पाकिस्तान की वर्तमान हिंसा के केन्द्र में फ़्रांस की एक पत्रिका में प्रकाशित पैगंबर मुहम्मद का एक कार्टून है। तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) समर्थकों ने पैगंबर मोहम्मद का कार्टून प्रकाशित करने के लिये फ्रांस के राजदूत को निष्कासित करने के वास्ते इमरान खान सरकार को 20 अप्रैल तक का समय दिया था, किंतु उससे पहले ही पुलिस ने सोमवार को पार्टी के प्रमुख साद हुसैन रिज्वी को गिरफ्तार कर लिया, जिसके बाद टीएलपी ने देशव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।

पूरा विश्व पाकिस्तान पर आरोप लगाता रहा है कि वहां आतंकवाद को पाला पोसा जा रहा है। मगर पाकिस्तान उसे नकारता रहा है। मगर पिछले तीन दिन में हालात इतने बिगड़ गये हैं कि इमरान ख़ान सरकार को समझ ही नहीं आ रहा कि स्थिति से निपटा कैसे जाए। 
सात लोगों की मृत्यु हो चुकी है और तीन सौ पचास के करीब पुलिसकर्मी घायल हो गये हैं। इमरान सरकार ने अंततः कट्टरपंथी इस्लामिक पार्टी तहरीक-ए-लब्बैक पर प्रतिबन्ध लगा दिया है। तमाम पाकिस्तानी टीवी चैनलों पर इमरान सरकार की ख़ासी फ़जीहत हो रही है। 
वर्तमान हिंसा के केन्द्र में फ़्रांस की एक पत्रिका में प्रकाशित पैगंबर मुहम्मद का एक कार्टून है। तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) समर्थकों ने पैगंबर मोहम्मद का कार्टून प्रकाशित करने के लिये फ्रांस के राजदूत को निष्कासित करने के वास्ते इमरान खान सरकार को 20 अप्रैल तक का समय दिया था, किंतु उससे पहले ही पुलिस ने सोमवार को पार्टी के प्रमुख साद हुसैन रिज्वी को गिरफ्तार कर लिया, जिसके बाद टीएलपी ने देशव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।
हैरानी की बात यह है कि नवम्बर 2020 में इमरान सरकार ने तहरीक-ए-लब्बैक के साथ एक लिखित समझौता किया था जिसके अनुसार तीन चार महीने में पार्लियामेण्ट के माध्यम से यह बिल पास करवाया जाएगा कि फ़्रांस के राजदूत को पाकिस्तान से निकाल कर वापिस फ़्रांस भेज दिया जाएगा। ज़ाहिर है कि यह पाकिस्तान सरकार का एक ग़लत और कमज़ोर वायदा था जिसके बारे में सरकार अच्छी तरह से जानती थी कि वे ऐसा नहीं कर पाएंगे।
पाकिस्तान पर फ़ाटफ़ (FATF) की ग्रे-लिस्ट की तलवार लटक रही थी। बस वे किसी तरह समय चाह रहे थे कि वे तहरीक-ए-लब्बैक को मना लेंगे। मगर यह हो नहीं पाया। तहरीक़ अपनी माँग को लेकर बहुत गंभीर थी। पाकिस्तान में जो गदर मचा हुआ है, उसके केंद्र में फ्रांस की पत्रिका में पिछले साल पैगंबर मोहम्मद के छपे वह विवादित कार्टून हैं, जिसे लेकर इमरान सरकार को फ्रांस के राजदूत को वापस भेजे जाने को लेकर कट्टरपंथी इस्लामिक पार्टी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान ने डेडलाइन दी थी। मगर प्रदर्शन से पहले ही पार्टी के प्रमुख साद हुसैन रिज्वी की गिरफ्तारी ने पाकिस्तान में गृहयुद्ध जैसे हालात पैदा कर दिए हैं।
पाकिस्तान की सरकार, वहां का मीडिया, वहां के ज़िम्मेदार लोग सब सन्नाटे में हैं यह देश में हो क्या रहा है। लगता था जैसे पाकिस्तान में तीन दिन तक कोई सरकार है ही नहीं। गृहमन्त्री शेख़ रशीद और प्रधानमन्त्री इमरान ख़ान तो ऐसे ग़ायब हो गये कि जैसे उन्हें पाकिस्तान के हालात से कुछ लेना देना ही नहीं है। पाकिस्तान के अंदरूनी हालात पर युरोपियन यूनियन भी निगाह रखे हुए है।
इस बीच पाकिस्तान पर कहर टूटने बन्द नहीं हुए। ब्रिटेन ने पाकिस्तान को तगड़ा झटका देते हुए उसे उच्च-जोखिम वाले देशों की श्रेणी में डाल दिया है।  यूनाइटेड किंगडम ने अपने मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर फाइनेंसिंग  से जुड़े नियमों में संशोधन किया है, जिसके तहत उन देशों की सूची तैयार की गई है, जहां मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर फाइनेंसिंग का सबसे ज़्यादा ख़तरा है। इस सूची में उत्तर कोरिया, सीरिया, जिम्बाब्वे, सीरिया, यमन के साथ पाकिस्तान को भी डाल दिया गया है। 
