ब्रिटेन की राजनीति में मुझे एक बात बहुत अच्छी लगती है कि यहां सत्ता पक्ष और विपक्ष तू तू-मैं मैं के चक्कर में नहीं पड़ते। न ही टीवी पर आकर चिल्लाते हैं। जो कहना होता है उसे संसद में उठाते हैं। एक बहुत सभ्य तरीके से विपक्ष का नेता एक एक सवाल पूछता जाता है और प्रधानमंत्री उठ कर एक एक सवाल का जवाब देता जाता है। मैंने कभी भी यहाँ संसद में नारेबाज़ी नहीं देखी और न ही कोई धक्कामुक्की।
भारत में बंगाल की खाड़ी में तूफ़ान ने कहर मचा रखा है तो ब्रिटेन की राजनीति में प्रधानमंत्री बॉरिस जॉन्सन के पूर्व सलाहकार डॉमिनिक कमिंग्स ने 30,000 से अधिक वरिष्ठ नागरिकों की मौत का इल्ज़ाम ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री (हेल्थ सेक्रेटरी) मैट हैनकॉक और प्रधानमंत्री बॉरिस जॉन्सन पर लगाया है।
कमिंग्स के आरोपों के अनुसार महामारी के शुरूआती दिनों में मैट हैन्कॉक और बॉरिस जॉन्सन का रवैय्या आपराधिक एवं अपमानजनक था।
याद रहे कि ये आरोप कोई विपक्षी दल का नेता ट्वीट करके नहीं लगा रहा है। यह रहस्योद्घाटन प्रधानमंत्री का अपना पूर्व सलाहकार कर रहा है। बॉरिस जॉन्सन के लिये ये घड़ियां ख़ासी कठिन बनती जा रही हैं। एक नर्स (जेनी मैक्गी) जिसने बोरिस जॉनसन की देखभाल की, जब वे कोविड -19 के साथ गंभीर रूप से बीमार थे, उसने अपना इस्तीफा दे दिया और कहा कि “एन.एच.एस. (नेशनल हेल्थ सर्विस) और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए सरकार द्वारा दिखाए गए सम्मान की कमी से उसका मोहभंग हुआ है।” बॉरिस जॉन्सन सरकार ने बजट में नर्सों के वेतन में केवल 1% वार्षिक बढ़ोतरी का एलान किया था।
ब्रिटेन की राजनीति में मुझे एक बात बहुत अच्छी लगती है कि यहां सत्ता पक्ष और विपक्ष तू तू-मैं मैं के चक्कर में नहीं पड़ते। न ही टीवी पर आकर चिल्लाते हैं। जो कहना होता है उसे संसद में उठाते हैं। एक बहुत सभ्य तरीके से विपक्ष का नेता एक एक सवाल पूछता जाता है और प्रधानमंत्री उठ कर एक एक सवाल का जवाब देता जाता है। मैंने कभी भी यहाँ संसद में नारेबाज़ी नहीं देखी और न ही कोई धक्कामुक्की।
मगर आज बात हो रही है कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ने कोरोना के पहले हमले के दौरान कितनी ग़ैर-ज़िम्मेदारी का सुबूत दिया और हज़ारों लोगों को मर जाने दिया। डॉमिनिक कमिंग्स ने दावा किया कि अस्पताल के मरीजों को केयर होम्स वापस जाने से पहले कोविड के लिए परीक्षण नहीं किया गया था।
केयर होम्स के बारे में श्री कमिंग्स ने सांसदों से कहा कि सरकार ने केयर होम्स के चारों ओर एक ढाल खड़ी कर देने की जो बात कही वो ‘पूरी तरह से बकवास’ थी। हमने कोविडग्रस्त लोगों को कोविड के साथ ही केयर होम्स में वापस भेज दिया।’
‘हमें मार्च में (श्री हैनकॉक द्वारा) स्पष्ट रूप से बताया गया था कि लोगों के घरों में वापस जाने से पहले उनका परीक्षण किया जाएगा, हमें तो यह बाद में पता चला कि ऐसा हुआ ही नहीं था।
डॉमिनिक कमिंग्स का दूसरा आरोप था कि कोरोना की लहर के चलते अन्य बीमारियों से ग्रस्त लोगों का इलाज बिल्कुल बन्द कर दिया गया था। बहुत बड़ी संख्या में अन्य बीमारियों से लोगों की मौत हो गयी। जबकि मैट हैनकॉक ने झूठ कहा कि सभी बीमारों को सही इलाज मिल रहा था।
मैट हैनकॉक जानता था कि वह झूठ बोल रहा है क्योंकि उसे मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार और मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने खुद कोविड की पहली लहर के बारे में समझाया था। और यह स्पष्ट था कि लोगों को वह इलाज नहीं मिला जिसके वे हक़दार थे, बहुत से लोगों को मरने के लिए छोड़ दिया गया था… भयावह परिस्थितियाँ थीं।’
डॉमिनिक कमिंग्स ने आगे कहा है कि मैट हैनकॉक द्वारा पिछले साल जनवरी में उन्हें दिया गया आश्वासन पूरी तरह से खोखला था कि महामारी के लिये ज़बरदस्त तैयारी कर ली गयी थी। उनके इस झूठ से भी ब्रिटेन के हालात को झटका लगा और हम बेबसी से लोगों को मरते देखते रहे।
