसूली के आरोप हैं। उप-मुख्यमंत्री अजित पवार पर छापे पड़ रहे हैं। वर्तमान मंत्री और भूतपूर्व मुख्यमंत्री एक दूसरे की पगड़ी सार्वजनिक रूप से उछाल रहे हैं। अब यह हर राज्य में अनिवार्य हो जाना चाहिये के सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेता एक दूसरे के बारे में तथ्यों का सार्वजनिक रूप से अनावरण करते रहें ताकि आम जनता को पता चलता रहे कि राजनीतिक हमाम में सभी राजनीतिक नेता नंगे हैं।
लेखक वरिष्ठ साहित्यकार, कथा यूके के महासचिव और पुरवाई के संपादक हैं. लंदन में रहते हैं.

21 टिप्पणी

  1. महाराष्ट्र के राजनैतिक और प्रशासनिक सच को सम्पादकीय में
    मनोरंजक ढंग से प्रस्तुत किया है ।फिल्मी परिवार से जुड़े प्रकरण में ऐसा महसूस हो रहा है कि सभी पात्र कलाकार हो गए हैं औरअपना किरदार ज़्यादा ही सच्चाई से निभा रहे हैं।एक ही हमाम में आने वाली बात हक़ीक़त है ।
    निजी स्वार्थ के टकराव से उत्पन्न हालात दुखद हैं नैतिक मूल्यों का पतन भी है।
    Dr Prabha mishra

  2. क्या खूब कहा है, वाकई दिनोंदिन भारतीय राजनीति के गिरते हुए स्तर को देख कर शर्मिंदगी होती है। महाराष्ट्र में तो हद पार हो गई है।जब समाचार चैनल 24 घंटे चलेंगे तो तथ्य कहाँ तक दे सकेंगे। विस्तार से पड़ताल करता हुआ, रोचक संपादकीय लिखने के लिए बधाई और धन्यवाद.

  3. समझ नहीं आता कौन सच बोल रहा है। आम आदमी का प्रशासन और कानून से भरोसा उठता जा रहा है।

  4. शैली जी आप लगातार पुरवाई के संपादकीय पढ़ती भी हैं और टिप्पणी भी देती हैं। बहुत बहुत धन्यवाद।

  5. बेहतरीन अभिव्यक्ति वास्तव में राजनीति की राजनीति बहुत टेडी है।

  6. सटीक कटाक्ष अत्यंत दुखद सूरते हाल पर। हर कोई अपना स्वार्थ साध रहा है और देश के हालात दिन ब दिन बिगड़ते जा रहे हैं। ख़बरों और उनको पेश करने वाले जमूरों से कोई सच्ची और सार्थक जानकारी नहीं मिलती। क़ानून के रचयिता और रक्षक भी एक दूसरे पर निशाना लगाए बैठे हैं।

  7. वैसे टी वी में थोड़ा- बहुत चल रहा था, पर समझ में नहीं आ रहा था ।
    पर सिलसिलेवार पूरी कहानी समझ में आ गयी।
    बहुत अच्छा विषय है सर!
    सचमुच राजनीति अब निकृष्ट से निकृष्टतम सीमा तक पहुँच गयी है।

  8. राजनीति तो काजल की कोठरी है। ” जे निकसे तेहि कारे” ।
    राजनीति और अंडरवर्ल्ड एक ही थैली के चट्टे बट्टे हैं। आर्यन-प्रकरण के माध्यम से आपने सारा काला चिट्ठा खोल कर रख दिया है। तेजेन्द्र जी ! आपकी लेखनी बहुत धारदार है, उसकी पकड़ से कुछ भी छूटने नहीं पाता है।
    आपके सम्पादकीय से कुछ तथ्यों की नई जानकारी भी मिली।
    हार्दिक साधुवाद।

    • आदरणीय शशि जी, जब आप जैसे वरिष्ठ साहित्यकार पुरवाई के संपादकीय को इतनी गहराई से पढ़ते हैं, तो बहुत उत्साह बढ़ता है। आप स्नेह बनाए रखें।

  9. नमस्कार तेजेन्द्र जी। आपका संपादकीय पढ़ा। आज पत्रकारिता का स्वरूप ही कुछ ऐसा हो गया है कि समझ नहीं आता कि यह पत्रकारिता है या मिर्च मसाले वाला कोई स्वादहीन व्यंजन। यह भी बहुत दिन नहीं चलेगा,जब तक कि कोई दूसरी”ब्रेकिंग न्यूज़” नहीं आती तब तक सभी इसमें ही लगे रहेंगे। एक दूसरे पर दोषारोपण यह आज सामान्य है। समाचार न हुए, विजिलेंस हो गए। सरकारी जासूस और क्या कहेंगे।
    अच्छा लिखा आपने।शुभकामनाएं।

  10. राजनीति झूठ और प्रपंच का ज़खीरा भर है और कुछ नहीं । निकृष्टता के पैमाने पर कोई कम कोई ज़्यादा । झूठ को इतना दोहराओ कि सत्य सा लगने लगे-इस कूटनीति के साथ रणनीतियों को स्थापित किया जाता है ।
    नीजी खुंदक निकालने के लिये प्रेस कॉन्फ्रेंस बिठाकर रोज़ नये दोषारोपण करके किसी अफसर को काम करने से रोकना , सार्वजनिक रूप से उसका चरित्रहनन करना किसी भी संवेदनशील और विवेकशील व्यक्ति का काम नहीं हो सकता । दुःखद यह कि आम जनता सब जानतीहै फिर भी उसकी इतनी हैसियत /हिम्मत नहीं कि खुलकर अपनी बात कहे या राजनेताओं को उनका ज़रा भी भय हो ।
    झूठ का इतना बोलबाला है कि सच तो बिचारा न जाने कहाँ दम साधे छिपा रहता है…..पता नहीं ज़िंदा भी है कि नहीं !

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