पाकिस्तान के गृह मंत्री शेख राशिद ने पत्रकारों से कहा कि तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान को 1997 के आतंकवाद रोधी अधिनियम के नियम 11-बी के तहत प्रतिबंधित किया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘मैंने टीएलपी पर प्रतिबंध लगाने के लिये पंजाब सरकार द्वारा भेजे गए प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी है।’ अहमद ने कहा कि बीते दो दिन में प्रदर्शनकारियों के साथ झड़पों में कम से कम दो पुलिस अधिकारियों की मौत हो चुकी है और 340 से अधिक घायल हुए हैं।
जैसे इतना ही काफ़ी नहीं था। साल 2021 के लिए दुनिया के सबसे शक्तिशाली पासपोर्ट की रैकिंग जारी कर दी गई है। उस सूची में पाकिस्तान को सूची में 107वें स्थान पर रखा गया है। उसके बाद केवल सीरिया, इराक़ और अफ़ग़ानिस्तान का नाम है।  शक्तिशाली पासपोर्ट धारकों को कई देशों में बिना वीज़ा की सफर करने की सहूलियत मिलती है। हेनले एण्ड पार्टनर्ज़ की पासपोर्ट इंडेक्स ग्लोबल रैंकिंग के अनुसार, दुनिया में सबसे शक्तिशाली पासपोर्ट जापान का है। वहीं, सुपरपॉवर अमेरिका सातवें स्थान पर है। दूसरी तरफ, भारत इस सूची में 85वें स्थान पर है, और चीन 70वें स्थान पर काबिज़ है।
शुक्रवार यानि कि जुम्मे को पाकिस्तान में सोशल मीडिया जैसे कि ट्विटर, फ़ेसबुक, वह्ट्सएप पर रोक लगा दी गयी। पाकिस्तानी टीवी एंकर आरज़ू काज़मी ने पुरज़ोर तरीके से अपनी सरकार की आलोचना की है।
उधर फ़्रांस ने अपने नागरिकों को हिदायत दे दी है कि वे जल्दी से जल्दी पाकिस्तान से बाहर निकल जाएं। फ्रांस के नागिरकों का पाकिस्तान छोड़ने का अगला क़दम हो सकता है पाकिस्तान में फ़्रांस की इन्वेस्टमेण्ट का ख़ात्मा। और ज़ाहिर है कि युरोपियन यूनियन इसे गंभीरता से लेगी और इसके असर पाकिस्तान पर अवश्य दिखाई देंगे। 
विश्व पाकिस्तान से सवाल पूछ सकता है कि क्या ऐसे आतंकवादी गिरोहों के हाथ क्या पाकिस्तान का आणविक हथियारों का ज़ख़ीरा भी लग सकता है।… जवाब इमरान ख़ान से ही पूछा जाएगा। 
पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री इमरान ख़ान को समझना होगा कि एक लम्बे अर्से से उनका देश आतंकवादियों की नर्सरी बना रहा है। कभी अमरीका के लिये तो कभी भारत के विरुद्ध। अब समय आ गया है कि वे समझ जाएं कि उनके द्वारा बनाया गया फ़्रैंकेस्टाइन उनको ही डस रहा है। पूरी दुनिया पाकिस्तान को आतंकवाद का समर्थन करने वाला देश मानती है। 
गेन्द पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री के पाले में है। उन्हें सोचना कि शॉट किधर लगाना है।
लेखक वरिष्ठ साहित्यकार, कथा यूके के महासचिव और पुरवाई के संपादक हैं. लंदन में रहते हैं.

3 टिप्पणी

  1. सम्पादकीय में पाकिस्तान के ताजा हालातों पर करारे व्यंग है
    और हक़ीक़त भी । वज़ीरे आजम को उन्ही की भाषा में समझाने
    की शैली लाज़वाब है ।
    प्रभा मिश्रा

  2. वाह। पाकिस्तान की घटनाओं पर बेहतरीन संपादकीय। संध्या का लेखभी पठनीय।

  3. इस धरती पर सबसे बडा बोझ पाकिस्तान है।जिसकी अपनी कोई औकात नहीं है। वहाँ जो भी हो रहा है वह कम है।किसी न किसी को तो आईना दिखाना ही होगा।अब फ्रांस ने पहल की है और यूरोप उसका साथ दे तो बहुत कुछ हो सकता है।
    संपादकीय अच्छा है। ।

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