डॉमिनिक कमिंग्स ने यह भी दावा किया कि मिस्टर हैनकॉक ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी प्रोफेसर क्रिस व्हिट्टी और मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार सर पैट्रिक वालेंस सहित वैज्ञानिकों को एक ‘ढाल’ के रूप में इस्तेमाल किया, जिन्हें हालात बिगड़ने पर दोषी ठहराया जा सके।
डॉमिनिक कमिंग्स ने बॉरिस जॉन्सन पर सॉधे आरोप लगाया कि बोरिस जॉनसन को मैट हैनकॉक को स्वास्थ्य सचिव के रूप में रखने की सलाह दी गई थी ताकि जब मामले की आँच प्रधानमन्त्री पर आए तो मैट हैनकॉक को मामले का दोषी कह कर बरख़ास्त किया जा सके।
ज़ाहिर है ति बॉरिस जॉन्सन और मैट हैनकॉक ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि डॉमिनिक कमिंग्स के पास इन आरोपों के कोई सुबूत नहीं हैं।
मैट हैनकॉक ने संसद में बयान देते हुए कहा, “मेरी ईमानदारी पर ये निराधार आरोप लगाए गये हैं जिनमें रत्ती भर सच्चाई नहीं है। हमने कोरोना वायरस जैसी विश्वमारी से लड़ने के लिये जो कदम उठाए वे अभूतपूर्व हैं।”
फिर भी याद रहे कल तक ब्रिटेन में कोरोना वायरस से मरने वाले लोगों की कुल 1,27,758 है जबकि नये वेरिएन्ट के 24 घन्टे में 4,182 मामले सामने आए हैं और दस मौतें भी हुई हैं। ब्रिटेन में पहली वेक्सीन 3,88,71,200लोगों को लगाई जा चुकी है और दूसरी डोज़ 2,44,78,052 लोगों को दी जा चुकी है।
आरोप लग चुके हैं। जवाब दिये जाएंगे… मगर कोरोना इस सबसे अलग अपनी चाल चल रहा है… वह राजनीतिज्ञों से अधिक चालाक है… फिर राजनीतिज्ञ चाहे किसी भी देश के क्यों न हों।
माननीय संपादक महोदय ,
बड़ी ही सटीक टिप्पणी आपने करोनाकाल की पेश की है ।सर्वप्रथम आपको बधाई।
सच्चाई तो यही है कि भारत के आला दर्जे के राजनीतिज्ञों को भी शांतिपूर्ण तौर तरीके सीखने चाहिए ।इससे शक्ति और समय भी बचता है और सभ्यता भी दिखाई देती है ।आपके माध्यम से ब्रिटेन की संस्कृति और तौर तरीकों का जो हम सब पाठकों को ज्ञान मिलता है, उसके लिए आभार।आपके माध्यम से हमें वहां की सच्ची स्थितियों का भी पता चलता है।आपका इसके लिए तहे दिल से धन्यवाद।
डॉ.सविता सिंह,
पुणे।
करोना महामारी को ब्रिटेन में शुरुआती दौर में गम्भीरता से नहीं
लिया गया ,इस पर सरकार की जवाबदेही बनती है, लेकिन वहाँ की राजनीति में शांति पूर्वक हल खोजने की प्रक्रिया पर
तुलनात्मक टिप्पणी बेहतर लगी।
संपादक जी को साधुवाद
Dr prabha mishra
वाह, सौ बातों की एक बात कि कोरोना अपनी अलग चाल चल रहा है, वह राजनीतिज्ञों से अधिक चालाक है।
सम्पादक महोदय साधुवाद के पात्र हैं कि उन्होंने ब्रिटेन की भीतर तक की सही तस्वीर दिखा दी है। हाँ, ब्रिटेन की संसद में शालीनता बरती जाती है, इससे भारत के नेता कुछ सबक़ लेंगे क्या, इसकी कोई गारंटी नहीं है।
माननीय संपादक महोदय ,
बड़ी ही सटीक टिप्पणी आपने करोनाकाल की पेश की है ।सर्वप्रथम आपको बधाई।
सच्चाई तो यही है कि भारत के आला दर्जे के राजनीतिज्ञों को भी शांतिपूर्ण तौर तरीके सीखने चाहिए ।इससे शक्ति और समय भी बचता है और सभ्यता भी दिखाई देती है ।आपके माध्यम से ब्रिटेन की संस्कृति और तौर तरीकों का जो हम सब पाठकों को ज्ञान मिलता है, उसके लिए आभार।आपके माध्यम से हमें वहां की सच्ची स्थितियों का भी पता चलता है।आपका इसके लिए तहे दिल से धन्यवाद।
डॉ.सविता सिंह,
पुणे।
धन्यवाद सविता जी
ब्रिटेन की राजनीति का बहुत स्पष्ट विवरण आपने सार समझा दिया कि कोरोना के मामले मे हर देश की राजनीति अपनी चाल चल रही है और कोरोना अपनी…..।
करोना महामारी को ब्रिटेन में शुरुआती दौर में गम्भीरता से नहीं
लिया गया ,इस पर सरकार की जवाबदेही बनती है, लेकिन वहाँ की राजनीति में शांति पूर्वक हल खोजने की प्रक्रिया पर
तुलनात्मक टिप्पणी बेहतर लगी।
संपादक जी को साधुवाद
Dr prabha mishra
बहुत ही सुंदर तथ्यपूर्ण, समसामयिक संपादकीय।
बहुत-बहुत बधाई।
वाह, सौ बातों की एक बात कि कोरोना अपनी अलग चाल चल रहा है, वह राजनीतिज्ञों से अधिक चालाक है।
सम्पादक महोदय साधुवाद के पात्र हैं कि उन्होंने ब्रिटेन की भीतर तक की सही तस्वीर दिखा दी है। हाँ, ब्रिटेन की संसद में शालीनता बरती जाती है, इससे भारत के नेता कुछ सबक़ लेंगे क्या, इसकी कोई गारंटी नहीं है।